होशंगाबाद। डीजल लोको शेड इटारसी में विभिन्न उपायों द्वारा ईंधन/ऊर्जा की बचत कर रेल राजस्व की भी बचत की जा रही है. डीआरएम उदय बोरवणकर के कुशल निर्देशन व मार्गदर्शन में भोपाल रेल मण्डल ऊर्जा संरक्षण की दिशा में लगातार कार्य करते हुए ऊर्जा की बचत के साथ ही राजस्व की भी बचत कर रहा है. इसी कड़ी में डीजल लोको शेड, इटारसी ने वर्ष 2020-21 में ऊर्जा बचत के लिए विभिन्न उपायों द्वारा बेहतर प्रदर्शन किया है.
डीजल-ईंधन खपत कम करने के लिए लोको की ईंधन तेल प्रणाली के अनुरक्षण में विशेष ध्यान देकर अवांक्षनीय रिसाव को रोका गया एवं तकनीकी सुधारों द्वारा इंजन की अधिकतम दक्षता प्राप्त करने का प्रयास किया गया. वर्ष 2020-21 में शेड द्वारा 23 पुराने डीजल लोको का रद्दीकरण किया गया. इन सभी कदमों के फलस्वरूप शेड में औसतन डीजल ईंधन खपत वर्ष 2019-20 में लगभग 39.80 किलो लीटर (26,58,640 रुपये) प्रतिदिन से घट कर लगभग 5.92 किलो लीटर (4,46,960 रुपये) प्रतिदिन, अर्थात 85.12 फीसदी कम हो गयी है और शेड में डीजल ईंधन से 80.72 करोड़ रुपये की बचत हुई.
वर्ष 2020-21 में पुराने डीजल लोको के स्क्रैप से 13.86 रुपये करोड़ अर्जित किये गए. इसी क्रम में शेड में बिजली बचत के लिए विभिन्न कदम उठाए गए. शेड में विभिन्न अनुभागों में मीटर लगाए गए, जिनके प्रयोग से बिजली खपत पर निगरानी की गई. मशीनों, कंप्रेसर व विद्युत् उपकरणों को अनावश्यक चालू रखने पर रोक लगाई गई. बंद खिड़कियों को खोला गया व रद्दी सामान बाहर निकाल कर कमरों की सफाई की गयी, जिससे कमरों में प्राकृतिक हवा एवं रोशनी बढ़ी.
छोटे-छोटे प्रयास से बड़ी बचत
दीवारों पर हलके रंग पोते गए जिससे रोशनी का रिफ्लेक्शन बढ़ा। ऊर्जा बचत के उपायों के सम्बन्धमें शेड के कर्मचारियों को परामर्श दिया गया. शेड के इंजीनियरों द्वारा ऑक्यूपेंसी सेंसर बनाया गया, जिसे शेड के विभिन्न कार्यालयों में लगाया गया है. जिससे रूम में किसी व्यक्ति के होने पर ही बिजली पंखे स्वयं चालू व कोई व्यक्ति न होने पर स्वयं बंद हो जाते हैं.
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इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, शेड में वर्ष 2019-20 में बिजली खपत 875 MW (83.14 लाख रुपये) से घटकर वर्ष 2020-21 में 563 MW (53.53 लाख रुपये) हुई, जिससे लगभग 311 MW (29.60 लाख रुपये) की बचत हुई। शेड द्वारा निर्मित ऑक्यूपेंसी सेंसर के फायदों को देखते हुए इस ऑक्यूपेंसी सेंसर को भोपाल मंडल व पश्चिम मध्य रेल मुख्यालय के कई कार्यालयों में लगाया गया है, जिससे वहां भी बिजली की बचत की जा रही है.