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मध्यम वर्गीय परिवार का लड़का बना सिविल जज - civil judge in hoshangabad

होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा तहसील के रहने वाले मनीष रघुवंशी ने सिविल जज परीक्षा पास कर ली है. मनीष मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं.

मनीष रघुवंशी परिवार के साथ
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Published : Aug 28, 2019, 12:03 AM IST

होशंगाबाद। कहते हैं कि जब हौसले बुलंद हो तो सारी परेशानियां छोटी पड़ जाती हैं. ऐसा ही कारनामा जिले की सिवनी मालवा तहसील के रहने वाले मनीष रघुवंशी ने सिविल जज परीक्षा पास करके किया है. मनीष रघुवंशी एक मध्यम वर्गीय परिवार से आता है.

हौसले की उड़ान, मध्यम वर्गीय लड़का बना सिविल जज

मनीष रघुवंशी की स्कूली पढ़ाई शासकीय स्कूल से हुई है. वाबजूद इसके उन्होंने सभी कठिनाइयों को पार करते हुए सिविल जज की परीक्षा पास कर ली. मनीष ने अपनी सफलता का श्रेय परिवार को दिया. उन्होंने कहा परीक्षा में सफल होने के लिए मैंने लगातार मेहनत की है. जिसके चलते आज मैं इस मुकाम पर पहुंचा.मनीष का सिविल जज परीक्षा में तीसरा अटेम्प्ट था.

होशंगाबाद। कहते हैं कि जब हौसले बुलंद हो तो सारी परेशानियां छोटी पड़ जाती हैं. ऐसा ही कारनामा जिले की सिवनी मालवा तहसील के रहने वाले मनीष रघुवंशी ने सिविल जज परीक्षा पास करके किया है. मनीष रघुवंशी एक मध्यम वर्गीय परिवार से आता है.

हौसले की उड़ान, मध्यम वर्गीय लड़का बना सिविल जज

मनीष रघुवंशी की स्कूली पढ़ाई शासकीय स्कूल से हुई है. वाबजूद इसके उन्होंने सभी कठिनाइयों को पार करते हुए सिविल जज की परीक्षा पास कर ली. मनीष ने अपनी सफलता का श्रेय परिवार को दिया. उन्होंने कहा परीक्षा में सफल होने के लिए मैंने लगातार मेहनत की है. जिसके चलते आज मैं इस मुकाम पर पहुंचा.मनीष का सिविल जज परीक्षा में तीसरा अटेम्प्ट था.

Intro:पढ़ाई के लिए समय मायने नहीं रखता, बस यह मायने रखता है। की जितनी भी देर पढ़ो मन लगाकर पढ़ो। यह कहना है होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा के सिविल जज की परीक्षा पास कर चुके, मनीष रघुवंशी का। जिन्होंने दो बार असफलता हाथ लगने के बाद भी, हार नहीं मानी और तीसरी बार भरसक प्रयास कर सफलता प्राप्त की।Body:मनीष रघुवंशी ने प्राथमिक पढ़ाई सिवनी मालवा के ही शासकीय स्कूल से पूरी की उसके बाद बीसीए किया उसके बाद मनीष के द्वारा इंदौर से एलएलबी की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद सिविल जज के लिए तैयारी करना शुरू कर दिया। मनीष बताते हैं कि किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जरूरी नहीं है कि घंटो पढ़ा जाए बस यह आवश्यक है कि आप चाहे, 4 घंटे पड़े पर मन लगाकर पढ़े, जब रात को सोने जाएं, तो आपके मन में यह खुशी होना चाहिए। की मैंने जो पड़ा वह बिल्कुल अच्छे से पढ़ा है।Conclusion:आपको बता दे कि मनीष एक सामान्य परिवार से हैं मनीष के घर में माता पिता एवं एक भाई है मनीष अपनी सफलता का श्रेय अपने भाई को देते हैं उनका कहना है कि मेरे भाई ने हमेशा मुझे आर्थिक एवं मानसिक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास किया इसका ही परिणाम है कि मैं इस सफलता को हासिल कर पाया।

बाइट-मनीष रघुवंशी
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