होशंगाबाद। प्रदेश में हुई भारी बारिश से किसानों की खरीफ की फसलें चौपट हो गईं, लेकिन होशंगाबाद जिले के बनखेड़ी में एक किसान के नवाचार ने उसकी फसलों को नुकसान से बचा लिया. किसान के इस प्रयोग की हर तरफ सराहना हो रही है. किसान ने रामतिल या कालातील जो एक तिलहनी फसल है, जिससे लोग हैजगनी के नाम से भी जानते हैं. इस फसल को खासतौर पर आदिवासियों की फसल भी कहा जाता है. जोकि बंजर और सूखी जमीन में लगती है. रामतिल की फसल का प्रयोग ही किसान के काम आया.
बनखेड़ी के किसान प्रदीप माहेश्वरी और दीपक माहेश्वरी ने ये प्रयोग किया. उन्होंने पहली बार नर्मदापुरम संभाग में तकरीबन 220 एकड़ में रामतिल की फसल लगाई. उनका ये प्रयोग इसलिए भी बड़ा माना जा रहा है क्योंकि इस फसल को पहले ही प्रयोग में बड़े पैमाने पर लगाया. वाबूजद इसके उनका ये प्रयोग सफल रहा.
जहां पूरे प्रदेश में किसानों की 80 प्रतिशत खरीफ की फसलें बर्बाद हो गई हैं. दूसरी तरफ रामतिल की फसल खेतों में शान से लहरा रही है. दोनों किसानों का कहना है कि खरीफ की फसल पर मौसम की मार से किसान परेशान रहते हैं. इसलिए उनका ये नया प्रयोग काफी हद तक सफल नजर आ रहा है क्योंकि मौसम की मार से उनकी फसल बच चुकी है. किसानों के इस प्रयोग की होशंगाबाद कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने भी सराहना की है.
आयुर्वेद उपचार के काम आता है रामतिल का तेल
रामतिल के फूल जिन्हें सुखाकर तेल निकाला जाता है. जिसका आयुर्वेदिक उपचार में उपयोग किया जाता है, रामतिल का तेल हृदय रोग के उपचार में काम आता है, जिसे खाद्य रुप में भी उपयोग किया जाता है. इसलिए ये फसल काफी उपयोगी मानी जाती है. आदिवासी इस फसल को सालों से लगा रहे हैं. ये फसल मुख्य रुप से मध्यप्रदेश के शहडोल के साथ-साथ निमाड़ अंचल में भी इसकी पैदावर की जाती है. पहली बार रामतिल इस क्षेत्र में लगाइ गई है, जो अब फल-फूल रही है.