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कॉलेज में प्रोफेसरों का है टोटा, किसके भरोसे पढ़ेंगे स्टूडेंट

होशंगाबाद जिले में कुल 13 सरकारी कॉलेज हैं और 264 सहायक अध्यापकों के पद हैं, जिनमें146 पद कई सालों से खाली हैं और इनकी जगह अतिथि विद्वानों से काम चलाया जा रहा है.

होशंगाबाद जिले में कुल 13 सरकारी कॉलेज हैं
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Published : Jul 4, 2019, 11:53 PM IST

होशंगाबाद। होशंगाबाद जिले के 13 शासकीय कॉलेजों में आधे से अधिक प्रोफ़ेसर के पद खाली पड़े हुए हैं. कई कॉलेज तो अतिथि विद्वानों के भरोसे चलाए जा रहे हैं.दूसरी और कॉलेजों में प्रोफ़ेसर की संख्या लगातार घटती जा रही है.

कैसे सुधरे उच्च शिक्षा 50 प्रतिशत से अधिक प्रोफेसर के पद खाली

जिले के 13 सरकारी कॉलेज में करीब 10 हजार से ज्यादा स्टूडेंट हैं लेकिन यहां प्रोफेसरों के टोटे हैं. इन कॉलेजों में आधे से अधिक प्रोफेसर के पद खाली पड़े हुए हैं महाविद्यालय में 264 सहायक अध्यापकों के पद हैं, जिनमें146 पद कई सालों से खाली हैं और इनकी जगह अतिथि विद्वानों से काम चलाया जा रहा है. जिले के महाविद्यालयों की हालत इसी बात से समझी जा सकती है की जिले के करीब आधा दर्जन महाविद्यालय सिर्फ अतिथि विद्वानों के भरोसे ही चल रहे हैं.

13 कॉलेजों में से केवल एक कॉलेज में ही प्राचार्य हैं वहीं 12 कॉलेज में सहायक प्राचार्य के रूप में प्रोफेसर कॉलेज का संचालन कर रहे हैं. इस दौरान अतिथि विद्वानों से कॉलेजों को चलाया जा रहा है, इन सब में सबसे ज्यादा बुरे हाल बनखेड़ी, डोलरिया ,सिवनी-मालवा और सूखतावा क्षेत्र का है, जहां कॉलेजों में एक-एक प्रोफेसर ही हैं.

होशंगाबाद। होशंगाबाद जिले के 13 शासकीय कॉलेजों में आधे से अधिक प्रोफ़ेसर के पद खाली पड़े हुए हैं. कई कॉलेज तो अतिथि विद्वानों के भरोसे चलाए जा रहे हैं.दूसरी और कॉलेजों में प्रोफ़ेसर की संख्या लगातार घटती जा रही है.

कैसे सुधरे उच्च शिक्षा 50 प्रतिशत से अधिक प्रोफेसर के पद खाली

जिले के 13 सरकारी कॉलेज में करीब 10 हजार से ज्यादा स्टूडेंट हैं लेकिन यहां प्रोफेसरों के टोटे हैं. इन कॉलेजों में आधे से अधिक प्रोफेसर के पद खाली पड़े हुए हैं महाविद्यालय में 264 सहायक अध्यापकों के पद हैं, जिनमें146 पद कई सालों से खाली हैं और इनकी जगह अतिथि विद्वानों से काम चलाया जा रहा है. जिले के महाविद्यालयों की हालत इसी बात से समझी जा सकती है की जिले के करीब आधा दर्जन महाविद्यालय सिर्फ अतिथि विद्वानों के भरोसे ही चल रहे हैं.

13 कॉलेजों में से केवल एक कॉलेज में ही प्राचार्य हैं वहीं 12 कॉलेज में सहायक प्राचार्य के रूप में प्रोफेसर कॉलेज का संचालन कर रहे हैं. इस दौरान अतिथि विद्वानों से कॉलेजों को चलाया जा रहा है, इन सब में सबसे ज्यादा बुरे हाल बनखेड़ी, डोलरिया ,सिवनी-मालवा और सूखतावा क्षेत्र का है, जहां कॉलेजों में एक-एक प्रोफेसर ही हैं.

Intro:होशंगाबाद जहां एक तरफ सरकार शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की कोशिश कर रही है वहीं दूसरी और कॉलेजों में प्रोफ़ेसर की संख्या लगातार घटती जा रही है होशंगाबाद जिले के 13 शासकीय कॉलेजों के मैं आधे से अधिक पद खाली पड़े हुए हैं ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता कैसे मिल पाएगी यह बड़ा सवाल निकल कर आता है कई कॉलेज तो अतिथि विद्वानों के भरोसे जिले में चलाए जा रहे हैं


Body:जिले के मैं 13 शासकीय कॉलेज मैं करीब 10,000 से अधिक स्टूडेंट है जो हायर एजुकेशन के लिए कॉलेज में एडमिशन लिया है लेकिन होशंगाबाद के सभी शासकीय कॉलेज खाली प्रोफेसरों की समस्या से जूझ रहे हैं जिले के 13 महाविद्यालयों में से आधी से अधिक प्रोफेसर के पद खाली पड़े हुए हैं महाविद्यालय में 264 सहायक अध्यापको के पद हैं लेकिन जिनमें से आधे से भी अधिक पद खाली पड़े हुए हैं कुल 146 सहायक अध्यापक एवं पदकों के पद रिक्त है विनय कई सालों से नहीं भरा जा सका है जिनकी जगह पर अतिथि विद्वानों से काम चलाया जा रहा है जिले के महाविद्यालयों की हालत इसी बात से समझी जा सकती है की जिले के करीब आधा दर्जन महाविद्यालय में तो पूर्णता अतिथि विद्वान ही है जो कॉलेजों का संचालन कर रहे हैं वही कुल 13 कॉलेजों में से केवल एक कॉलेज में ही प्राचार्य हैं वहीं 12 कॉलेज जो मे सहायक प्राचार्य के रूप में प्रोफेसर कॉलेज का संचालन कर रहे हैं इस दौरान अतिथि विद्वानों से कॉलेजों को चलाया जा रहा है इन सब में सबसे अधिक बुरे हाल बनखेड़ी, डोलरिया ,सिवनी मालवा और सूखतावा क्षेत्र का है जहां एक एक प्रोफेसर ही कॉलेजों को संचालित कर रहे है ।


Conclusion:उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए जल्द से जल्द प्रोफेसर की नियुक्ति करना आवश्यक है बिना प्रोफेसरों के कॉलेज में स्टूडेंट को घर के नजदीक ही एजुकेशन मिलना संभव नहीं है इसी के चलते ग्रामीण क्षेत्र से स्टूडेंट शहरी क्षेत्र की ओर पलायन कर रहे हैं।

बाइट कामिनी जैन ( प्रिंसिपल गर्ल्स कॉलेज )
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