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50 हजार घूस लेते धराए वन संरक्षक को वन विभाग ने किया भोपाल अटैच - ordered of transfer to SDO

होशंगाबाद के सुहागपुर में 50 हजार रूपए रिश्वत लेते रंगेहाथ धराए सहायक वन संरक्षक विजय मोरे को वन विभाग ने सोहागपुर से हटाकर भोपाल अटैच कर दिया है. साथ ही विभागीय जांच के आदेश भी दिए हैं.

Order of Forest Department of Madhya Pradesh Government
सहायक वन संरक्षक विजय मोरे
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Published : Feb 15, 2020, 2:00 PM IST

होशंगाबाद। 50 हजार रूपए घूस लेने के आरोपी सहायक वन संरक्षक विजय मोरे को होशंगाबाद से हटाकर भोपाल अटैच कर दिया गया है. इस सबंध में अपर सचिव मध्यप्रदेश शासन वन विभाग भोपाल ने होशंगाबाद सामान्य वन मडंल के वरिष्ठ अधिकारियों को आदेश जारी किया है कि प्रशिक्षु SDO विजय मोरे को तत्काल पदमुक्त किया जाए. लोकायुक्त पुलिस ने भी मोरे के वॉयस सैंपल को जांच के लिए लैब भेजा है. वहीं अब हैंड राइटिंग का मिलान भी लोकायुक्त पुलिस करने वाली है.

Order of Forest Department of Madhya Pradesh Government
वन विभाग का आदेश

लोकायुक्त पुलिस ने छापेमारी कर विजय मोरे को 50 हजार रूपए घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. सर्चिंग के दौरान गेस्ट हाउस से 7.25 लाख रूपये भी बरामद किया गया था. जिसकी जानकारी विजय मोरे नहीं दे पाए. साथ ही एक डायरी भी मिली थी, जिसमें वन विभाग के प्रमुख अधिकारियों से लेकर चपरासी तक की हिस्सेदारी का विवरण लिखा हुआ था. जिसके आधार पर लोकायुक्त पुलिस अब सभी जिम्मेदार अधिकारियों से भी पूछताछ करने का विचार कर रही है.

होशंगाबाद। 50 हजार रूपए घूस लेने के आरोपी सहायक वन संरक्षक विजय मोरे को होशंगाबाद से हटाकर भोपाल अटैच कर दिया गया है. इस सबंध में अपर सचिव मध्यप्रदेश शासन वन विभाग भोपाल ने होशंगाबाद सामान्य वन मडंल के वरिष्ठ अधिकारियों को आदेश जारी किया है कि प्रशिक्षु SDO विजय मोरे को तत्काल पदमुक्त किया जाए. लोकायुक्त पुलिस ने भी मोरे के वॉयस सैंपल को जांच के लिए लैब भेजा है. वहीं अब हैंड राइटिंग का मिलान भी लोकायुक्त पुलिस करने वाली है.

Order of Forest Department of Madhya Pradesh Government
वन विभाग का आदेश

लोकायुक्त पुलिस ने छापेमारी कर विजय मोरे को 50 हजार रूपए घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. सर्चिंग के दौरान गेस्ट हाउस से 7.25 लाख रूपये भी बरामद किया गया था. जिसकी जानकारी विजय मोरे नहीं दे पाए. साथ ही एक डायरी भी मिली थी, जिसमें वन विभाग के प्रमुख अधिकारियों से लेकर चपरासी तक की हिस्सेदारी का विवरण लिखा हुआ था. जिसके आधार पर लोकायुक्त पुलिस अब सभी जिम्मेदार अधिकारियों से भी पूछताछ करने का विचार कर रही है.

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