होशंगाबाद। अक्सर ये माना जाता है कि प्राइवेट स्कूलों के आगे सरकारी स्कूल कहीं नहीं ठहरते. केसला ब्लॉक के आदिवासी इलाके में एक शासकीय स्कूल इस बात को गलत साबित कर रहा है. ये स्कूल हजारों रूपये की फीस लेने वाले प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा है. ये सब हुआ है यहां के शिक्षकों की वजह से.
निजी स्कूलों से कम नहीं केसला का सरकारी स्कूल
इटारसी से करीब 20 किमी दूर केसला का शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय किसी मायने में निजी स्कूलों से पीछे नहीं है. इस स्कूल में 886 बच्चे पढ़ते हैं. शिक्षकों के जुनून ने इस सरकारी स्कूल को प्राइवेट स्कूलों से बेहतर बना दिया है. सरकार से मिलने वाले फंड के अलावा शिक्षक अपने वेतन स्कूल में विद्यार्थियों के लिए सुविधाएं जुटा रहे हैं. पहले स्कूल के बच्चों के लिए लैब तैयार की. अब स्कूल परिसर में तीन दिनों में ऐसा पार्क तैयार कर दिया, जो जानकारी और ज्ञान का खजाना है.
शिक्षकों ने अपने वेतन से बनाई लैब और पार्क
पार्क में बच्चों को सुंदर फूलों के अलावा आदिवासी नेताओं के बारे में बताया गया है. शिक्षक राजेश पाराशर ने पार्क बनाने के लिए अपनी जेब से 30 से 40 हजार रूपये खर्च किए हैं. इससे पहले वे स्कूल में लैब बनाने में भी 10 से 15 हजार रूपये का योगदान कर चुके हैं.
ज्ञान की अलख जगा रहे शिक्षक
शिक्षक राजेश पाराशर विज्ञान के प्रति विद्यार्थियों में जागरूकता और इंटरेस्ट पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. यहां के शिक्षक आसपास के लोगों को भी अंधविश्वास से बाहर लाने की मुहिम चला रहे हैं. उनका मकसद है कि आदिवासी इलाके के विद्यार्थी ही नहीं, बाकी लोग भी नए जमाने के साथ कदमताल करें.
नशे में टल्ली होकर स्कूल पहुंचे 'गुरूजी'!
राष्ट्रपति पुरस्कार सम्मानित शिक्षक राजेश पाराशर
छात्रों और समाज के लिए इनके योगदान को देखते हुए शिक्षक राजेश पाराशर को सन 2000 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. स्कूल में रोचक तरीके से विज्ञान पढ़ाई जाती है. यहां एक उन्नत लैब है. स्कूल में पुस्तकालय है, जिसमें 300 से ज्यादा पुस्तकें हैं. विद्यार्थियों को साहित्य के बारे में जानकारी दी जा रही है. स्कूल में RO मशीन लगाई गई है. बच्चों को ट्रैफिक रूल्स के बारे में बताने के लिए स्कूल परिसर में संकेत बोर्ड लगाए गए हैं.