ETV Bharat / state

सतपुड़ा की वादियों में मिल सकता है कोरोना का इलाज, कालमेघ पौधे से बनाई जा सकती है दवा

कोरोना की वैक्सीन और दवा बनाने के लिए रिसर्च चल रही है. लेकिन अब तक सफलता किसी को नहीं मिली है. इस बीच होशंगाबाद के इटारसी में जड़ी बूटियों का उत्पादन करने वाले राज रघुवंशी ने दावा किया है, कि कालमेघ पौधे से कोरोना की दवा बन सकती है.

hoshangabad news
कालमेघ पौधा
author img

By

Published : May 8, 2020, 2:15 PM IST

होशंगाबाद। विश्वभर में कोरोना वायरस के वैक्सीन और दवा बनाने के लिए तरह-तरह के रिसर्च किए जा रहे हैं. लेकिन इसकी दवा भारतीय जड़ी बूटियों में भी हो सकती है जिसकी संभावनाएं केंद्र सरकार भी लगातार आयुष मंत्रालय के द्वारा सर्च करवाने में जुटा है. इस बीच कोरोना की दवा सतपुड़ा की वादियों में भी मिलने की बात कही जा रही है.

सतपुड़ा की वादियों में मिल सकता है कोरोना का इलाज

सतपुड़ा की वादियों में बहुतायत में पाए जाने वाले कालमेघ पौधे से कोरोना की दवा बनाने का दावा किया गया है. इटारसी में पिछले 25 साल से वन उपार्जन केंद्र में रिसर्चर के तौर पर काम कर चुके आर सोनी का दावा है कि कालमेघ पौधे से कोरोना की दवा बन सकती है. कोरोना के सभी लक्षणों जिसमें सांस लेने में परेशानी, सर्दी-खांसी, मलेरिया चिकनगुनिया के उपचार में कालमेघ पौधा सदियों से कारगर रहा है. आरएन सोनी का कहना है कि राज्य बन उपार्जन संस्थान जबलपुर द्वारा इस जड़ी-बूटी पर रिसर्च किया गया है. जिसमें कोरोना वायरस को खत्म करने के सिम्टम्स मिलते हैं. इसलिए इस पौधे से कोरोना का इलाज भी संभव है. आयुष विभाग को इस पर रिसर्च करना चाहिए.

कालमेघ पौधा
कालमेघ पौधा

बन सकती है कोरोना की दवा

पिछले कई सालों से जड़ी बूटियों का उत्पादन कर रहे राज रघुवंशी का कहना है कि कालमेघ जड़ी बूटी के अंदर एंडो ग्रेफाइट नाम का जो तत्व मौजूद है. वो एंटीसेप्टिक एंटीवायरल है. फिलहाल इस पर रिसर्च किया जा रहा है. पहले चिकनगुनिया में भी यह दवा कारगर साबित हुई थी. उन्होंने कहा कि कालमेघ के पौधे से टेबलेट का दावा इसलिए भी किया जा रहा है, क्योंकि कोरोना वायरस के प्राथमिक सिम्टम्स जिसमें जुकाम खांसी और बुखार तीनों हैं, जो कि इसके तत्व तीनों बीमारियों के एंटी डोज के रूप में काम करते हैं.

सतपुड़ा में बहुतायत में मिलता है कालमेघ का पौधा

कालमेघ का पौधा भारत में सतपुड़ा की वादियों बहुतायत में पाया जाता है. यह पहाड़ी क्षेत्र के नमी इलाकों में विशेष रुप से फलता फूलता है. जो कई रोगों के लिए कारगर है. मध्य प्रदेश में होशंगाबाद में यह बहुतायत में है. हालांकि उड़ीसा राज्य के आसपास भी जंगलों में भी पाया जाता है. जिस पर अब कोरोना वायरस का एंटी डोज बनाने की रिसर्च की मांग उठी है.

होशंगाबाद। विश्वभर में कोरोना वायरस के वैक्सीन और दवा बनाने के लिए तरह-तरह के रिसर्च किए जा रहे हैं. लेकिन इसकी दवा भारतीय जड़ी बूटियों में भी हो सकती है जिसकी संभावनाएं केंद्र सरकार भी लगातार आयुष मंत्रालय के द्वारा सर्च करवाने में जुटा है. इस बीच कोरोना की दवा सतपुड़ा की वादियों में भी मिलने की बात कही जा रही है.

सतपुड़ा की वादियों में मिल सकता है कोरोना का इलाज

सतपुड़ा की वादियों में बहुतायत में पाए जाने वाले कालमेघ पौधे से कोरोना की दवा बनाने का दावा किया गया है. इटारसी में पिछले 25 साल से वन उपार्जन केंद्र में रिसर्चर के तौर पर काम कर चुके आर सोनी का दावा है कि कालमेघ पौधे से कोरोना की दवा बन सकती है. कोरोना के सभी लक्षणों जिसमें सांस लेने में परेशानी, सर्दी-खांसी, मलेरिया चिकनगुनिया के उपचार में कालमेघ पौधा सदियों से कारगर रहा है. आरएन सोनी का कहना है कि राज्य बन उपार्जन संस्थान जबलपुर द्वारा इस जड़ी-बूटी पर रिसर्च किया गया है. जिसमें कोरोना वायरस को खत्म करने के सिम्टम्स मिलते हैं. इसलिए इस पौधे से कोरोना का इलाज भी संभव है. आयुष विभाग को इस पर रिसर्च करना चाहिए.

कालमेघ पौधा
कालमेघ पौधा

बन सकती है कोरोना की दवा

पिछले कई सालों से जड़ी बूटियों का उत्पादन कर रहे राज रघुवंशी का कहना है कि कालमेघ जड़ी बूटी के अंदर एंडो ग्रेफाइट नाम का जो तत्व मौजूद है. वो एंटीसेप्टिक एंटीवायरल है. फिलहाल इस पर रिसर्च किया जा रहा है. पहले चिकनगुनिया में भी यह दवा कारगर साबित हुई थी. उन्होंने कहा कि कालमेघ के पौधे से टेबलेट का दावा इसलिए भी किया जा रहा है, क्योंकि कोरोना वायरस के प्राथमिक सिम्टम्स जिसमें जुकाम खांसी और बुखार तीनों हैं, जो कि इसके तत्व तीनों बीमारियों के एंटी डोज के रूप में काम करते हैं.

सतपुड़ा में बहुतायत में मिलता है कालमेघ का पौधा

कालमेघ का पौधा भारत में सतपुड़ा की वादियों बहुतायत में पाया जाता है. यह पहाड़ी क्षेत्र के नमी इलाकों में विशेष रुप से फलता फूलता है. जो कई रोगों के लिए कारगर है. मध्य प्रदेश में होशंगाबाद में यह बहुतायत में है. हालांकि उड़ीसा राज्य के आसपास भी जंगलों में भी पाया जाता है. जिस पर अब कोरोना वायरस का एंटी डोज बनाने की रिसर्च की मांग उठी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.