होशंगाबाद। देश में रहस्यों से भरे कई धार्मिक स्थल हैं, जिनका रहस्य आज भी बरकार है, सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच ऐसा ही एक मंदिर है. जहां भगवान शंकर खुद को भस्मासुर से बचने के लिए शरण लिये थे. यहीं भगवान शिव ने अपनी जटाओं का त्याग किया था.
भगवान शिव ने जिस जगह पर अपनी जटाओं को त्याग किया था, वह स्थल जटा शंकर धाम के नाम से जाना जाता है. जोकि पचमढ़ी में सतपुड़ा की पहाड़ियों के तलहटी में स्थित है. जहां शिव की जटाओं के निशान आज भी मौजूद हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भस्मासुर को खुद भगवान शिव ने ही वरदान दिया था कि वह जिसके भी सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा. जिसके बाद राक्षस भस्मासुर सबसे पहले भगवान शिव के सिर पर हाथ रखकर उन्हें ही भस्म करने की कोशिश करता है और वह भगवान शिव के पीछे पड़ गया. तब महादेव भागते हुए इसी जगह शरण लिये थे. जहां शिवजी ने अपनी विशालकाय जटायें फैलाई थी, जोकि आज भी चट्टानों के स्वरूप में मौजूद हैं.
इस मनोरम स्थल पर पहाड़ों से पानी टपकता हुआ कुंड में जाकर विलुप्त हो जाता है और पास में एक मगरमच्छ जिसके ऊपरी सिरे पर शिवलिंग बना हुआ है. भगवान शिव के भक्तों का यहां आना जाना लगा रहता है.