हरदा। मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी में हो रहे लगातार अवैध खनन से नदी का वास्तविक स्वरूप खत्म होने लगा है. रेत खनन से रोजाना छोटी मछलियां मर रही हैं, साथ ही नदी में पाई जाने वाली अनेक प्रजातियां भी विलुप्त होने की कगार पर आ गई हैं. मछुआरों ने इस बात को लेकर कलेक्टर से शिकायत कर नर्मदा नदी में मशीनों के जरिए होने वाले और नाव के जरिए बीच पानी से निकाले जाने वाली रेत के काम पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. साथ ही कहा है कि मध्यप्रदेश में स्टेट मछली महाशीर भी रेत खनन के चलते विलुप्त होने की कगार पर आ पहुंची है.
मछुआरों के सामने रोजी रोटी का संकट
नर्मदा नदी में होने वाले रेत खनन से अब मछुआरों के सामने रोजी रोटी का संकट भी आन पड़ा है. मछुआरों के जीवन यापन का मुख्य साधन मछली अब धीरे- धीरे नर्मदा नदी से गायब होने लगी है. मछुआरों का कहना है कि अगर इसी तरह से नदी में खनन जारी रहा तो आने वाले दिनों में मछलियों की अनेकों प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी. उनका कहना है कि अभी कई प्रजातियां जो कुछ साल पहले नर्मदा नदी में आसानी से देखने को मिल जाती थी, लेकिन अब उन प्रजातियों की मछलियां नर्मदा नदी से गायब हो चुकी हैं.
बिना पंजीयन के नामों पर लगाई जाएगी रोक
इस मामले को लेकर हंडिया तहसीलदार अर्चना शर्मा ने कहा कि मछली पकड़ने वाले लोगों के अध्यक्ष को बुलाकर उनसे चर्चा की जाएगी. साथ ही पेशेवर लोगों को छोड़कर अन्य बिना पंजीयन के नामों पर रोक लगाई जाएगी. वही बड़ी नाव का निर्माण करने वाले लोगों से बिना पंजीयन के विग्रह नहीं करने को निर्देशित किया जाएगा.
महाशीर मछली बीएफ विलुप्त होने की कगार पर
मत्स्य विभाग के उपसंचालक का कहना है कि नर्मदा नदी में हो रहे खनन से मछलियों के रहने के स्थान खत्म होते जा रहे हैं. वही राज्य मछली का दर्जा प्राप्त करने वाली महाशीर मछली बीएफ विलुप्त होने की कगार पर आ गई है. उन्होंने कहा कि मशीनों की चपेट में आने से छोटी-छोटी मछलियों के मरने से इस तरह की स्थिति निर्मित होती जा रही है.