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दिव्यांग बच्चों ने बनाए फूलों से ईको फ्रेंडली कलर, लोगों में बढ़ी डिमांड - flowers eco friendly color

होशंगाबाद के एनीबेसेंट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे होली खेलने के लिए हर्बल कलर बना रहे हैं, जो पूरी तरह से नेचुरल हैं.

children made eco-friendly colors with flowers in hoshangabad
फूलों के ईको फ्रेंडली कलर
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Published : Mar 9, 2020, 2:09 PM IST

Updated : Mar 9, 2020, 3:16 PM IST

होशंगाबाद। देश में कोरोना वायरस के चलते होली खेलने से परहेज किया जा रहा है. इसी के चलते होशंगाबाद के कुछ दिव्यांग बच्चों ने हर्बल कलर का निर्माण किया है, जिन्हें आमजन द्वारा जमकर सराहा जा रहा है.

होशंगाबाद के एनीबेसेंट स्कूल में पढ़ने वाले ये बच्चे जिन्हें सही तरह से दुनिया का ज्ञान भी नहीं है, वे लोगों के लिए फूलों से हर्बल रंग बना रहे हैं. इसके लिए पिछले डेढ़ महीने से भगवान को चढ़ने वाले फूलों को कई मंदिरों से लाकर उन्हें इकट्ठा किया गया. इसके बाद इसे सुखाकर हर्बल रंगों का निर्माण किया जा रहा है.

साथ ही टेसू के फूलों से भी नेचुरल कलर बनाया जा रहा है, जिन्हें लोग बहुत पसंद कर रहे हैं. ये बच्चे अपने शिक्षकों की मदद से इन फूल और पत्तों से हर्बल कलर बनाते हैं. इन रंगों को बनाने में अन्य प्राकृतिक चीजों का भी उपयोग किया जाता है.

पूरी तरह से ये रंग होते हैं प्राकृतिक

बच्चों को ट्रेनिंग देने वाले राजीव मिश्रा ने बताया कि ये रंग पूरी तरह से हर्बल हैं, इसमें किसी भी कॉस्मेटिक का उपयोग नहीं किया गया है. इन रंगों को लोग जमकर खरीद रहे हैं. राजीव मिश्रा ने बताया कि ये बच्चे पिछले डेढ़ महीने से हर्बल रंग बना रहे हैं, जो त्वचा के लिए बिल्कुल सेफ है.

कैसे बनते हैं हर्बल रंग

प्राकतिक रंगों में फूलों के साथ खाद्य साम्रगी का उपयोग भी किया जाता है, जिसमें दाल, चावल, आटा और फूलों को पीसकर मिलाया जाता है. साथ ही खाने में डालने वाले रंगों को भी डाला जाता है. जिससे अलग-अलग रंग निखरकर आ जाते हैं.

होशंगाबाद। देश में कोरोना वायरस के चलते होली खेलने से परहेज किया जा रहा है. इसी के चलते होशंगाबाद के कुछ दिव्यांग बच्चों ने हर्बल कलर का निर्माण किया है, जिन्हें आमजन द्वारा जमकर सराहा जा रहा है.

होशंगाबाद के एनीबेसेंट स्कूल में पढ़ने वाले ये बच्चे जिन्हें सही तरह से दुनिया का ज्ञान भी नहीं है, वे लोगों के लिए फूलों से हर्बल रंग बना रहे हैं. इसके लिए पिछले डेढ़ महीने से भगवान को चढ़ने वाले फूलों को कई मंदिरों से लाकर उन्हें इकट्ठा किया गया. इसके बाद इसे सुखाकर हर्बल रंगों का निर्माण किया जा रहा है.

साथ ही टेसू के फूलों से भी नेचुरल कलर बनाया जा रहा है, जिन्हें लोग बहुत पसंद कर रहे हैं. ये बच्चे अपने शिक्षकों की मदद से इन फूल और पत्तों से हर्बल कलर बनाते हैं. इन रंगों को बनाने में अन्य प्राकृतिक चीजों का भी उपयोग किया जाता है.

पूरी तरह से ये रंग होते हैं प्राकृतिक

बच्चों को ट्रेनिंग देने वाले राजीव मिश्रा ने बताया कि ये रंग पूरी तरह से हर्बल हैं, इसमें किसी भी कॉस्मेटिक का उपयोग नहीं किया गया है. इन रंगों को लोग जमकर खरीद रहे हैं. राजीव मिश्रा ने बताया कि ये बच्चे पिछले डेढ़ महीने से हर्बल रंग बना रहे हैं, जो त्वचा के लिए बिल्कुल सेफ है.

कैसे बनते हैं हर्बल रंग

प्राकतिक रंगों में फूलों के साथ खाद्य साम्रगी का उपयोग भी किया जाता है, जिसमें दाल, चावल, आटा और फूलों को पीसकर मिलाया जाता है. साथ ही खाने में डालने वाले रंगों को भी डाला जाता है. जिससे अलग-अलग रंग निखरकर आ जाते हैं.

Last Updated : Mar 9, 2020, 3:16 PM IST
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