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Tiger Day 2021: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का CM शिवराज ने किया दीदार, बोले- बाघों का MP में प्रबंधन उम्दा

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की कोशिशों को दुनिया सराह रही है. बाघों के बेहतरीन प्रंबधन के लिए उसे अर्थ नेटवेस्ट ग्रुप का अर्थ हीरोज पुरस्कार मिला है. MP के लिए ये गर्व का विषय है. घने जंगलों में बसे बाघों को परिवार समेत देखने पहुंचे CM शिवराज ने भी रिजर्व प्रबंधन की तारीफ की.

Satpura tiger reserve
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
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Published : Jul 29, 2021, 8:28 AM IST

होशंगाबाद। सतपुड़ा के घने जंगल, नींद मे डूबे हुए से... भवानी प्रसाद मिश्र की इन पंक्तियों के साथ ही सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने बाघों के संरक्षण में नजीर पेश कर रहे रिजर्व की सराहना की. चौहान अपने दो दिनों के प्रवास पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में परिवार के साथ पहुंचे थे.

सतपुड़ा के घने जंगल में CM शिवराज

अच्छी खबर: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व यूनेस्को विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल

अर्थ हीरोज पुरस्कार
प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन के लिये अर्थ गार्जियन श्रेणी में नेटवेस्ट ग्रुप अर्थ हीरोज का पुरस्कार मिला है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को विश्व धरोहर की संभावित सूची में भी शामिल किया गया है. इस उपलब्धि पर वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्रबंधन से जुड़े अमले को बधाई भी दी. जिले में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व 2130 वर्ग किलोमीटर में फैला क्षेत्र है। यह डेक्कन बायो-जियोग्राफिक क्षेत्र का हिस्सा है.अभूतपूर्व प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह देश की प्राचीनतम वन संपदा है, जो बड़ी मेहनत से संजोकर रखी गई है.

अद्भुत हैं ये ऊंघते हुए से अनमने जंगल

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को भारत के मध्य क्षेत्र के ईको-सिस्टम की आत्मा कहा जाता है. यहाँ अकाई वट, जंगली चमेली जैसी वनस्पतियाँ हैं, जो अन्यत्र नहीं मिलती. बाघों की उपस्थिति और उनके प्रजनन क्षेत्र के रूप में सतपुड़ा नेशनल पार्क की अच्छी-खासी प्रसिद्धि है. बाघों की अच्छी उपस्थिति वाले मध्यभारत के क्षेत्रों में से एक है. संरक्षित क्षेत्रों के भीतरी प्रबंधन के मान से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व अपने आप में देश का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है. देश के बाघों की संख्या का 17 प्रतिशत और बाघ रहवास का 12 प्रतिशत क्षेत्र सतपुड़ा में ही आता है. यह देश का सर्वाधिक समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है.

सतपुड़ा का विशाल वन क्षेत्र कमाल
हिमालय क्षेत्र में पाई जाने वाली वनस्पतियों में 26 प्रजातियाँ और नीलगिरि के वनों में पाई जाने वाली 42 प्रजातियाँ सतपुड़ा वन क्षेत्र में भी भरपूर पाई जाती हैं. इसलिये विशाल पश्चिमी घाट की तरह इसे उत्तरी घाट का नाम भी दिया गया है. कुछ प्रजातियाँ जैसे कीटभक्षी घटपर्णी, बाँस, हिसालू, दारूहल्दी सतपुड़ा और हिमालय दोनों जगह मिलती हैं. इसी तरह पश्चिमी घाट और सतपुड़ा दोनों जगह जो प्रजातियाँ मिलती हैं, उनमें लाल चंदन मुख्य हैं. सिनकोना का पौधा, जिससे मलेरिया की दवा कुनैन बनती है, यहाँ बड़े संकुल में मिलता है.

पढ़ें सतपुड़ा के घने जंगल

(रचनाकार- भवानीप्रसाद मिश्र)

सतपुड़ा के घने जंगल.

नींद मे डूबे हुए से

ऊंघते अनमने जंगल.

झाड़ ऊंचे और नीचे,

चुप खड़े हैं आंख मीचे,

घास चुप है, कास चुप है

मूक शाल, पलाश चुप है.

बन सके तो धंसो इनमें,

धंस न पाती हवा जिनमें,

सतपुड़ा के घने जंगल

ऊंघते अनमने जंगल.

चलो इन पर चल सको तो

सड़े पत्ते, गले पत्ते,

हरे पत्ते, जले पत्ते,

वन्य पथ को ढंक रहे-से

पंक-दल में पले पत्ते।

चलो इन पर चल सको तो,

दलो इनको दल सको तो,

ये घिनौने, घने जंगल

नींद में डूबे हुए से

ऊंघते अनमने जंगल.

पैर को पकड़ें अचानक

अटपटी-उलझी लताएं,

डालियों को खींच खाएं,

पैर को पकड़ें अचानक,

प्राण को कस लें कपाएं.

सांप सी काली लताएं

बला की पाली लताएं

लताओं के बने जंगल

नींद में डूबे हुए से

ऊंघते अनमने जंगल.

मकड़ियों के जाल मुंह पर

मकड़ियों के जाल मुंह पर,

और सर के बाल मुंह पर

मच्छरों के दंश वाले,

दाग काले-लाल मुंह पर,

वात-झन्झा वहन करते,

चलो इतना सहन करते,

कष्ट से ये सने जंगल,

नींद मे डूबे हुए से

ऊंघते अनमने जंगल.

अजगरों से भरे जंगल

अजगरों से भरे जंगल

अगम, गति से परे जंगल

सात-सात पहाड़ वाले,

बड़े-छोटे झाड़ वाले,

शेर वाले बाघ वाले,

गरज और दहाड़ वाले,

कम्प से कनकने जंगल,

नींद मे डूबे हुए से

ऊंघते अनमने जंगल.

इन वनों के खूब भीतर,

चार मुर्गे, चार तीतर

पाल कर निश्चिन्त बैठे,

विजनवन के बीच बैठे,

झोंपड़ी पर फूस डाले

गोंड तगड़े और काले।

जब कि होली पास आती

जब कि होली पास आती,

सरसराती घास गाती,

और महुए से लपकती,

मत्त करती बास आती,

गूंज उठते ढोल इनके,

गीत इनके, बोल इनके

सतपुड़ा के घने जंगल

नींद मे डूबे हुए से

उंघते अनमने जंगल.

जागते अंगड़ाइयों में,

खोह-खड्डों खाइयों में,

घास पागल, कास पागल,

शाल और पलाश पागल,

लता पागल, वात पागल,

डाल पागल, पात पागल

मत्त मुर्गे और तीतर,

इन वनों के खूब भीतर.

क्षितिज तक फ़ैला हुआ-सा

क्षितिज तक फ़ैला हुआ-सा,

मृत्यु तक मैला हुआ-सा,

क्षुब्ध, काली लहर वाला

मथित, उत्थित जहर वाला,

मेरु वाला, शेष वाला

शम्भु और सुरेश वाला

एक सागर जानते हो,

उसे कैसा मानते हो?

ठीक वैसे घने जंगल,

नींद मे डूबे हुए से

ऊंघते अनमने जंगल।

धंसो इनमें डर नहीं है,

मौत का यह घर नहीं है,

उतर कर बहते अनेकों,

कल-कथा कहते अनेकों,

नदी, निर्झर और नाले,

इन वनों ने गोद पाले.

लाख पंछी सौ हिरन-दल

लाख पंछी सौ हिरन-दल,

चांद के कितने किरण दल,

झूमते बन-फूल, फलियां,

खिल रहीं अज्ञात कलियां,

हरित दूर्वा, रक्त किसलय,

पूत, पावन, पूर्ण रसमय

सतपुड़ा के घने जंगल,

लताओं के बने जंगल.

होशंगाबाद। सतपुड़ा के घने जंगल, नींद मे डूबे हुए से... भवानी प्रसाद मिश्र की इन पंक्तियों के साथ ही सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने बाघों के संरक्षण में नजीर पेश कर रहे रिजर्व की सराहना की. चौहान अपने दो दिनों के प्रवास पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में परिवार के साथ पहुंचे थे.

सतपुड़ा के घने जंगल में CM शिवराज

अच्छी खबर: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व यूनेस्को विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल

अर्थ हीरोज पुरस्कार
प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन के लिये अर्थ गार्जियन श्रेणी में नेटवेस्ट ग्रुप अर्थ हीरोज का पुरस्कार मिला है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को विश्व धरोहर की संभावित सूची में भी शामिल किया गया है. इस उपलब्धि पर वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्रबंधन से जुड़े अमले को बधाई भी दी. जिले में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व 2130 वर्ग किलोमीटर में फैला क्षेत्र है। यह डेक्कन बायो-जियोग्राफिक क्षेत्र का हिस्सा है.अभूतपूर्व प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह देश की प्राचीनतम वन संपदा है, जो बड़ी मेहनत से संजोकर रखी गई है.

अद्भुत हैं ये ऊंघते हुए से अनमने जंगल

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को भारत के मध्य क्षेत्र के ईको-सिस्टम की आत्मा कहा जाता है. यहाँ अकाई वट, जंगली चमेली जैसी वनस्पतियाँ हैं, जो अन्यत्र नहीं मिलती. बाघों की उपस्थिति और उनके प्रजनन क्षेत्र के रूप में सतपुड़ा नेशनल पार्क की अच्छी-खासी प्रसिद्धि है. बाघों की अच्छी उपस्थिति वाले मध्यभारत के क्षेत्रों में से एक है. संरक्षित क्षेत्रों के भीतरी प्रबंधन के मान से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व अपने आप में देश का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है. देश के बाघों की संख्या का 17 प्रतिशत और बाघ रहवास का 12 प्रतिशत क्षेत्र सतपुड़ा में ही आता है. यह देश का सर्वाधिक समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है.

सतपुड़ा का विशाल वन क्षेत्र कमाल
हिमालय क्षेत्र में पाई जाने वाली वनस्पतियों में 26 प्रजातियाँ और नीलगिरि के वनों में पाई जाने वाली 42 प्रजातियाँ सतपुड़ा वन क्षेत्र में भी भरपूर पाई जाती हैं. इसलिये विशाल पश्चिमी घाट की तरह इसे उत्तरी घाट का नाम भी दिया गया है. कुछ प्रजातियाँ जैसे कीटभक्षी घटपर्णी, बाँस, हिसालू, दारूहल्दी सतपुड़ा और हिमालय दोनों जगह मिलती हैं. इसी तरह पश्चिमी घाट और सतपुड़ा दोनों जगह जो प्रजातियाँ मिलती हैं, उनमें लाल चंदन मुख्य हैं. सिनकोना का पौधा, जिससे मलेरिया की दवा कुनैन बनती है, यहाँ बड़े संकुल में मिलता है.

पढ़ें सतपुड़ा के घने जंगल

(रचनाकार- भवानीप्रसाद मिश्र)

सतपुड़ा के घने जंगल.

नींद मे डूबे हुए से

ऊंघते अनमने जंगल.

झाड़ ऊंचे और नीचे,

चुप खड़े हैं आंख मीचे,

घास चुप है, कास चुप है

मूक शाल, पलाश चुप है.

बन सके तो धंसो इनमें,

धंस न पाती हवा जिनमें,

सतपुड़ा के घने जंगल

ऊंघते अनमने जंगल.

चलो इन पर चल सको तो

सड़े पत्ते, गले पत्ते,

हरे पत्ते, जले पत्ते,

वन्य पथ को ढंक रहे-से

पंक-दल में पले पत्ते।

चलो इन पर चल सको तो,

दलो इनको दल सको तो,

ये घिनौने, घने जंगल

नींद में डूबे हुए से

ऊंघते अनमने जंगल.

पैर को पकड़ें अचानक

अटपटी-उलझी लताएं,

डालियों को खींच खाएं,

पैर को पकड़ें अचानक,

प्राण को कस लें कपाएं.

सांप सी काली लताएं

बला की पाली लताएं

लताओं के बने जंगल

नींद में डूबे हुए से

ऊंघते अनमने जंगल.

मकड़ियों के जाल मुंह पर

मकड़ियों के जाल मुंह पर,

और सर के बाल मुंह पर

मच्छरों के दंश वाले,

दाग काले-लाल मुंह पर,

वात-झन्झा वहन करते,

चलो इतना सहन करते,

कष्ट से ये सने जंगल,

नींद मे डूबे हुए से

ऊंघते अनमने जंगल.

अजगरों से भरे जंगल

अजगरों से भरे जंगल

अगम, गति से परे जंगल

सात-सात पहाड़ वाले,

बड़े-छोटे झाड़ वाले,

शेर वाले बाघ वाले,

गरज और दहाड़ वाले,

कम्प से कनकने जंगल,

नींद मे डूबे हुए से

ऊंघते अनमने जंगल.

इन वनों के खूब भीतर,

चार मुर्गे, चार तीतर

पाल कर निश्चिन्त बैठे,

विजनवन के बीच बैठे,

झोंपड़ी पर फूस डाले

गोंड तगड़े और काले।

जब कि होली पास आती

जब कि होली पास आती,

सरसराती घास गाती,

और महुए से लपकती,

मत्त करती बास आती,

गूंज उठते ढोल इनके,

गीत इनके, बोल इनके

सतपुड़ा के घने जंगल

नींद मे डूबे हुए से

उंघते अनमने जंगल.

जागते अंगड़ाइयों में,

खोह-खड्डों खाइयों में,

घास पागल, कास पागल,

शाल और पलाश पागल,

लता पागल, वात पागल,

डाल पागल, पात पागल

मत्त मुर्गे और तीतर,

इन वनों के खूब भीतर.

क्षितिज तक फ़ैला हुआ-सा

क्षितिज तक फ़ैला हुआ-सा,

मृत्यु तक मैला हुआ-सा,

क्षुब्ध, काली लहर वाला

मथित, उत्थित जहर वाला,

मेरु वाला, शेष वाला

शम्भु और सुरेश वाला

एक सागर जानते हो,

उसे कैसा मानते हो?

ठीक वैसे घने जंगल,

नींद मे डूबे हुए से

ऊंघते अनमने जंगल।

धंसो इनमें डर नहीं है,

मौत का यह घर नहीं है,

उतर कर बहते अनेकों,

कल-कथा कहते अनेकों,

नदी, निर्झर और नाले,

इन वनों ने गोद पाले.

लाख पंछी सौ हिरन-दल

लाख पंछी सौ हिरन-दल,

चांद के कितने किरण दल,

झूमते बन-फूल, फलियां,

खिल रहीं अज्ञात कलियां,

हरित दूर्वा, रक्त किसलय,

पूत, पावन, पूर्ण रसमय

सतपुड़ा के घने जंगल,

लताओं के बने जंगल.

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