होशंगाबाद। इटारसी इन दिनों जिले का सबसे बड़ा कोरोना हॉटस्पॉट बना हुआ है, इसके बावजूद सिविल अस्पताल में MD और कई डॉक्टरों की कमी बनी हुई है. मार्च के महीने में जैसे ही प्रदेश में कोरोना संक्रमण ने प्रवेश किया था, उसी दौरान तत्कालीन CMHO (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) ने कोरोना से निपटने के लिए दो डॉक्टरों की पदस्थापना कोरोना वार्ड के लिए की थी, जिनमें डॉक्टर अनमोल वर्मा और शिविका भल्ला शामिल थीं, लेकिन महज 15 दिनों बाद ही CMHO ने इन्हें वापस होशंगाबाद बुला लिया, जबकि वहां पर पहले से ही कई विशेषज्ञ और डॉक्टरों का पर्याप्त स्टाफ है. अब जिले का हॉटस्पॉट एक शिशु रोग विशेषज्ञ और दंत चिकित्सक के हाथों में है. ऐसे में स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही खुलकर देखने को मिल रही है.
शिशु रोग विशेषज्ञ और दंत चिकित्सक के जिम्मे कोविड वार्ड
स्वास्थ महकमे की लापरवाही से अब ऐसा लगने लगा है कि अब कोरोना मरीजों पर कोई ध्यान नहीं देना चाहता है. इटारसी का कोविड वार्ड इन दिनों शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एके शिवानी और दंत चिकित्सक के जिम्मे है. यहां पहले ही एक डॉक्टर संक्रमित हो चुका है और ऊपर से डॉ. एके शिवानी पर अधीक्षक के साथ ही कई जवाबदारियां थोप दी गई हैं, जो कि कहीं न कहीं उनके मनोबल को तोड़ता है.
कई बार इस संबंध में सार्वजनिक रूप से अस्पताल अधीक्षक डॉ. एके शिवानी ने अपनी परेशानी व्यक्त की है, उसके बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जिसके बाद अब सवाल यह उठता है कि इटारसी में कोरोना से निपटने के लिए पदस्थ किए गए दो डॉक्टरों को आखिर क्यों और किन कारणों से ऐसी जगह का जिम्मा सौंपा गया है. हालांकि पूर्व CMHO के कार्यकाल में जो भी गड़बड़झाला हुआ है. उसका रोजाना परत दर परत खुलासा होता जा रहा है.
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अब देखना ये होगा कि स्वास्थ्य महकमा कब तक कोविड मरीजों के लिए कई डॉक्टरों को इटारसी ट्रांसफर करता रहेगा या फिर इसी तरह कोरोना संक्रमित मरीजों की जान से खिलवाड़ का खेल जारी रहेगा.