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इस लापरवाही का कौन जिम्मेदार ? तीन साल में पीएम आवास योजना के तहत नहीं बने एक भी मकान

होशंगाबाद जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इटारसी शहर में सरकारी जमीन पर बनने वाले करीब एक हजार मकानों में से एक मकान भी बीते तीन सालों में बनकर तैयार नहीं हुआ है. इस योजना के अंतर्गत 2 हजार से अधिक लोगों का पंजीयन किया गया है.

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Published : Oct 7, 2020, 10:22 AM IST

itarsi
नहीं बने पीएम आवास के मकान

होशंगाबाद। होशंगाबाद जिले के इटारसी शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकारी जमीन पर एक हजार मकानों का निर्माण होना था. जहां तीन साल में एक भी मकान बनकर कर तैयार नहीं हो पाया है. जबकि दो हजार से अधिक हितग्राहियों ने इस योजना में अपना पंजीयन कराया है.

पीएम आवास योजना के अंतर्गत नगर पालिका अभी तक महज 196 ईडब्ल्यूएस और 54 एलआईजी प्रारूप के आवास को स्वीकृत कर पाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में प्रधानमंत्री आवास योजना दो प्रारूप में शुरू किया था. प्रारूप एक में जिनके पास स्वयं की या सरकारी लीज पर मिली पट्टे की जमीन है, लेकिन मकान नहीं है. ऐसे लोगों को पक्का मकान बनाने के लिए तीन किश्तों में ढाई लाख रूपये का अनुदान किया जाना है.

वहीं प्रारूप दो के अंतर्गत जिन लोगों के पास जमीन नहीं है, ऐसे लोगों को सरकारी जमीन पर मकान रियायती मूल्य पर सब्सिडी के साथ प्रदान करना है. वहीं एलआईजी मकानों की प्रारंभिक कीमत साढ़े 9 लाख रुपए थी. जिसे सब्सिडी हटाकर साढ़े 6 लाख रुपए में देना था. लेकिन बीते तीन सालों में सरकारी जमीन पर एक भी मकान बनकर तैयार नहीं हुआ है.

होशंगाबाद। होशंगाबाद जिले के इटारसी शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकारी जमीन पर एक हजार मकानों का निर्माण होना था. जहां तीन साल में एक भी मकान बनकर कर तैयार नहीं हो पाया है. जबकि दो हजार से अधिक हितग्राहियों ने इस योजना में अपना पंजीयन कराया है.

पीएम आवास योजना के अंतर्गत नगर पालिका अभी तक महज 196 ईडब्ल्यूएस और 54 एलआईजी प्रारूप के आवास को स्वीकृत कर पाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में प्रधानमंत्री आवास योजना दो प्रारूप में शुरू किया था. प्रारूप एक में जिनके पास स्वयं की या सरकारी लीज पर मिली पट्टे की जमीन है, लेकिन मकान नहीं है. ऐसे लोगों को पक्का मकान बनाने के लिए तीन किश्तों में ढाई लाख रूपये का अनुदान किया जाना है.

वहीं प्रारूप दो के अंतर्गत जिन लोगों के पास जमीन नहीं है, ऐसे लोगों को सरकारी जमीन पर मकान रियायती मूल्य पर सब्सिडी के साथ प्रदान करना है. वहीं एलआईजी मकानों की प्रारंभिक कीमत साढ़े 9 लाख रुपए थी. जिसे सब्सिडी हटाकर साढ़े 6 लाख रुपए में देना था. लेकिन बीते तीन सालों में सरकारी जमीन पर एक भी मकान बनकर तैयार नहीं हुआ है.

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