नर्मदापुरम। विद्या विज्ञान कार्यक्रम के अंतर्गत नर्मदापुरम की रहने वाली विज्ञान प्रसारिका सारिका घारू ने बुद्ध पूर्णिमा पर होने वाले चंद्र ग्रहण को लेकर जानकारी सांझा की है. सारिका ने बताया कि "शुक्रवार यानि 5 मई, बुद्ध पूर्णिमा के दिन चंद्रमा उपछाया ग्रहण के साये में होगा, इसमें चांदनी कुछ फीकी सी होगी." कहा जा रहा है कि बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण 130 साल बाद होने जा रहा है, जबकि ऐसा कुछ नहीं है, साल 2021 में भी बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण लगा था.
कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण: नर्मदापुरम की रहने वाली नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि "साल का पहला चंद्र ग्रहण शाम 8 बजकर 44 मिनिट से यह ग्रहण आरंभ होकर, रात्रि 1 बजकर 1 मिनिट पर समाप्त होगा. 4 घंटे 18 मिनिट अवधि के इस ग्रहण का मध्यकाल रात 10 बजकर 52 मिनिट पर होगा, यह उपछाया ग्रहण एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी पश्चिमी यूरोप में दिखाई देगा. विश्व की कुल आबादी का लगभग 83 प्रतिशत लोग इसका कुछ न कुछ भाग तथा लगभग 56 प्रतिशत लोग इस पूरे ग्रहण को देख सकेंगे."
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चंद्र ग्रहण के अलग-अलग नाम: सारिका ने विद्या विज्ञान कार्यक्रम में बताया कि "इस घटना के समय सूरज और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जायेगी, इससे पृथ्वी की छाया और उपछाया दोनों बनेंगी. इस ग्रहण के समय चंद्रमा उपछाया वाले भाग से होकर निकलेगा, जिससे ग्रहण के दौरान चंद्रमा की चमक फीकी पड़ जायेगी. बुद्ध पूर्णिमा के इस चंद्रमा को पश्चिमी देशों में वहां इस मौसम में प्रचुर मात्रा में खिलने वाले फूलों के कारण फ्लॉवर मून नाम दिया गया है. नेटिव अमेरिकी इसे बडिंग मून, एग लेयिंग मून, प्लाटिंग मून नाम से भी पुकारते हैं."
2 साल बाद बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण: सारिका ने बताया कि "सोशल मीडिया पर बताया जा रहा है कि 130 सालों बाद बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण हो रहा है, जबकि 26 मई 2021 को दिखा चंद्र ग्रहण बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही था. इसके अलावा कुछ रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि इस ग्रहण के समय चंद्रमा पास होगा, जबकि 5 मई को चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 3 लाख 80 हजार किमी दूर रहेगा. यह दूरी कम नहीं मध्यम दूरी है, जबकि कम दूरी में सुपरमून के समय यह दूरी 3 लाख 60 हजार किमी के लगभग रह जाती है."