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पति की मौत के बाद परिवार के लिए कुली बनीं रामवती, बिल्ला नंबर 14 है पहचान - Economic Crisis

इटारसी रेलवे जक्शन पर कुली का काम करने वाली रामवती महिलाओं के लिए मिसाल हैं. पति की मौत के बाद परिवार पर आए आर्थिक संकट ने उन्हें कुली बना दिया, तभी से वह अपने परिवार का भरण-पोषण इसी काम से करती हैं.

Ramvati, who works as a porter, is an example for women in Hoshangabad
कुली का काम करने वाली रामवती
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Published : Mar 6, 2020, 9:38 PM IST

Updated : Mar 6, 2020, 11:06 PM IST

होशंगाबाद। प्रदेश के सबसे बड़े रेलवे जंक्शन इटारसी में कुली तो आपने कई देखे होंगे, लेकिन इन सबके बीच एक महिला कुली भी है. जिन्होंने अपने बच्चों का पालन पोषण करने के लिए पति की मौत के बाद कुली का पेशा अपना लिया है. भोपाल डिवीजन में एकमात्र महिला कुली है जो सात सालों से कुली का कार्य कर रही है.

कुली का काम करने वाली रामवती

रामवती मेहरा के पति मिश्रीलाल मेहरा की मृत्यु करीब 12 साल पहले हार्ट अटैक से हो गई थी. वे भी इटारसी रेलवे स्टेशन पर कुली थे. पति की मृत्यु के बाद चार बच्चों की जिम्मेदारी उनके सिर पर आ गई. रामवती ने जीवन में संघर्ष किया और कुली का पेशा अपने जीवन में उतार लिया, आज उन्हें बिल्ला नंबर 14 के नाम से जाना जाता है.

रामवती ने अपनी दो बेटियों की शादी करा दी है और एक बेटी बैंक में जॉब कर रही है, वहीं एक बेटा मोबाइल की दुकान चला रहा है. 12 साल के लंबे संघर्ष के बाद अब वह खुशहाल जीवन जी रही हैं और अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं.

चौथी क्लास तक पढ़ी संघर्ष की एक नई दांस्ता लिखती हुई रामवती यात्रियों के बोझा उठाते इटारसी रेलवे जंक्शन पर देखी जा सकती हैं. वूमेंस डे पर महिलाओं को यह संदेश दे रही हैं कि कोई भी कार्य छोटा और बड़ा नहीं होता है.

होशंगाबाद। प्रदेश के सबसे बड़े रेलवे जंक्शन इटारसी में कुली तो आपने कई देखे होंगे, लेकिन इन सबके बीच एक महिला कुली भी है. जिन्होंने अपने बच्चों का पालन पोषण करने के लिए पति की मौत के बाद कुली का पेशा अपना लिया है. भोपाल डिवीजन में एकमात्र महिला कुली है जो सात सालों से कुली का कार्य कर रही है.

कुली का काम करने वाली रामवती

रामवती मेहरा के पति मिश्रीलाल मेहरा की मृत्यु करीब 12 साल पहले हार्ट अटैक से हो गई थी. वे भी इटारसी रेलवे स्टेशन पर कुली थे. पति की मृत्यु के बाद चार बच्चों की जिम्मेदारी उनके सिर पर आ गई. रामवती ने जीवन में संघर्ष किया और कुली का पेशा अपने जीवन में उतार लिया, आज उन्हें बिल्ला नंबर 14 के नाम से जाना जाता है.

रामवती ने अपनी दो बेटियों की शादी करा दी है और एक बेटी बैंक में जॉब कर रही है, वहीं एक बेटा मोबाइल की दुकान चला रहा है. 12 साल के लंबे संघर्ष के बाद अब वह खुशहाल जीवन जी रही हैं और अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं.

चौथी क्लास तक पढ़ी संघर्ष की एक नई दांस्ता लिखती हुई रामवती यात्रियों के बोझा उठाते इटारसी रेलवे जंक्शन पर देखी जा सकती हैं. वूमेंस डे पर महिलाओं को यह संदेश दे रही हैं कि कोई भी कार्य छोटा और बड़ा नहीं होता है.

Last Updated : Mar 6, 2020, 11:06 PM IST
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