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होशंगाबाद: सागर स्व-सहायता समूह की पहल, इस दिवाली गोबर के दियों से रोशन होंगे घर-आंगन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'वोकल फॉर लोकल' की अपील का असर होशंगाबाद जिले के सिवनी मालवा तहसील में भी देखने को मिला. जहां इस दिवाली महिलाएं गोबर के दीये तैयार कर रही हैं.

dung lamps
इस दीवाली गोबर के दीये
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Published : Nov 12, 2020, 12:17 PM IST

Updated : Nov 12, 2020, 8:22 PM IST

होशंगाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'वोकल फॉर लोकल' की अपील का असर सिवनी मालवा तहसील के ग्राम नीमनपुर देखने को मिला. गौशाला का संचालन करने वाले सागर स्व-हायता समूह की महिलाएं मिट्टी और गोबर को मिलाकर दीपक बना रही हैं. महिलाओं का यह समूह दिवाली के लिए दीये बना रहा है. गोबर से दीये बनाकर ये महिलाएं ग्रामीण अंचल के लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश दे रही हैं.

महिलाओं कहना है कि, हम पहली बार गोबर के दीये बना रही हैं. एक दीये को बनाने में दो से तीन मिनट का समय लगता है. पहले तो गोबर, मिट्टी सहित अन्य पदार्थो को मिलाकर दीपक बनाने का कच्चा माल तैयार किया जाता है. इसके बाद स्व-सहायता समूह की महिलाएं साथ मिलकर दीपक तैयार करती हैं. महिलाएं सांचे में मिट्टी और गोबर से बना मटेरियल डालकर दीपक तैयार करती हैं. जिसके बाद इन तैयार दीयों को धूप में रखकर सुखाया जाता है. धूप में सूखे हुए दीयों को रंगकर तैयार किया जाता है. अब ये तैयार दीया उपयोग के लिए तैयार है. उपयोग के बाद इन दीयों को घरों में रखे गमलों में रख देगें, तो आसानी से मिट्टी में मिल जाएंगे. साथ ही गोबर मिला होने की वजह से पौधों के लिए लाभदायक भी साबित होगा.

होशंगाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'वोकल फॉर लोकल' की अपील का असर सिवनी मालवा तहसील के ग्राम नीमनपुर देखने को मिला. गौशाला का संचालन करने वाले सागर स्व-हायता समूह की महिलाएं मिट्टी और गोबर को मिलाकर दीपक बना रही हैं. महिलाओं का यह समूह दिवाली के लिए दीये बना रहा है. गोबर से दीये बनाकर ये महिलाएं ग्रामीण अंचल के लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश दे रही हैं.

महिलाओं कहना है कि, हम पहली बार गोबर के दीये बना रही हैं. एक दीये को बनाने में दो से तीन मिनट का समय लगता है. पहले तो गोबर, मिट्टी सहित अन्य पदार्थो को मिलाकर दीपक बनाने का कच्चा माल तैयार किया जाता है. इसके बाद स्व-सहायता समूह की महिलाएं साथ मिलकर दीपक तैयार करती हैं. महिलाएं सांचे में मिट्टी और गोबर से बना मटेरियल डालकर दीपक तैयार करती हैं. जिसके बाद इन तैयार दीयों को धूप में रखकर सुखाया जाता है. धूप में सूखे हुए दीयों को रंगकर तैयार किया जाता है. अब ये तैयार दीया उपयोग के लिए तैयार है. उपयोग के बाद इन दीयों को घरों में रखे गमलों में रख देगें, तो आसानी से मिट्टी में मिल जाएंगे. साथ ही गोबर मिला होने की वजह से पौधों के लिए लाभदायक भी साबित होगा.

Last Updated : Nov 12, 2020, 8:22 PM IST
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