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खरीफ के सीजन में रामतिल ने किसान को किया मालामाल, कलेक्टर ने की तारीफ

होशंगाबाद जिले के बनखेड़ी में दो किसानों ने एक नया प्रयोग किया है. दोनों किसानों ने इस बार पंरपरागत खरीफ की फसले न लगाकर रामतिल की फसल करीब 220 एकड़ में लगाई है. उनका यह प्रयोग भी सफल होता नजर आ रहा है.

रामतिल की फसल
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Published : Nov 6, 2019, 10:05 PM IST

होशंगाबाद। प्रदेश में हुई भारी बारिश से किसानों की खरीफ की फसलें चौपट हो गईं, लेकिन होशंगाबाद जिले के बनखेड़ी में एक किसान के नवाचार ने उसकी फसलों को नुकसान से बचा लिया. किसान के इस प्रयोग की हर तरफ सराहना हो रही है. किसान ने रामतिल या कालातील जो एक तिलहनी फसल है, जिससे लोग हैजगनी के नाम से भी जानते हैं. इस फसल को खासतौर पर आदिवासियों की फसल भी कहा जाता है. जोकि बंजर और सूखी जमीन में लगती है. रामतिल की फसल का प्रयोग ही किसान के काम आया.

रामतिल की फसल

बनखेड़ी के किसान प्रदीप माहेश्वरी और दीपक माहेश्वरी ने ये प्रयोग किया. उन्होंने पहली बार नर्मदापुरम संभाग में तकरीबन 220 एकड़ में रामतिल की फसल लगाई. उनका ये प्रयोग इसलिए भी बड़ा माना जा रहा है क्योंकि इस फसल को पहले ही प्रयोग में बड़े पैमाने पर लगाया. वाबूजद इसके उनका ये प्रयोग सफल रहा.

जहां पूरे प्रदेश में किसानों की 80 प्रतिशत खरीफ की फसलें बर्बाद हो गई हैं. दूसरी तरफ रामतिल की फसल खेतों में शान से लहरा रही है. दोनों किसानों का कहना है कि खरीफ की फसल पर मौसम की मार से किसान परेशान रहते हैं. इसलिए उनका ये नया प्रयोग काफी हद तक सफल नजर आ रहा है क्योंकि मौसम की मार से उनकी फसल बच चुकी है. किसानों के इस प्रयोग की होशंगाबाद कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने भी सराहना की है.

शीलेंद्र सिंह, कलेक्टर होशंगाबाद

आयुर्वेद उपचार के काम आता है रामतिल का तेल
रामतिल के फूल जिन्हें सुखाकर तेल निकाला जाता है. जिसका आयुर्वेदिक उपचार में उपयोग किया जाता है, रामतिल का तेल हृदय रोग के उपचार में काम आता है, जिसे खाद्य रुप में भी उपयोग किया जाता है. इसलिए ये फसल काफी उपयोगी मानी जाती है. आदिवासी इस फसल को सालों से लगा रहे हैं. ये फसल मुख्य रुप से मध्यप्रदेश के शहडोल के साथ-साथ निमाड़ अंचल में भी इसकी पैदावर की जाती है. पहली बार रामतिल इस क्षेत्र में लगाइ गई है, जो अब फल-फूल रही है.

होशंगाबाद। प्रदेश में हुई भारी बारिश से किसानों की खरीफ की फसलें चौपट हो गईं, लेकिन होशंगाबाद जिले के बनखेड़ी में एक किसान के नवाचार ने उसकी फसलों को नुकसान से बचा लिया. किसान के इस प्रयोग की हर तरफ सराहना हो रही है. किसान ने रामतिल या कालातील जो एक तिलहनी फसल है, जिससे लोग हैजगनी के नाम से भी जानते हैं. इस फसल को खासतौर पर आदिवासियों की फसल भी कहा जाता है. जोकि बंजर और सूखी जमीन में लगती है. रामतिल की फसल का प्रयोग ही किसान के काम आया.

रामतिल की फसल

बनखेड़ी के किसान प्रदीप माहेश्वरी और दीपक माहेश्वरी ने ये प्रयोग किया. उन्होंने पहली बार नर्मदापुरम संभाग में तकरीबन 220 एकड़ में रामतिल की फसल लगाई. उनका ये प्रयोग इसलिए भी बड़ा माना जा रहा है क्योंकि इस फसल को पहले ही प्रयोग में बड़े पैमाने पर लगाया. वाबूजद इसके उनका ये प्रयोग सफल रहा.

जहां पूरे प्रदेश में किसानों की 80 प्रतिशत खरीफ की फसलें बर्बाद हो गई हैं. दूसरी तरफ रामतिल की फसल खेतों में शान से लहरा रही है. दोनों किसानों का कहना है कि खरीफ की फसल पर मौसम की मार से किसान परेशान रहते हैं. इसलिए उनका ये नया प्रयोग काफी हद तक सफल नजर आ रहा है क्योंकि मौसम की मार से उनकी फसल बच चुकी है. किसानों के इस प्रयोग की होशंगाबाद कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने भी सराहना की है.

शीलेंद्र सिंह, कलेक्टर होशंगाबाद

आयुर्वेद उपचार के काम आता है रामतिल का तेल
रामतिल के फूल जिन्हें सुखाकर तेल निकाला जाता है. जिसका आयुर्वेदिक उपचार में उपयोग किया जाता है, रामतिल का तेल हृदय रोग के उपचार में काम आता है, जिसे खाद्य रुप में भी उपयोग किया जाता है. इसलिए ये फसल काफी उपयोगी मानी जाती है. आदिवासी इस फसल को सालों से लगा रहे हैं. ये फसल मुख्य रुप से मध्यप्रदेश के शहडोल के साथ-साथ निमाड़ अंचल में भी इसकी पैदावर की जाती है. पहली बार रामतिल इस क्षेत्र में लगाइ गई है, जो अब फल-फूल रही है.

Intro:होशंगाबाद । जहां एक तरफ बारीश से मध्यप्रदेश की फसल खबर हो गईं है। वही दूसरी ओर नया नवाचार करके होशंगाबाद के वनखेडी के किसान ने नुकसान को होने से बचा लिया है किसान ने रामतिल या कालातील जो एक तिलहनी फसल है जिससे कई लोग आदिवासी क्षेत्र मे हैजगनी के नाम से भी पहचानते है जिस को आदिवासियो की फसल कहा जाता था । जो की बंजर ओर सूसखा ओर बंजर जमीन मे लगती है । लेकिन होशंगाबाद के एक किसान ने जहॉ कुछ अलग कर प्रकति ने साथ ना देते हुय भी अत्यधिक बारीश मे जहॉ लगभग 80 प्रतिशत तक फसल प्रदेश की खराब हो चली है ऐसे मे पहली बार लगाई रामतिल की फसल लहरा रही है ।



Body:यह फसल नर्मदापुरम संभाग में पहली बार किसान द्वारा लगाई गई है किसान ने इसे 220 एकड़ में लगाई है जो कि अपने आप में ही बडी बात है क्यों की इतने बड़े क्षेत्र मे नई फसल को पहली बार बिना अनुभव के लगाना ही जोखिम का काम है । ओर किसान को कृषि विभाग से अधिक सहयोग भी नही मिला है । केवल कुछ कृषि वैज्ञानिकों को का सहयोग मिला है ।

रामतिल के तेल काम आता आयुर्वेद के उपचार

रामतिल जिसके फूलों जो सूखा कर उसके बीच से तेल निकाला जाता है । जिसका आयुर्वेदिक उपचार में उपयोग किया जाता है राम तिल का तेल हृदय रोग के उपचार मे काम आता है साथ ही इससे खाद्य रुप मे भी उपयोग किया जाता है ओर सभी बड़ी गल्ला मंडियो मे इसका व्यापार किया जाता है इससे आदिवासी के द्वारा सालो से उपयोग किया जाता जा रहा है मुख्य रुप से मध्यप्रदेश के शहडोल निमाड़ मे इसकी पैदावर की जाती है लेकिन पहली बार होशंगाबाद के रामतलिये क्षेत्र मे पहली बार लगाइ गई है जो अब फल-फूल रही है ।

बाइट शीलेन्द्र सिंह कलेक्टर, होशंगाबाद
प्रमोद माहेश्वरी , किसान
दीपक माहेश्वरी ,किसान





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