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होशंगाबाद में सरकारी गौशाला का क्या है हाल, ईटीवी भारत ने किया रियलिटी चेक - Hoshangabad Gaushala

शिवराज सरकार ने गौधन संरक्षण और संवर्धन के लिए 'गौ कैबिनेट' का गठन किया है, जिसको लेकर ईटीवी भारत की टीम होशंगाबाद जिले में मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना के तहत तैयार हुई गौशालाओं का जायजा लेने पहुंची, देखिए ETV BHARAT का रियलिटी चेक....

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गौशाला रियलिटी चेक
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Published : Dec 5, 2020, 10:42 PM IST

होशंगाबाद। गायों की रक्षा और सुरक्षा के लिए अब मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने गोधन संरक्षण और संवर्धन के लिए 'गौ कैबिनेट' का गठन किया है. ईटीवी भारत की टीम होशंगाबाद की गौशाला में पहुंची, जहां गायों के लिए की गई व्यवस्थाओं का जायजा लिया.

गौशाला रियलिटी चेक

देश में गाय के नाम पर राजनीति का पुराना इतिहास रहा है, कुछ लोगों ने गाय के हालातों को सुधारने की बात की, तो कुछ ने इसे राजनीति कहकर इससे पल्ला झाड़ा. लेकिन सरकार बदली तो बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन किसी भी सरकार में गाय की स्थिति में सुधार नहीं हो पाया. अब मध्य प्रदेश सरकार फिर से गायों के लिए कैबिनेट बनाकर उनकी स्थिति सुधारने का प्रयास करने जा रही है. गौशाला में गायों की स्थिति दयनीय बनी हुई है.

दो साल में केवल 7 गौशाला का हुआ निर्माण

होशंगाबाद जिले में मई 2019 में 15 गौशाला बनाने का कमलनाथ सरकार के समय प्रस्ताव जारी किया गया था. जिसमें से केवल 8 गौशाला ही दो साल में बनकर शुरू हो पाई है. जिनमें से भी केवल 7 गौशाला में ही गायों को रखा जा चुका है. ऐसे में जिला प्रशासन केवल 700 गांव में ही रखरखाव कर पाया है. इन सभी गौशालाओं में गायों की देखभाल स्व-सहायता समूह की महिलाएं कर रही हैं.

गायों के चारे के लिए नहीं है राशि

दो साल पहले जिले भर में गौशाला निर्माण के लिए 12 लाख रुपए प्रशासन द्वारा जारी किए गए थे. लेकिन आज के हालात यह है कि गायों के चारे के लिए पंचायतों के पास राशि ही नहीं है.

सड़कों पर लावारिस घूमने को मजबूर गाय

जिले की सड़कों पर गड्ढों से अधिक मवेशी बैठे हुए देखे जा सकते हैं. जिला प्रशासन अपने कलेक्ट्रेट गेट के सामने ही पशुओं की भीड़ को नहीं हटा पा रहा है. प्रशासन ने आधुनिक गौशाला में 100 गांव को रखने की व्यवस्था की है. जिसके चलते अभी तक केवल 800 पशु ही गौशाला में रखे जा सके हैं. ऐसे में 800 पशु लावारिस घूमने पर मजबूर हैं. जिला पंचायत सीईओ शहर घूमने वाली गायों के लिए नगरपालिका को जिम्मेदार मान रहे हैं.

नई गौशाालाओं का हो रहा निर्माण

प्रदेश सरकार की मनरेगा के तहत जिले में 27 नई गौशाला की घोषणा के बाद जिला पंचायत द्वारा इनका निर्माण कराया जा रहा है जो कि प्रत्येक गौशाला 37 पॉइंट 84 लाख रुपए में निर्मित की जा रही है. जबकि कमलनाथ सरकार द्वारा 29.35 लाख में निर्मित कराई है.

पंचायतों के पास नहीं है बजट

कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में प्रत्येक गाय के लिए 20 रुपए प्रतिदिन खर्च करने के लिए पंचायतों को बजट जारी किया गया था. जिसमें अभी तक केवल जिला प्रशासन 12 लाख रुपए ही कर पाया है. साथ ही आधे से अधिक गौशाला में पशुओं का चारा भी इकट्ठा नहीं कर पाया है. वहीं भाजपा की सरकार में प्रत्येक पशु पर एक रूपए 63 पैसे खर्च किया जाएगा.

होशंगाबाद। गायों की रक्षा और सुरक्षा के लिए अब मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने गोधन संरक्षण और संवर्धन के लिए 'गौ कैबिनेट' का गठन किया है. ईटीवी भारत की टीम होशंगाबाद की गौशाला में पहुंची, जहां गायों के लिए की गई व्यवस्थाओं का जायजा लिया.

गौशाला रियलिटी चेक

देश में गाय के नाम पर राजनीति का पुराना इतिहास रहा है, कुछ लोगों ने गाय के हालातों को सुधारने की बात की, तो कुछ ने इसे राजनीति कहकर इससे पल्ला झाड़ा. लेकिन सरकार बदली तो बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन किसी भी सरकार में गाय की स्थिति में सुधार नहीं हो पाया. अब मध्य प्रदेश सरकार फिर से गायों के लिए कैबिनेट बनाकर उनकी स्थिति सुधारने का प्रयास करने जा रही है. गौशाला में गायों की स्थिति दयनीय बनी हुई है.

दो साल में केवल 7 गौशाला का हुआ निर्माण

होशंगाबाद जिले में मई 2019 में 15 गौशाला बनाने का कमलनाथ सरकार के समय प्रस्ताव जारी किया गया था. जिसमें से केवल 8 गौशाला ही दो साल में बनकर शुरू हो पाई है. जिनमें से भी केवल 7 गौशाला में ही गायों को रखा जा चुका है. ऐसे में जिला प्रशासन केवल 700 गांव में ही रखरखाव कर पाया है. इन सभी गौशालाओं में गायों की देखभाल स्व-सहायता समूह की महिलाएं कर रही हैं.

गायों के चारे के लिए नहीं है राशि

दो साल पहले जिले भर में गौशाला निर्माण के लिए 12 लाख रुपए प्रशासन द्वारा जारी किए गए थे. लेकिन आज के हालात यह है कि गायों के चारे के लिए पंचायतों के पास राशि ही नहीं है.

सड़कों पर लावारिस घूमने को मजबूर गाय

जिले की सड़कों पर गड्ढों से अधिक मवेशी बैठे हुए देखे जा सकते हैं. जिला प्रशासन अपने कलेक्ट्रेट गेट के सामने ही पशुओं की भीड़ को नहीं हटा पा रहा है. प्रशासन ने आधुनिक गौशाला में 100 गांव को रखने की व्यवस्था की है. जिसके चलते अभी तक केवल 800 पशु ही गौशाला में रखे जा सके हैं. ऐसे में 800 पशु लावारिस घूमने पर मजबूर हैं. जिला पंचायत सीईओ शहर घूमने वाली गायों के लिए नगरपालिका को जिम्मेदार मान रहे हैं.

नई गौशाालाओं का हो रहा निर्माण

प्रदेश सरकार की मनरेगा के तहत जिले में 27 नई गौशाला की घोषणा के बाद जिला पंचायत द्वारा इनका निर्माण कराया जा रहा है जो कि प्रत्येक गौशाला 37 पॉइंट 84 लाख रुपए में निर्मित की जा रही है. जबकि कमलनाथ सरकार द्वारा 29.35 लाख में निर्मित कराई है.

पंचायतों के पास नहीं है बजट

कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में प्रत्येक गाय के लिए 20 रुपए प्रतिदिन खर्च करने के लिए पंचायतों को बजट जारी किया गया था. जिसमें अभी तक केवल जिला प्रशासन 12 लाख रुपए ही कर पाया है. साथ ही आधे से अधिक गौशाला में पशुओं का चारा भी इकट्ठा नहीं कर पाया है. वहीं भाजपा की सरकार में प्रत्येक पशु पर एक रूपए 63 पैसे खर्च किया जाएगा.

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