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Karwa Chauth 2023: करवा चौथ के व्रत में करें इस वास्तु नियमों का पालन, शादीशुदा लाइफ में आएंगी खुशियां ही खुशियां

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 1, 2023, 8:00 AM IST

Updated : Nov 1, 2023, 8:13 AM IST

Karwa Chauth 2023: अपने पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखती हैं. इस साल करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर को रखा जाएगा. वास्तु विज्ञान में करवा चौथ के लिए कुछ खास नियम और उपाय हैं, जिसे अपनाने से शादीशुदा जिंदगी में खुशियां ही खुशियां आएंगी. जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित अविनाश मिश्रा से वास्तू नियम और पूजन विधि...

vastu tips on karwa chauth
करवा चौथ के व्रत में वास्तु नियम
ज्योतिषाचार्य पंडित अविनाश मिश्रा

नर्मदापुरम। पति की लंबी उम्र की कामना करने वाली सौभाग्यवती स्त्रियों के व्रत करवा चौथ का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. इस दिन महिलाएं अपने सौभाग्य की लंबी उम्र की कामना करती हैं. निर्जला व्रत रख कर इस व्रत को पूरा करती हैं. चंद्र भगवान को अर्क एवं शिव पार्वती के परिवार की पूजन विधि विधान से की जाती है. नर्मदापुरम के ज्योतिषाचार्य पंडित अविनाश मिश्रा ने इस व्रत के संबंध में सौभाग्यवती स्त्री को किस प्रकार व्रत रखना चाहिए एवं वास्तु के अनुसार इस व्रत को किस प्रकार विधि विधान से पूजा पाठ करना चाहिए बताया है.

व्रत से दूर होता है कुंडली दोष: नर्मदापुरम के ज्योतिषाचार्य अविनाश मिश्रा ने बताया कि ''कार्तिक मास के प्रारंभ होने बाद पहला व्रत करवाचौथ का पड़ा है. इस व्रत को करने से स्त्रियों के व्रत सौभाग्य मे वृद्धि होती है. यदि कोई दोष कुंडली में आ रहा हो तो इस व्रत को करने से वह भी दूर होता है.'' इसे किस प्रकार करना चाहिए इसको लेकर ज्योतिषाचार्य ने बताए कि, ''व्रत चंद्रमा के उदय के समय संपूर्ण माना जाता है, एक नवंबर के दिन इसे मनाया जायेगा. चूंकि चतुर्थी 31 तारीख को रात्रि दस बजकर 47 मिनट पर और 1 नवंबर को 10 बजकर 45 मिनट तक रात्रि तक रहेगी. चंद्र उदय का समय 8 बजकर 15 मिनट का है, इसी के साथ यह व्रत पूर्ण होगा.''

सूर्योदय से पूर्व लें सरगी: अविनाश मिश्रा ने बताया कि ''एक नवंबर के दिन सूर्य उदय से पूर्व जो महिलाएं व्रत रख रही हैं, उन्हे सूर्योदय से पूर्व सरगी लेना चाहिए. सरगी का अर्थ होता है, जो थाली सास अपनी बहु को देती है. जिसमें मीठे फल, मीठी मिठाइयां होती है, साथ में पानी भी ले सकते हैं. सूर्योदय से पूर्व लेने तक चंद्र उदय तक कुछ भी नहीं लेना है. चंद्रमा जैसे उदय होता है वैसे ही शिव पार्वती परिवार का पूजन करना है. उपरांत करवे की पूजन करना है. उसके बाद चंद्र भगवान को अर्क देना है, और एक छन्नी से चंद्र भगवान के दर्शन करना है. फिर यदि चाहें तो, अपने पति के दर्शन भी आप कर सकते हैं.'' उन्होंने बताया कि ''उसके उपरांत स्त्री अपने पति के हाथों से उस जल को पीती है तो आपके सौभाग्य में वृद्धि होती है.''

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वहीं, वस्तु विज्ञान के अनुसार अविनाश मिश्रा ने बताया कि, ''एक नवंबर के दिन यह व्रत मनाया जा रहा है. वस्तु विज्ञान के अनुसार यह सौभाग्य का विषय है. सौभाग्य की वृद्धि होती है और सौभाग्य का रंग है लाल, पीला और हरा. इस दिन जो महिलाएं व्रत रख रही हैं, उन्हें लाल, हरे या पीले रंग की साड़ी पहनना चाहिए. करवे का रंग भी लाल हो उसमें कलावा भी पचरंगा हो तो इसका ज्यादा महत्व बताया गया है, उस कलावे को बांधना है. वर्तमान में आर्टिफिशियल कलावे बहुत चल रहे हैं, उनका उपयोग न करें.'' उन्होंने बताया कि ''विशेष रूप से पांच रंग का नाड़ा आता है उसे बांधे, करवे में जल भरिए, उसके ढक्कन में शक्कर रखकर एक सुपारी रखकर, साथ में शिव परिवार का पूजन करें. शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय का पूजन करें. दिनभर निर्जला व्रत रखें, सूर्य उदय के समय सरगी लेना चाहिए और चंद्र उदय के समय उनका पूजन कर अर्क देना चाहिए. सौभाग्यवती स्त्री को पति के हाथों थोड़ा जल पीना है. जिससे यह व्रत पूरा हो जाएगा.

ज्योतिषाचार्य पंडित अविनाश मिश्रा

नर्मदापुरम। पति की लंबी उम्र की कामना करने वाली सौभाग्यवती स्त्रियों के व्रत करवा चौथ का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. इस दिन महिलाएं अपने सौभाग्य की लंबी उम्र की कामना करती हैं. निर्जला व्रत रख कर इस व्रत को पूरा करती हैं. चंद्र भगवान को अर्क एवं शिव पार्वती के परिवार की पूजन विधि विधान से की जाती है. नर्मदापुरम के ज्योतिषाचार्य पंडित अविनाश मिश्रा ने इस व्रत के संबंध में सौभाग्यवती स्त्री को किस प्रकार व्रत रखना चाहिए एवं वास्तु के अनुसार इस व्रत को किस प्रकार विधि विधान से पूजा पाठ करना चाहिए बताया है.

व्रत से दूर होता है कुंडली दोष: नर्मदापुरम के ज्योतिषाचार्य अविनाश मिश्रा ने बताया कि ''कार्तिक मास के प्रारंभ होने बाद पहला व्रत करवाचौथ का पड़ा है. इस व्रत को करने से स्त्रियों के व्रत सौभाग्य मे वृद्धि होती है. यदि कोई दोष कुंडली में आ रहा हो तो इस व्रत को करने से वह भी दूर होता है.'' इसे किस प्रकार करना चाहिए इसको लेकर ज्योतिषाचार्य ने बताए कि, ''व्रत चंद्रमा के उदय के समय संपूर्ण माना जाता है, एक नवंबर के दिन इसे मनाया जायेगा. चूंकि चतुर्थी 31 तारीख को रात्रि दस बजकर 47 मिनट पर और 1 नवंबर को 10 बजकर 45 मिनट तक रात्रि तक रहेगी. चंद्र उदय का समय 8 बजकर 15 मिनट का है, इसी के साथ यह व्रत पूर्ण होगा.''

सूर्योदय से पूर्व लें सरगी: अविनाश मिश्रा ने बताया कि ''एक नवंबर के दिन सूर्य उदय से पूर्व जो महिलाएं व्रत रख रही हैं, उन्हे सूर्योदय से पूर्व सरगी लेना चाहिए. सरगी का अर्थ होता है, जो थाली सास अपनी बहु को देती है. जिसमें मीठे फल, मीठी मिठाइयां होती है, साथ में पानी भी ले सकते हैं. सूर्योदय से पूर्व लेने तक चंद्र उदय तक कुछ भी नहीं लेना है. चंद्रमा जैसे उदय होता है वैसे ही शिव पार्वती परिवार का पूजन करना है. उपरांत करवे की पूजन करना है. उसके बाद चंद्र भगवान को अर्क देना है, और एक छन्नी से चंद्र भगवान के दर्शन करना है. फिर यदि चाहें तो, अपने पति के दर्शन भी आप कर सकते हैं.'' उन्होंने बताया कि ''उसके उपरांत स्त्री अपने पति के हाथों से उस जल को पीती है तो आपके सौभाग्य में वृद्धि होती है.''

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वहीं, वस्तु विज्ञान के अनुसार अविनाश मिश्रा ने बताया कि, ''एक नवंबर के दिन यह व्रत मनाया जा रहा है. वस्तु विज्ञान के अनुसार यह सौभाग्य का विषय है. सौभाग्य की वृद्धि होती है और सौभाग्य का रंग है लाल, पीला और हरा. इस दिन जो महिलाएं व्रत रख रही हैं, उन्हें लाल, हरे या पीले रंग की साड़ी पहनना चाहिए. करवे का रंग भी लाल हो उसमें कलावा भी पचरंगा हो तो इसका ज्यादा महत्व बताया गया है, उस कलावे को बांधना है. वर्तमान में आर्टिफिशियल कलावे बहुत चल रहे हैं, उनका उपयोग न करें.'' उन्होंने बताया कि ''विशेष रूप से पांच रंग का नाड़ा आता है उसे बांधे, करवे में जल भरिए, उसके ढक्कन में शक्कर रखकर एक सुपारी रखकर, साथ में शिव परिवार का पूजन करें. शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय का पूजन करें. दिनभर निर्जला व्रत रखें, सूर्य उदय के समय सरगी लेना चाहिए और चंद्र उदय के समय उनका पूजन कर अर्क देना चाहिए. सौभाग्यवती स्त्री को पति के हाथों थोड़ा जल पीना है. जिससे यह व्रत पूरा हो जाएगा.

Last Updated : Nov 1, 2023, 8:13 AM IST
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