होशंगाबाद। पूरा देश कोरोना महामारी से जंग लड़ रहा है, जिसका प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है. वहीं बारिश का दौर भी शुरु हो गया है. बदलते मौसम में सेहत को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरुरत है. बारिश का समय मौसमी बीमारियों के लिए सबसे अनुकूल समय माना जाता है. इस दौरान लोगों को ज्यादा एहतियात बरतना होता है, क्योंकि इस मौसम में सर्दी, खांसी, जुकाम के साथ बुखार होने की संभावना बढ़ जाती है. वहीं कोरोना वायरस के लक्षण भी बुखार के साथ ही सर्दी, खांसी, गले में खराश के हैं.
जिला अस्पताल में मरीजों की कमी
होशंगाबाद जिला अस्पताल में मौसमी बीमारियों के चलते हर साल मरीजों की लंबी कतारें देखने को मिलती थीं, लेकिन इस साल कोविड-19 के डर के चलते सरकारी अस्पताल में मरीज अपना इलाज कराने नहीं पहुंच रहे हैं.
किल कोरोना अभियान से लोगों में बढ़ी जागरुकता
स्वास्थ्य विभाग के लिए जहां एक ओर कोविड-19 की चपेट में आने की आशंका है, वहीं दूसरी ओर मौसमी बीमारी स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चुनौती है. बता दें कि होशंगाबाद जिले में मौसम में बदलाव के साथ होने वाली दस्त, चिकन पॉक्स, खसरा, टॉन्सिल, वायरल फीवर जैसी बीमारियां आम हैं, लेकिन इस बार इन बीमारियों के इलाज से पहले ही किल कोरोना अभियान और स्वास्थ्य के प्रति लोगों की जागरुकता के चलते मौसमी बीमारियों से लोग घरों में ही इलाज कर ठीक होते दिखाई दे रहे हैं.
घर-घर पहुंचाई जा रही हैं दवाएं
कोरोना वायरस के इलाज के लिए लगातार आयुष मंत्रालय और स्वास्थ्य विभाग घर-घर तक काढ़ा सहित अन्य दवा पहुंचा रहीं हैं, साथ ही लोगों के लिए जागरुकता अभियान चलाकर मौसमी बीमारियों से बचने के उपाय बताए जा रहे हैं. जहां बारिश के समय में पानी जमा होने से मच्छर बढ़ जाते थे, जिससे डेंगू और मलेरिया के मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो जाती थी, लेकिन इस साल डेंगू और मलेरिया के ज्यादा मरीज देखने को नहीं मिल रहे हैं.
खाली पड़े जनरल ओपीडी
कोविड-19 जैसी गंभीर महामारी के प्रति लोगों की जागरूकता और लगातार सतर्कता के चलते मौसम में बदलाव से होने वाली मौसमी बीमारियों सहित सर्दी, जुकाम, खांसी के लिए लगातार विभाग आयुर्वेदिक दवाओं का वितरण कर रही हैं. वहीं घर में घरेलू उपचार से मौसमी बीमारियों से बचा जा रहा है. कोरोना वायरस के डर से मरीज सामान्य बीमारियों में जिले के अस्पताल तक नहीं पहुंच रहे हैं. जिसका असर ओपीडी पर देखने को मिल रहा है. जिला अस्पताल की ओपीडी में 2 दिन के अंदर इक्का-दुक्का मरीज ही पहुंचे हैं.
मौसमी बीमारियों का घर पर ही इलाज
प्राइवेट हॉस्पिटल का संचालन करने वाले डॉक्टर अतुल सेठ ने बताया कि कोरोना के चलते आम लोग अलर्ट पर हैं और लगातार घर पर ही आयुर्वेदिक औषधियों और गर्म पानी का सेवन कर रहे हैं. जिसके चलते मौसमी बीमारियों का प्रकोप भी कम हो जाता है. जिला अस्पताल में जहां आम दिनों में जनरल ओपीडी 650 के करीब होती थीं, अब 200 से 250 हैं, ऐसे में अस्पताल में मरीजों की 75 प्रतिशत की कमी देखी जा रही है.
मच्छरों से फैलने वाली अन्य बीमारियों की किट ग्रामीण क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को उपलब्ध करा दी गई हैं, जो जांच कर बीमारी का पता लगा देती हैं. जिससे समय रहते ही मरीजों को इलाज मिल जा रहा है, ये भी मरीजों के अस्पताल नहीं आने का एक कारण है.
लगातार हो रहा दवाओं का छिड़काव
नगर पालिका और नगर निकाय भी जिलेभर में अलग-अलग क्षेत्रों में मशीन से ब्लीचिंग पाउडर सहित अन्य दवाओं का छिड़काव करा रहीं हैं, जिससे मच्छरों के पनपने की संभावना कम है. वहीं कोविड-19 के चलते लगातार क्षेत्रों को सैनिटाइज किया जा रहा है.