हरदा। मध्य प्रदेश के हरदा जिले में समर्थन मूल्य पर चल रही गेहूं खरीदी के दौरान शासन द्वारा खरीदा गया करीब पांच लाख क्विंटल से ज्यादा गेहूं खुले आसमान में पड़ा हुआ है, जिसकी कीमत करीब 100 करोड़ रुपए के आसपास है. नागरिक आपूर्ति निगम की लापरवाही के चलते खरीदी केंद्र पर रखे गेहूं का परिवहन धीमी गति से होने से शासन को बदलते मौसम की वजह से बड़ा नुकसान हो सकता हैं.
रविवार की रात गरज चमक के साथ हुई बारिश की वजह से खुले आसमान में रखे गेहूं को प्लास्टिक की पन्नी से ढककर समिति के कर्मचारियों ने बचाने की कोशिश की. हालांकि, बारिश ज्यादा नहीं हुई जिस वजह से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है. लेकिन बदलते मौसम और अचानक तेज बारिश से किसानों की मेहनत से तैयार किया गया गेहूं खराब हो सकता है, जिससे कि शासन को बड़ा नुकसान हो सकता है.
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25 मई से शुरू हुए समर्थन मूल्य पर हरदा जिले के खरीदी का लक्ष्य करीब पचास लाख क्विंटल है, जिसमें अब तक 34 लाख क्विंटल की खरीदी जिले के 155 खरीदी केंद्रों पर हो चुकी है. जिले के खरीदी केंद्रों पर अब तक 34 हजार 61 किसानों से 34 लाख क्विंटल गेहूं खरीद कर 22 हजार 879 किसानों को भुगतान किया जा चुका है. वहीं 12 हजार किसानों को भुगतान किया जाना अब भी बाकी है. हरदा जिले की 155 खरीदी केंद्रों पर जिला सहकारी बैंक की 52 सोसायटियां गेहूं खरीदी का काम कर रही हैं. खरीदी केंद्रों पर शासन ने किसानों से खरीदा गया करीब पांच लाख की कीमत से ज्यादा मूल्य का गेहूं खुले आसमान में पड़ा हुआ है. नागरिक आपूर्ति निगम ने खरीदे गए गेहूं में से अब तक 29 लाख 15 हजार के करीब गेहूं का परिवहन कर लिया है.
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हरदा खुर्द गेहूं खरीदी केंद्र प्रभारी ने बताया कि उनके द्वारा अब तक करीब 31 हजार क्विंटल गेहूं खरीदा जा चुका है, जिसमें से अभी चार हजार क्विंटल गेहूं खुले आसमान में पड़ा है. बीती रात हुई बारिश से बचाने के लिए उन्होंने त्रिपाल ढ़ककर गेहूं को बचाया. उनका कहना है कि जिस ट्रांसपोर्टर को गेहूं परिवहन करने को टेंडर मिला हैं, उसके द्वारा धीमी गति से गेहूं को उठाया जा रहा है. जिसके चलते इतनी बड़ी मात्रा में उनके केंद्र पर गेहूं खुले में पड़ा हुआ है.
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जिला सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी सतीश सटोके ने बताया कि हरदा जिले की सोसायटियों में करीब 50 हजार क्विंटल गेहूं खुले आसमान में पड़ा हुआ है, जिसकी कीमत 100 करोड़ से ज्यादा है. उन्होंने कहा कि नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की उदासीनता के चलते गेहूं परिवहन की गति धीमी हैं. ट्रांसपोर्टर के पास पर्याप्त मात्रा में वाहन उपलब्ध नहीं है जबकि उनके द्वारा ठेके के पूर्व वाहन पर्याप्त मात्रा में होने की बात कही गई थी. जिस वजह से काम धीमा है.