नर्मदापुरम/जबलपुर। जिले में विकास कार्यों का लोकार्पण प्रभारी मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह द्वारा किया गया. इसमें नर्मदापुरम के रसूलिया ओवरब्रिज के 54.83 करोड़ की लागत से बने रसूलिया ओवरब्रिज का लोकार्पण किया गया. जिससे लोगों को यातायात सुविधा होगी एवं बार-बार ट्रैफिक की समस्या से समाधान होगा. वहीं एसटीआर बड़ा क्षेत्र है, जिससे विकास कहीं न कहीं आड़े आता है. प्रभारी मंत्री ने इस बारे में कहा कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी काम करती है. इसके बाद ही कई स्वीकृतियां मिलती हैं. कार्यक्रम में सांसद राव उदय प्रताप सिंह एवं क्षेत्र विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा क्षेत्रीय विधायक शामिल हुए.
विकास यात्रा की जानकारी दी : मीडिया से चर्चा के दौरान बृजेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि विकास का स्वरूप आप लोगों को जरूर दिखा होगा. 55 करोड़ की लागत से इस ब्रिज का लोकार्पण हो रहा है. 3 करोड़ के अंडरपास का लोकार्पण हो रहा है, यही हमारी विकास यात्रा है, हमने जितने कार्य जनता के बीच क्षेत्र में किए हैं, उनको हम बता दे रहे हैं और उनका भूमिपूजन भी कर रहे हैं. लोकार्पण भी कर रहे हैं. विकास यात्रा के माध्यम से हर आदमी तक जो गांव में बैठा हुआ जो किसी न किसी योजना से वंचित है, उसे योजना का लाभ दिलाया जा रहा है. वहीं जनसेवा अभियान के तहत में 83 लाख लोगों को प्रदेश को लाभ दिया गया था. आज भी हरेक गांव में सभी लोगों को योजना का लाभ मिल जाए, यही कोशिश है.
गिरफ्तारी वारंट जारी करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका : पुलिस द्वारा चालान पेश करने के दौरान अभियुक्त की अनुपस्थिति के कारण न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट जस्टिस दिनेश कुमार पालीवार ने जारी गिरप्तारी वारंट को निरस्त करते हुए अभियुक्त को समन जारी करने के निर्देश दिये हैं. एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को 27 फरवरी तक न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के आदेश जारी किये हैं. बता दें कि रीवा निवासी पेशे से शिक्षक देवेन्द्र कुमार तिवारी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि पास्को तथा छेड़छाड़ के आरोप में पुलिस ने उसके खिलाफ 11 जनवरी को न्यायालय में चालान पेश किया था.
MP High Court फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के मामले में मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया : चालान पेश होने के दौरान उपस्थित नहीं होने पर विशेष न्यायालय ने उसके खिलाफ गिरप्तारी वारंट जारी कर दिया. याचिकाकर्ता की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए कहा गया कि उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए पहले समन या गैर जमानतीय वारंट न्यायालय को जारी करना था. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि वह न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने तैयार है. एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि समन व गैर जमानती वारंट जारी करने के बावजूद न्यायालय को ऐसा प्रतीत होता है कि अभियुक्त जानबूझकर कार्रवाई से बच रहा है तो गिरप्तारी वारंट जारी करना चाहिये. एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिका का निराकरण कर दिया.