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Sawan 2020: श्री नवग्रह मंदिर में पं. विनोद दुबे ने सुनाई शिव महिमा - भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग

होशंगाबाद जिले के इटारसी में श्री नवग्रह मंदिर में सावन माह के चलते आचार्य पं. विनोद दुबे ने इसके महत्व को लेकर भक्तों को प्रवचन दिए. इस दौरान उन्होंने शिव महिमा के साथ महाराष्ट्र में स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कहानी सुनाई.

shri nav grah temple
श्री नवग्रह मंदिर
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Published : Jul 24, 2020, 7:47 PM IST

होशंगाबाद। कलयुग में कामी और धर्मी हैं तो आस्तिक और नास्तिक भी पूरे ब्रम्हांण में भारत भूमि ही ऐसी पवित्र धरा है, जिसमें 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं. सभी सुख शांति देने वाले हैं. इन सभी में भगवान शिव का अपना अलग स्थान है. कलयुग में भी आस्था और धर्म के प्रति भटकाव न हो इसलिए भगवान के लिंग स्वरूप में 12 ज्योर्तिलिंग देश के अलग-अलग राज्यों विराजमान हैं. ये विचार अपने प्रवचन के दौरान आयोजन के मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे ने इटारसी के श्री नवग्रह मंदिर में व्यक्त किए.

पं. विनोद दुबे ने कहा कि श्रावण मास में शिवजी हंसमुख प्रवृत्ति के रहते हैं. गुस्सा कम और स्नेह के भाव ज्यादा रहने से वे भक्तों पर निरंतर कृपा करते हैं. पं. विनोद दुबे ने भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग की कथा सुनाते हुए कहा कि महाराष्ट्र के पुणे में धोड़ेगांव के आगे सहयाद्रि पर्वत माला में भीमाशंकर की पहाड़ियां हैं. इसी पर्वत श्रृंखला में भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग का विराजमान है.

यहां पर आने के पहले श्रद्धालु चंद्रभागा नदी में स्नान करते इसके बाद ही ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने मंदिर जाते हैं. यहां के बारे में कहावत है कि यहां के वन पहले शाकिनी डाकिन के नाम से प्रख्यात थे. इतना ही नहीं ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने पहले शेर भी आते थे. भीमाशंकर का मंदिर हेमाडपंथी पद्धति से बांधा गया है. मंदिर को दशावतार की मूर्तियों से सजाया गया है. 1721 ईसवी का 5 टन वजनी घंटा भी मंदिर में शिवभक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र है. आयोजन में पं. सत्येंद्र पांडे और पं. पीयूष पांडे द्वारा कराया जा रहा है.

होशंगाबाद। कलयुग में कामी और धर्मी हैं तो आस्तिक और नास्तिक भी पूरे ब्रम्हांण में भारत भूमि ही ऐसी पवित्र धरा है, जिसमें 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं. सभी सुख शांति देने वाले हैं. इन सभी में भगवान शिव का अपना अलग स्थान है. कलयुग में भी आस्था और धर्म के प्रति भटकाव न हो इसलिए भगवान के लिंग स्वरूप में 12 ज्योर्तिलिंग देश के अलग-अलग राज्यों विराजमान हैं. ये विचार अपने प्रवचन के दौरान आयोजन के मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे ने इटारसी के श्री नवग्रह मंदिर में व्यक्त किए.

पं. विनोद दुबे ने कहा कि श्रावण मास में शिवजी हंसमुख प्रवृत्ति के रहते हैं. गुस्सा कम और स्नेह के भाव ज्यादा रहने से वे भक्तों पर निरंतर कृपा करते हैं. पं. विनोद दुबे ने भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग की कथा सुनाते हुए कहा कि महाराष्ट्र के पुणे में धोड़ेगांव के आगे सहयाद्रि पर्वत माला में भीमाशंकर की पहाड़ियां हैं. इसी पर्वत श्रृंखला में भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग का विराजमान है.

यहां पर आने के पहले श्रद्धालु चंद्रभागा नदी में स्नान करते इसके बाद ही ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने मंदिर जाते हैं. यहां के बारे में कहावत है कि यहां के वन पहले शाकिनी डाकिन के नाम से प्रख्यात थे. इतना ही नहीं ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने पहले शेर भी आते थे. भीमाशंकर का मंदिर हेमाडपंथी पद्धति से बांधा गया है. मंदिर को दशावतार की मूर्तियों से सजाया गया है. 1721 ईसवी का 5 टन वजनी घंटा भी मंदिर में शिवभक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र है. आयोजन में पं. सत्येंद्र पांडे और पं. पीयूष पांडे द्वारा कराया जा रहा है.

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