नर्मदापुरम। दशहरे के लिए रावण, कुंभकरण व मेघनाद के पुतलने बनाने वाले शकूर बताते हैं कि उन्हें ये अच्छा लगता है. ये काम उनकी तीन पीढ़ियों से लगातार किया जा रहा है. शकूर बताते हैं कि महंगाई के चलते इन पुतलों का दाम भी बढ़ गए हैं. पहले जब इनको बनाते थे, तब रावण, मेघनाथ, कुंभकर्ण बनाने में 50 हजार खर्च आता था. लेकिन अब इनके दाम में भी बढ़ोतरी हो गई है. महंगाई के साथ-साथ अब तीनों को बनाने में करीब ढाई लाख रुपए तक का खर्चा आता है.
डेढ़ माह लगता है पुतले बनाने में : शकूर के अनुसार बांस की पिंचियां, लकड़ी, कपड़े, घास, कलर सहित अन्य सामानों की इसमें आवश्यकता पड़ती है. लकड़ी का ढांचा बनाने में बांस की पिंचियों का उपयोग होता है, जिन्हें मजबूत बांधा जाता है. वह बताते हैं कि इसके बाद इसके ऊपर कपड़े से सिलाई की जाती है. बाद में उसे कलर से पुताई की जाती है. इसे बनाने में करीब 45 दिन का समय लग जाता है. इसको लेकर काफी कठिनाइयों भी आती हैं. इस दौरान यदि बारिश होती है तो तीनों पुतलों को पन्नियों से ढंक कर रखा जाता है. पूरा बनने के बाद इन्हें रामलीला मैदान में पहुंचाया जाता है, जहां इनका दहन किया जाता है.
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ढाई लाख में तैयार होते हैं तीनों पुतले : शाकिर अली बताते हैं कि रावण, मेघनाथ व कुंभकरण के पुतले बनाते हुए उनकी तीसरी पीढ़ी हो गई है. इन पुतलों को बनाने में उनके साथ में एक हेल्पर और परिवार भी काम करता है. घर के लोग सिलाई एवं अन्य कामों में पुतला बनाते समय हाथ बंटाते हैं. पुतले बनाने में करीब 45 दिन का समय लगता है. उन्होंने बताया कि बचपन से ही पुतलों को बनाता आ रहा हूं. पुतले बनाने में करीब ढाई लाख रुपए खर्च आता है. इसके साथ ही शाकिर मोहर्रम में ताजिए भी बनाते हैं.