होशंगाबाद। मध्यप्रदेश की जीवन रेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी को साफ स्वच्छ रखने के लिए प्रदेश सरकार सहित कई निजी संस्थाएं लगातार काम करती आ रही हैं. लॉकडाउन के दौरान निर्मल हुई नर्मदा अब एक बार फिर प्रदूषित हो गई है. मई के महीने में जिले के सेठानी घाट पर पानी की गुणवत्ता चेक करने वाले प्रोफेसरों ने शुद्धता की मुहर लगा दी थी. लेकिन अब करीब 6 महीने बाद नर्मदा का पानी पीने योग्य नहीं पाया गया है.
लॉकडाउन में प्रकृति पर अच्छा असर पड़ा था. नर्मदा नदी का नया रूप देखने को मिला था. नर्मदा बेहद साफ और निर्मल हो चली थी लेकिन करीब 6 महीने बाद फिर नर्मदा उसी स्थिति में आ पहुंची है जो करीब 6 महीने पहले थी. वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर रवि उपाध्याय ने नर्मदा के पानी का अलग-अलग जगहों पर परीक्षण किया, जिसमें पानी का पीएच, विजिबिलिटी, ऑक्सीजन, टोटल कॉलीफॉर्म, टोटल सस्पेंडेड जैसे मानकों पर जांच की गई.
6 महीने में आया इतना अंतर
मात्रक | पहले | अब |
---|---|---|
पीएच | 7 | 9 |
घुलित ऑक्सीजन | 6 mg to 8 mg | 5 mg |
टोटल कॉलीफॉर्म | 25 से कम | 150 से 200 |
टीडीएस | 110 | 176 |
विजिबिलिटी | 85 cm | 30 से 35 cm |
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नर्मदा नदी मे गंदगी बढ़ गई
नर्मदा नदी में 6 महीने के अंदर करीब सभी मापदंड में बढ़ोतरी देखी गई है. नर्मदा नदी में लॉकडाउन के दौरान मछलियों को आसानी से देखा जा सकता था. 85 सेंटीमीटर तक आसानी से विजिबिलिटी दिखाई देती थी जो कि अब 30 से 35 सेंटीमीटर तक पहुंच गई है. साथ ही जलीय जीव के लिए महत्वपूर्ण घुलित ऑक्सीजन में भी अंतर देखने को मिला है. पानी का टीडीएस भी कम हो चला है. पानी मे क्षार की मात्रा बढ़ रही है जो 110 से 176 पर पहुंच गया है. इसके अलावा पानी में पीएच भी बढ़ गया है.
आचमन करने लायक नहीं बचा नर्मदा जल
नर्मदा नदी का पानी इतना स्वच्छ और निर्मल हो चला था कि नदी का पानी बिना फिल्टर के ही पिया जा सकता था. लेकिन मानवीय क्रियाओं के चलते 6 महीने बाद ही नर्मदा का जल आचमन करने लायक भी नहीं बचा है. नदी के घाटों पर गंदगी तैरती हुई दिखाई दे रही है. किनारों पर पानी अशुद्ध हो चला है. प्रोफेसर रवि उपाध्याय बताते हैं कि नर्मदा के जल मे गंदगी बढ़ गई है लेकिन दूसरी बड़ी नदियों से नर्मदा साफ दिखाई दे रही है.
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क्यों हुआ नर्मदा का जल प्रदूषित
अनलॉक के दौरान भी प्रशासन ने कई बड़े पर्वों के दौरान स्नान पर रोक लगाई थी, उसके बाद भी नर्मदा में अशुद्धि जमकर घुल गई है. नर्मदा मंदिर के पुजारी आचार्य गोपाल प्रसाद खड्डर के मुताबिक लगातार लोग नर्मदा नदी में नहाने बड़ी संख्या में आ रहे हैं. साथ ही कपड़े धोने, नाले की गंदगी और गणेशोत्सव सहित नवरात्र के दौरान बड़ी संख्या में मूर्ति के विसर्जन से निकलने वाले रासायनिक रंगों के चलते पानी में अशुद्धियां पहुंच गई हैं. हालांकि नदी के बीच धारा में पानी थोड़ा ठीक स्थिति में है लेकिन घाटों पर गंदगी देखने को मिल रही है.
फिलहाल बड़े पर्व पर प्रशासन की रोक
वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण काल के कारण नर्मदा के घाटों पर आंशिक रूप से त्योहारों पर स्नान पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगाया हुआ है. ज्यादातर बड़े पर्व पर लोगों की आवाजाही को रोका गया है. इसके बावजूद नर्मदा का जलस्तर आचमन करने लायक नहीं बचा है. अब अनलॉक-5 के बाद प्रशासन पूरी तरह से रोक हटा दें तो नर्मदा के जल में प्रदूषण के स्तर का अंदाजा लगाया जा सकता है.
120 किलोमीटर तक होशंगाबाद जिले मे बहती है नर्मदा
नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है. यह मध्यप्रदेश में 1077 किलोमीटर तक बहती है. नर्मदा का सबसे लंबा तट होशंगाबाद जिले मे मौजूद है. यह जिले में बनखेड़ी के उमरधा से सिवनी मालवा के रामगढ़ गांव तक 120 किलोमीटर मे बहती है. यह नदी प्रदेश के दो शहरों भोपाल और इंदौर शहर में पानी की पूर्ति करती है.