होशंगाबाद। भारत देश में त्योहारों को धूमधाम और हर्षोल्लास से एक साथ मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. सदियों से चली आ रही सार्वजनिक तौर पर त्योहार मनाने की परंपरा बहुत से लोगों को रोजगार का साधन भी मुहैया कराती है, लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप का सीधा असर इस बार त्योहारों पर देखने को मिल रहा है.
गणेश उत्सव और दुर्गापूजा का त्योहार हमारे यहां सार्वजनिक तौर पर मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार हैं, गणेश उत्सव और दुर्गापूजा पर बड़े-बड़े आर्कषक पंडाल बनाकर मूर्तियों की स्थापना की जाती है. इस साल कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते सरकार ने जब गणेश उत्सव और दुर्गापूजा के कार्यक्रम सार्वजनिक तौर पर मनाने पर रोक लगाई तो इसका सीधा असर मूर्तिकारों पर पड़ा है.
मूर्तिकार जो हर साल भगवान गणेश और मां दुर्गा की प्रतिमा बनाकर सालभर अपना घर चलाते हैं. वह अब दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हो गए है. मूर्तिकार बबलू बिरोठिया बताते हैं कि सामान्य तौर पर हम 4, 5 महीने पहले मूर्ति बनाना शुरु कर देते हैं, बड़ी मूर्ति बनाने में लागत बहुत अधिक आती है इसलिए बाजार से ब्याज पर पैसा उठाकर मूर्ति बनाने का काम होता है. लिहाजा इस बार भी मूर्ति बनाने के लिए बाजार से ब्याज पर पैसा उठाकर मूर्ति बनाने का काम शुरु कर दिया था, लेकिन अब अचानक से सरकार ने गणेश उत्सव और दुर्गा पूजा के सार्वजनिक उत्सव और पंडाल बनाने पर रोक लगा दी है. जिसके चलते वह अब अधर में फंस गए हैं.
वहीं मूर्तिकार अब बनी हुई हजारों की मूर्तियों को लेकर परेशान हो रहे हैं उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वो अब इन बनी हुई मूर्तियों का क्या करें, उनका कहना है कि जो पैसा बाजार से ब्याज पर उठाया था अब उस पैसे को कैसे चुकाएंगे. क्योंकि पहले तो मूर्ति बेचकर पैसे चुका देते थे लेकिन अब बहुत समस्या खड़ी हो गई है.