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'आफत' बनकर आई बाढ़ से किसानों के सपने चकनाचूर, अब मुआवजे की आस में बैठा अन्नदाता

होशंगाबाद में लगातार तीन दिन तक पानी मे डूबे रहने के चलते फसलें सड़ गईं. धान, सोयाबीन, उडद की फसल खराब होने से किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं. पढ़िए पूरी खबर...

Flood destroyed the crop
बाढ़ ने फसल को किया चौपट
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Published : Sep 6, 2020, 3:31 PM IST

होशंगाबाद। तीन दिन तक लगातार बारिश के बाद नर्मदा नदी और तवा नदी मे बाढ़ के बाद जिले भर में लग रही हरी-भरी फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है. लगातार तीन दिन तक पानी मे डूबे रहने के चलते फसले सड़ गईं. धान, सोयाबीन, उडद की फसल पानी में डूबने गई है, जिसमें सबसे अधिक धान की फसल पर प्रभाव पड़ा है, जिले में बारीश तो थम गई, लेकिन किसानों को एक बार फिर कर्ज में डाल दिया.

बाढ़ ने फसल को किया चौपट

जिलेभर में खराब हुई फसलों का किसान मुआवजा मांग रहे हैं. किसानों की खरीफ की मूंग की फसल के बाद अब रबी की फसल भी खराब होने की कगार पर पहुंच गई है. रायपुर गांव के किसान काशीराम का कहना है कि बारीश में धान के साथ सब्जी के खेत भी बर्बाद हो गए हैं. साथ ही खेतों में बना घर भी पानी में टूटकर धरासाई हो गया. जिससे घर में रखा अनाज भी खराब हो गया है.

3 लाख हेक्टर में बोई गई थी फसलें

जिले का करीब 50 प्रतिशत क्षेत्र बारिश से प्रभवित हुआ है, जिसमे मुख्य रूप से सोयाबीन की फसल को नुकसान हुआ है. फसल में कीट व्याधि, येलो मोजिक जैसी बीमारियां लग गई हैं. 3 लाख 15 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई गई थी, धान 1 लाख 65 हजार हेक्टेयर में लगी थी, जबकि 70 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन और करीब 20 हजार हेक्टेयर में मूंग और उड़द की फसल लगाई गई थी.

नर्मदा और तवा किनारे की फसल हुई तबाह

नर्मदा और तवा नदी के किनारे लगी सोयाबीन की फसल सबसे अधिक प्रभावित हुई है. नदी के किनारे बसे 80 गांव के किसानों को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है. जानकारों के अनुसार 50 फीसदी फसल जिले में खराब हो गई है. फिलहाल सर्वे का कार्य शुरू किया गया है. करीब एक हफ्ते में फसल के नुकसान का आकलन स्पष्ट सामने आएगा, जिसके बाद ही नुकसान का पता चल सकेगा.

घर और मवेशियों का भी नुकसान

नदी के किनारे फसल के साथ मवेशियों और मकानों को भी भारी नुकसान हुआ है. गांव में खेतों के बीच बने घर के घर बह गए, जिसमें खानपान सहित घर का सामान भी खराब हो गया है. अत्यधिक तेज बाढ़ के चलते मवेशियों की भी मौत पानी में डूबने से हो गई है. फिलहाल किसान सरकार से मुआवजे की आस में ही बैठा हुआ है. ऐसे ही एक किसान तोरई का कहना है कि धान की फसल के साथ मौसमी आम, कटहल, नींबू भी प्रभावित हुए हैं, फलों के बगीचे तेज बारिश में और बाढ़ के पानी के चलते नष्ट हो गए हैं.

हाइवे से लगे खेत भी प्रभावित हुए हैं, जिनमें भारी मात्रा मे कंस्ट्रक्शन का मैटेरियल बहकर खेतों में आ गया है, जिसके चलते अब खेतों में आने वाली गेहूं की फसल लेना भी मुश्किल हो गया है. मामले में कलेक्टर धनंजय सिंह ने कहा कि प्रशासन लगातार सर्वे में लगा हुआ है. बाढ़ के कारण जिन किसानों की फसलों को क्षति हुई है, उसका आकलन कर कृषि, राजस्व की टीम लगतार ग्रामीण क्षेत्र मे दौरा कर एक हफ्ते मे रिपोर्ट शासन को सौंपेगी.

होशंगाबाद। तीन दिन तक लगातार बारिश के बाद नर्मदा नदी और तवा नदी मे बाढ़ के बाद जिले भर में लग रही हरी-भरी फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है. लगातार तीन दिन तक पानी मे डूबे रहने के चलते फसले सड़ गईं. धान, सोयाबीन, उडद की फसल पानी में डूबने गई है, जिसमें सबसे अधिक धान की फसल पर प्रभाव पड़ा है, जिले में बारीश तो थम गई, लेकिन किसानों को एक बार फिर कर्ज में डाल दिया.

बाढ़ ने फसल को किया चौपट

जिलेभर में खराब हुई फसलों का किसान मुआवजा मांग रहे हैं. किसानों की खरीफ की मूंग की फसल के बाद अब रबी की फसल भी खराब होने की कगार पर पहुंच गई है. रायपुर गांव के किसान काशीराम का कहना है कि बारीश में धान के साथ सब्जी के खेत भी बर्बाद हो गए हैं. साथ ही खेतों में बना घर भी पानी में टूटकर धरासाई हो गया. जिससे घर में रखा अनाज भी खराब हो गया है.

3 लाख हेक्टर में बोई गई थी फसलें

जिले का करीब 50 प्रतिशत क्षेत्र बारिश से प्रभवित हुआ है, जिसमे मुख्य रूप से सोयाबीन की फसल को नुकसान हुआ है. फसल में कीट व्याधि, येलो मोजिक जैसी बीमारियां लग गई हैं. 3 लाख 15 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई गई थी, धान 1 लाख 65 हजार हेक्टेयर में लगी थी, जबकि 70 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन और करीब 20 हजार हेक्टेयर में मूंग और उड़द की फसल लगाई गई थी.

नर्मदा और तवा किनारे की फसल हुई तबाह

नर्मदा और तवा नदी के किनारे लगी सोयाबीन की फसल सबसे अधिक प्रभावित हुई है. नदी के किनारे बसे 80 गांव के किसानों को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है. जानकारों के अनुसार 50 फीसदी फसल जिले में खराब हो गई है. फिलहाल सर्वे का कार्य शुरू किया गया है. करीब एक हफ्ते में फसल के नुकसान का आकलन स्पष्ट सामने आएगा, जिसके बाद ही नुकसान का पता चल सकेगा.

घर और मवेशियों का भी नुकसान

नदी के किनारे फसल के साथ मवेशियों और मकानों को भी भारी नुकसान हुआ है. गांव में खेतों के बीच बने घर के घर बह गए, जिसमें खानपान सहित घर का सामान भी खराब हो गया है. अत्यधिक तेज बाढ़ के चलते मवेशियों की भी मौत पानी में डूबने से हो गई है. फिलहाल किसान सरकार से मुआवजे की आस में ही बैठा हुआ है. ऐसे ही एक किसान तोरई का कहना है कि धान की फसल के साथ मौसमी आम, कटहल, नींबू भी प्रभावित हुए हैं, फलों के बगीचे तेज बारिश में और बाढ़ के पानी के चलते नष्ट हो गए हैं.

हाइवे से लगे खेत भी प्रभावित हुए हैं, जिनमें भारी मात्रा मे कंस्ट्रक्शन का मैटेरियल बहकर खेतों में आ गया है, जिसके चलते अब खेतों में आने वाली गेहूं की फसल लेना भी मुश्किल हो गया है. मामले में कलेक्टर धनंजय सिंह ने कहा कि प्रशासन लगातार सर्वे में लगा हुआ है. बाढ़ के कारण जिन किसानों की फसलों को क्षति हुई है, उसका आकलन कर कृषि, राजस्व की टीम लगतार ग्रामीण क्षेत्र मे दौरा कर एक हफ्ते मे रिपोर्ट शासन को सौंपेगी.

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