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'जलदान' : सूखी नहर में पानी डालकर फसलों को दे रहे हैं जीवन दान, 'टेल टू हेड' नाम से निभा रहे भाईचारा

हरदा जिले के किसानों ने करीब मूंग की फसल सवा लाख हेक्टेयर में लगाई है. लेकिन फसल की सिंचाई के लिए नहर का पानी मिलना बीते 10 दिनों से बंद हो गया है. ग्राम सोनखेड़ी के किसानों ने अपने खेत में पर्याप्त पानी होने के बाद, पड़ोस के किसानों की सूख रही फसल को बचाने के लिए सूखी नहर में देना शुरु कर दिया है. खुद के खेत में लगे निजी जल स्रोतों से नहरों में पानी छोड़कर वॉटर डोनेशन (Water Donation) का वो काम कर रहे हैं.

Sonkhedi Village Harda
नहर का पानी
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Published : May 17, 2021, 7:49 AM IST

Updated : May 17, 2021, 2:25 PM IST

हरदा। आपने किसानों के बीच अपने खेतों में नहर के पानी लेने को लेकर विवाद के बारे में पढ़ा ही होगा. लेकिन मध्यप्रदेश के हरदा जिले के ग्राम सोनखेड़ी के कुछ किसानों ने भाईचारे और परमार्थ की एक अनूठी मिसाल पेश की है. हरदा जिले के किसानों ने मूंग की फसल करीब सवा लाख हेक्टेयर में लगाई है. लेकिन क्षेत्र में किसानों को अपनी फसल के लिए नहर का पानी मिलना बीते 10 दिनों से बंद हो गया. जिसके चलते सैकड़ों एकड़ में लगी मूंग की फसल सूखने की कगार पर आ गई. ऐसे में ग्राम सोनखेड़ी के किसानों ने अपने खेत में पर्याप्त पानी होने के बाद उनके पड़ोस के किसानों की सूख रही फसल को बचाने के लिए निजी जल स्रोतों से सूखी पड़ी नहर में पानी छोड़ना शुरु किया. आस-पड़ोस के कई किसानों की मुरझाती फसल को इससे जीवनदान मिला.

निजी जल स्त्रोतों से पहुंचाया पानी

जल उपयोगिता समिति की बैठक

नहर विभाग के द्वारा जल उपयोगिता समिति की बैठक के दौरान हरदा जिले के किसानों के साथ चर्चा कर ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल के लिए करीब 60 हेक्टेयर में 50 से 55 दिनों के बीच तवा डैम से पानी छोड़े जाने की सहमति बनाई गई. बैठक में एमपी के कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसानों को ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल के लिए 'टेल-टू-हेड' नाम से कैंपेन शुरु करने का सुझाव दिया था. इसी के तहत किसानों ने नहर में पानी देने की शुरुआत की.

Sonkhedi Village Harda
निजी जल स्त्रोतों से पहुंचाया पानी

तूफान तौकते: जबलपुर में तेज आंधी- बारिश के साथ छाया अंधेरा

दबंग किसानों का 'स्वार्थ'

दूसरी ओर किसानों ने नहर और अन्य निजी जल स्रोतों से करीब सवा लाख हेक्टेयर में लगी मूंग की फसल की सिंचाई की. टेल एरिया के किसानों को उनके द्वारा लगाई गई मूंग की फसल के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा था. किसानों ने सरकर को चक्का जाम करने की चेतावनी भी दी थी. जिसके बाद कृषि मंत्री कमल पटेल के निर्देश पर तवा डैम से पानी भी छोड़ा गया. लेकिन दबंग और रसूखदार किसानों ने हैंडपंप लगाकर सिंचाई की. इसके कई किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिला.

Sonkhedi Village Harda
निजी जल स्त्रोतों से पहुंचाया पानी

भाईचारे से खेतों में पहुंचा पानी

ऐसे में ग्राम सोनखेड़ी के किसानों ने निर्णय लिया कि जब उनके खेत में लगी मूंग की फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल चुका है, तो फिर क्यों ना वह अपने पड़ोस और टेल एरिया के किसानों के लिए जलदान करें. अपने खेतों में लगे ट्यूबवेल के माध्यम से सूखी पड़ी नहर में पानी छोड़ कर फसल बचाने का काम किया गया. जिन किसानों के खेतों में ट्यूबवेल लगे हैं वो नहरों में अपने ट्यूबवेल से पानी छोड़कर टेल एरिया के किसानों को पानी उपलब्ध करा रहे हैं. जिससे कि सोनखेड़ी माइनर की इस शाखा से जुड़े करीब 200 एकड़ की फसल सूखने से बच गई. किसानों की सरकार से मांग है कि यदि उन्हें पर्याप्त मात्रा में बिजली उपलब्ध कराई जाए तो उनके द्वारा और भी एरिया में सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया जा सकता है.

हरदा। आपने किसानों के बीच अपने खेतों में नहर के पानी लेने को लेकर विवाद के बारे में पढ़ा ही होगा. लेकिन मध्यप्रदेश के हरदा जिले के ग्राम सोनखेड़ी के कुछ किसानों ने भाईचारे और परमार्थ की एक अनूठी मिसाल पेश की है. हरदा जिले के किसानों ने मूंग की फसल करीब सवा लाख हेक्टेयर में लगाई है. लेकिन क्षेत्र में किसानों को अपनी फसल के लिए नहर का पानी मिलना बीते 10 दिनों से बंद हो गया. जिसके चलते सैकड़ों एकड़ में लगी मूंग की फसल सूखने की कगार पर आ गई. ऐसे में ग्राम सोनखेड़ी के किसानों ने अपने खेत में पर्याप्त पानी होने के बाद उनके पड़ोस के किसानों की सूख रही फसल को बचाने के लिए निजी जल स्रोतों से सूखी पड़ी नहर में पानी छोड़ना शुरु किया. आस-पड़ोस के कई किसानों की मुरझाती फसल को इससे जीवनदान मिला.

निजी जल स्त्रोतों से पहुंचाया पानी

जल उपयोगिता समिति की बैठक

नहर विभाग के द्वारा जल उपयोगिता समिति की बैठक के दौरान हरदा जिले के किसानों के साथ चर्चा कर ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल के लिए करीब 60 हेक्टेयर में 50 से 55 दिनों के बीच तवा डैम से पानी छोड़े जाने की सहमति बनाई गई. बैठक में एमपी के कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसानों को ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल के लिए 'टेल-टू-हेड' नाम से कैंपेन शुरु करने का सुझाव दिया था. इसी के तहत किसानों ने नहर में पानी देने की शुरुआत की.

Sonkhedi Village Harda
निजी जल स्त्रोतों से पहुंचाया पानी

तूफान तौकते: जबलपुर में तेज आंधी- बारिश के साथ छाया अंधेरा

दबंग किसानों का 'स्वार्थ'

दूसरी ओर किसानों ने नहर और अन्य निजी जल स्रोतों से करीब सवा लाख हेक्टेयर में लगी मूंग की फसल की सिंचाई की. टेल एरिया के किसानों को उनके द्वारा लगाई गई मूंग की फसल के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा था. किसानों ने सरकर को चक्का जाम करने की चेतावनी भी दी थी. जिसके बाद कृषि मंत्री कमल पटेल के निर्देश पर तवा डैम से पानी भी छोड़ा गया. लेकिन दबंग और रसूखदार किसानों ने हैंडपंप लगाकर सिंचाई की. इसके कई किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिला.

Sonkhedi Village Harda
निजी जल स्त्रोतों से पहुंचाया पानी

भाईचारे से खेतों में पहुंचा पानी

ऐसे में ग्राम सोनखेड़ी के किसानों ने निर्णय लिया कि जब उनके खेत में लगी मूंग की फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल चुका है, तो फिर क्यों ना वह अपने पड़ोस और टेल एरिया के किसानों के लिए जलदान करें. अपने खेतों में लगे ट्यूबवेल के माध्यम से सूखी पड़ी नहर में पानी छोड़ कर फसल बचाने का काम किया गया. जिन किसानों के खेतों में ट्यूबवेल लगे हैं वो नहरों में अपने ट्यूबवेल से पानी छोड़कर टेल एरिया के किसानों को पानी उपलब्ध करा रहे हैं. जिससे कि सोनखेड़ी माइनर की इस शाखा से जुड़े करीब 200 एकड़ की फसल सूखने से बच गई. किसानों की सरकार से मांग है कि यदि उन्हें पर्याप्त मात्रा में बिजली उपलब्ध कराई जाए तो उनके द्वारा और भी एरिया में सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया जा सकता है.

Last Updated : May 17, 2021, 2:25 PM IST
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