हरदा। आजादी के बाद से लेकर अब तक मध्यप्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोगों को आबादी की भूमि के भूखंड का मालिकाना हक मिलने जा रहा है. इसको लेकर मध्य प्रदेश के हरदा और डिंडौरी जिले में सबसे पहले रिहायशी जमीन के सर्वे का कार्य शुरू किया जा रहा है. पहले चरण में प्रदेश के 10 जिलों को शामिल किया गया है. जिसमें मुरैना, शयोपुर, सागर, शहडोल, खरगोन, विदिशा, भोपाल शामिल हैं. इसके अंतर्गत तीसरे और अंतिम चरण में दावा आपत्ति लेकर उनका निराकरण कर संपत्ति धारकों को संपत्ति कार्ड के साथ अधिकार संबंधी दस्तावेज प्रशासन के द्वारा दिए जाएंगे. मालिकाना हक केवल उन्हीं को मिलेगा जो 25 सितंबर 2018 को आबादी भूमि पर काबिल थे, या फिर जिन्हें इस तारीख के बाद विधिवत आबादी भूमि में भूखंड आवंटित किया गया हो.
जिले के गांवों में आबादी की भूमि पर सालों से बसे ग्रामीणों को सर्वे के पश्चात भूखंड का मालिकाना हक मिलेगा. इसके आधार पर वो अपने मकानों को बनाने के लिए किसी भी बैंक से लोन ले सकेंगे. साथ ही संपत्तियों से जुड़े विवाद भी कम होंगे. वहीं संपत्ति के हस्तांतरण की प्रक्रिया भी आसान हो जाएगी और पारिवारिक विभाजन भी सरलता से किया जा सकेगा. साथ ही पंचायतों को अपने गांव के विकास की योजना बनाने में भी आसानी होगी. इसके साथ ही सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति पर किसी भी व्यक्ति के द्वारा अतिक्रमण नहीं किया जा सकेगा.
एडीएम डॉक्टर प्रियंका गोयल ने बताया कि केंद्र सरकार की पायलट योजना के तहत मध्य प्रदेश के हरदा और डिंडौरी जिले को इस योजना के तहत चयनित किया गया है. जिसके अंतर्गत अब ग्रामीण क्षेत्र में आबादी की भूमि पर रहने वाले हर भूखंड का नक्शा तैयार किया जाएगा. जिसके लिए समितियों का गठन किया गया है. उन्होंने बताया कि पहले पूरे गांव की बसावट का केवल एक ही नक्शा हुआ करता था, लेकिन अब प्रत्येक व्यक्ति के भूखंड का अलग-अलग नक्शा तैयार कर उसे इस योजना के तहत मालिकाना हक दिया जाएगा. जिसके आधार पर वो बैंक से लोन ले सकेगा. उन्होंने बताया कि केंद्रीय टीम के द्वारा सर्वे के लिए ड्रोन कैमरे से प्रत्येक गांव के भूखंड का नक्शा तैयार किया जाएगा.