नर्मदापुरम। चैत्र नवरात्रि पर हिंगलाज माता मंदिर में भक्तों का तांता लग रहा है. नर्मदापुरम के खर्रा घाट पर स्थित हिंगलाज माता मंदिर वर्षों पुराना है. इस मंदिर की मान्यता है कि, यह मंदिर पूर्व में गुफा के अंदर हुआ करता था जिसके बाद बाढ़ के कारण यह मंदिर डूब गया. इस मंदिर पर संत साधु महात्मा चतुर्मास पर आते थे और यहां पर साधना करते थे. मान्यता अनुसार इस स्थान पर पहले स्वामी विवेकानंद, धूनी वाले दादा, गौरी सा बाबा जैसे महान संत यहां पर आकर साधना पूजा पाठ करते थे.
मंदिर का इतिहास: मंदिर के पुजारी भवानी शंकर तिवारी बताते हैं कि 1996 में इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं. उन्होंने बताया हिंगलाज देवी का मंदिर एक बलूचिस्तान पाकिस्तान में है तो वहीं दूसरा स्थान नर्मदापुरम एवं एक स्थान बाड़ी में भी है. यह एक पुराना स्थान है. करीब 200 साल पहले यहां पर गुफा हुआ करती थी. 1973 तक यह गुफा यहां रही 1973 की बाढ़ में यह गुफा बंद हो गई. 1990-1992 में इस मंदिर का निर्माण हुआ है. स्वामी विवेकानंद, धूनी वाले दादा परिक्रमा पर चलते थे, तो यहां पर पहुंचते थे. यह मंदिर एक सिद्ध पीठ स्थान है, जो भी मनोकामना मांगी जाती है वो पूरी होती है. 1990 में पुल का निर्माण हो रहा था, गड्ढे का पानी खत्म नहीं होने के कारण पानी नहीं निकल पा रहा था. भोपाल के ठेकेदार यहां पर खुदाई करा रहे थे. खुदाई के बाद में यहां मंदिर का अस्तित्व मिला. जहां इस मंदिर का निर्माण हुआ उसके बाद पुल बना.
मनोकामनाएं होती हैं पूरी: 20 साल से दर्शन करने पहुंच रहे अशोक बताते हैं कि 20 सालों से नवरात्रि में पाठ करने पहुंचते हैं. राजकुमार ठेकेदार घटस्थापना करवाते हैं. यह मंदिर हिंगलाज मंदिर के नाम से यह प्रसिद्ध है. मान्यता के अनुसार जिस प्रकार पाकिस्तान में शक्तिपीठ के नाम से हिंगलाज मंदिर है. शास्त्रों में वर्णन है उसी प्रकार मंदिर यहां पर भी हिंगलाज नाम से यह मंदिर प्रसिद्ध है. जो भी श्रद्धालु आते हैं सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.