ग्वालियर। माहवारी एक ऐसा विषय है, जिस पर लोग खुलकर बात करना पसंद नहीं करते हैं. यही वजह है कि माहवारी के संक्रमण के चलते हर साल कई महिलाओं की मौत हो जाती है, लेकिन माहवारी के चलते महिलाओं में हो रही संक्रमण को दूर करने के लिए देश के प्रतिष्ठित सिंधिया कन्या स्कूल की छात्राओं ने स्कूल में सेनेटरी नैपकिन बनाने का प्लांट लगाया है. इस प्लांट में तैयार किए जा रहे संकल्प नाम के सैनिटरी नैपकिन को ग्वालियर के आसपास के गांव में गरीब तबके की महिलाओं को मुफ्त में दे रही है.
सिंधिया कन्या विद्यालय की छात्राओं की प्रेरणा पर एक गांव की महिलाओं ने भी स्व सहायता समूह के जरिए सेनेटरी नैपकिन बनाने का काम शुरू किया है. सेनेटरी नैपकिन को सिंधिया कन्या स्कूल की छात्राओं ने इसकी शुरुआत 2012 में की गई थी. तब से लेकर आज तक छात्रों के द्वारा सैनिटरी नैपकिन बनाने का काम जारी है.
कैसे आया सेनेटरी नैपकिन शुरू करने का ख्याल
साल 2012 में सिंधिया कन्या स्कूल प्रबंधन और कुछ छात्राओं के मन में ख्याल आया कि गरीब तबके की महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन के बारे जागरूक किया जाये. इस तकबे की महिलाएं हर माह होने वाली माहवारी से संक्रमण के चलते गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जाती हैं. खासतौर से महिलाओं को महावारी के दिनों में परेशानी का सामना करना पड़ता है क्योंकि वह सैनिटरी नैपकिन नहीं खरीद सकती.
छात्रों ने बताया की यह प्लान काफी जोखिम भरा और कठिन था. क्योंकि इस विषय पर लोगों से और महिलाओं से बात करना काफी मुश्किल होता था, लेकिन फिर भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाना जरूरी समझा. छात्र ने बताया कि इस बारे में स्कूल की प्रिंसिपल से बात की.
सिंधिया स्कूल प्रबंधन और छात्रों ने फंड जुटाकर कर सेनेटरी नैपकिन बनाने की मशीन को खरीदा. 2012 में सेनेटरी नैपकिन बनाने की ट्रेनिंग दी. तब से लेकर अब तक छात्राएं स्कूल में फ्री समय में सैनिटरी नैपकिन बनाती हैं. सिंधिया स्कूल की प्रिंसिपल नीति मिश्रा का कहना है, 'महिलाओं को माहवारी के बारे में जागरूक करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. उस समय हर वक्त मन में यह विचार आता था कि इसके बारे में महिला को कैसे समझाया जाए. इस विषय में लोगों से बात करना काफी मुश्किल होती है'. उन्होंने बताया कि इस काम की शुरुआत करने के लिए पहले 15 महीने तक इसका सर्वे किया. सर्वे में पाया कि शहर की एक बड़ी आबादी इस बुनियादी समस्या से काफी परेशान है.