हरदा। जिले में दो दोस्तों की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है. अलग-अलग मज़हबों से होने के बाद भी कन्हैया और लियाकत की 40 साल पुरानी दोस्ती ने जात-पात की दूरियों को पाटते हुए एक मिसाल कायम की है.
लियाकत और कन्हैया ने मिलकर एक फर्नीचर की दुकान खोली है. जिसका नाम भी अपनी दोस्ती के नाम पर 'याराना' रखा है. इस दुकान पर दोनों दोस्त मिलकर फर्नीचर बनाते हैं और मिलने वाले मेहनताने का भी कोई हिसाब नहीं रखते. जिसको जब जरुरत पड़ती है वो अपने काम के अनुसार रुपये खर्च कर लेता है.
वही दोनों परिवार मजहबों की सीमाओं को लांघकर एक परिवार की तरह ईद और दीपावली का त्योहार साथ में मनाता है. शहर के खेड़ीपुरा मोहल्ले में रहने वाले लियाकत हर रोज अपने दोस्त कन्हैया को लेने उसके घर बैरागढ़ जाते हैं. रिश्तेदारों के यहां सभी तरह के आयोजनों में शामिल होने दोनों साथ जाते हैं. जिससे पूरे शहर में इन दोनों की दोस्ती की मिसाले दी जाती है.
वही दोनों के ससुराल से वैवाहिक आयोजनों में दोनों के लिए एक समान ही कपड़े और अन्य चीजें लाई जाती है. उनकी दोस्ती को अब उनके बच्चे भी बखूबी निभा रहे है. लियाकत के बेटे इमरान के निकाह की दावत के लिए कन्हैया ने हिन्दू धर्म के अनुसार शादी का कार्ड छपवाया था. दोनों ही दोस्तों का मानना है कि वे समाज में आपसी भाईचारे और इंसानियत की सीख देना चाहते हैं.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने 30 जुलाई, 2011 में अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस मनाने की घोषणा की थी. मित्रता दिवस मनाने का उद्देश्य मानवता को मजबूत करने और मानव जाति के कल्याण को प्रोत्साहित करना है, जिससे अलग-अलग धर्मों को अपनाने और आपसी भाईचारे को बढ़ावा दिया जा सके.