हरदा। सिराली थाना क्षेत्र की एक नाबालिग आदिवासी 13 जुलाई से गुम हो गई थी, जिसके बाद 28 जुलाई को लापता नाबालिग का खंडवा में रेलवे ट्रैक के पास शव मिला था. वहीं पुलिस ने लापरवाही करते हुई 26 जुलाई को मामला दर्ज किया था. आदिवासी समाज के लोगों का आरोप है कि इस मामले में पुलिस ने आरोपियों को बचाने की कोशिश की है. नाबालिग के परिजन ने जब थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई तो पुलिस ने रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की थी.
आदिवासियों ने आरोप लगाया है कि नाबालिग से दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी गई है, जबकि एसपी मनीष कुमार अग्रवाल नाबालिग के प्रेम प्रसंग की बात बताकर मामले को नया मोड़ दे रहे हैं. मामले को लेकर आदिवासियों में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है, जिसके बाद सैकड़ों की में लोग कलेक्ट्रेट का घेराव करने जा रहे थे, जिन्हें पुलिस ने शहर में घुसने से पहले ही रोक लिया.
पुलिस ने मामले में नाबालिग की हत्या के आरोप में एक महिला और उसके पति को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है. वहीं आदिवासी संगठन से जुड़े लोगों का आरोप है कि सिराली थाना स्टाफ ने नाबालिग की गुमशुदगी और हत्या में लापरवाही बरती है. आदिवासी लोगों का आरोप है कि मामले में पुलिस मुख्य आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है. आदिवासी संगठन से जुड़े धन सिंह भलावी का कहना है कि वे पुलिस की लापरवाही की शिकायत कलेक्टर से करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें शहर में जाने से पहले ही रोक लिया.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गजेंद्र सिंह वर्मा ने बताया कि आदिवासी संगठन के लोगों की दो प्रमुख मांगें हैं-
1. पहली मांग एक इस मामले के आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए.
2. लापरवाही बरतने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए.
एडिशनल SP ने बताया कि इस मामले से जुड़े सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. वहीं लापरवाही बरतने वाले पुलिस कर्मियों को लेकर जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले आदिवासियों को शहर के बाहर ही रोक दिया गया था. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में प्रशासन निष्पक्ष कार्रवाई कर रहा है.