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MP Seat Scan Harda: हरदा में फिर खिलेगा कमल या मतदाता करेंगे बदलाव, जानें MP के मिनी पंजाब की इंडेप्थ स्टोरी

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे हरदा विधानसभा सीट के बारे में. एमपी के कृषि मंत्री कमल पटेल का गढ़ मानी जानें वाली इस सीट में कांग्रेस पिछले 5 चुनावों में सिर्फ एक बार ही जीत का स्वाद चखा है. मध्यप्रदेश का मिनी पंजाब कही जानें वाली इस सीट का सियासी समीकरण और इतिहास.

MP SEAT SCAN HARDA
हरदा विधानसभा सीट
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Published : Jun 4, 2023, 11:01 AM IST

Updated : Jun 4, 2023, 11:10 AM IST

हरदा। मध्यप्रदेश की हरदा विधानसभा सीट को बीजेपी पार्टी के प्रभाव वाली सीट माना जाता रहा है. इस सीट पर शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मंत्री कमल पटेल करीब 25 साल से जीतते आ रहे हैं. इसके बाद भी यहां के मतदाता अपने जनमत से राजनैतिक पार्टियों को चौंकाते रहे हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ था, जब पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए कांग्रेस नेता डॉ. राम किशोर दोगने ने बीजेपी नेता कमल पटेल को चित कर दिया था. हालांकि 2018 में कमल पटेल फिर इस सीट पर वापस लौटने में कामयाब रहे. पिछले दो चुनावों में हार-जीत का निर्णय सिर्फ 3 फीसदी वोट ने ही किया है.

MP SEAT SCAN HARDA ASSEMBLY CONSTITUENCY
हरदा विधानसभा सीट

हरदा विधानसभा का इतिहास: हरदा विधानसभा सीट हरदा जिले में आती है. पहले यह विधानसभा नर्मदापुरम (पूर्व नाम होशंगाबाद) में आती थी. साल 1988 में हरदा जिला बनने के बाद यह हरदा जिले में आ गई. हरदा जिले को भुआना क्षेत्र कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है अधिक उर्वरक भूमि. नर्मदा घाटी वाले इस जिले में आर्थिक गतिविधि का केन्द्र कृषि ही है. इसे मध्यप्रदेश का मिनी पंजाब भी कहते हैं, क्योंकि यहां गेहूं की बंपर पैदावार होती है. इस विधानसभा सीट पर बीजेपी का अच्छा प्रभाव माना जाता है, लेकिन यहां के मतदाता अपने फैसलों से राजनीतिक पदों को चौंकाते रहे हैं. यही वजह है कि इस सीट पर अभी तक 7 बार कांग्रेस और 6 बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है. फिलहाल इस सीट से बीजेपी के कमल पटेल विधायक हैं, जो शिवराज सरकार में कृषि मंत्री भी हैं.

हरदा में मतदाता: हरदा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 28 हजार 895 है. इसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 18 हजार 960 और महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 9 हजार 933 हैं जबकि थर्ड जेंडर के मतदाताओं की संख्या 2 है.

MP SEAT SCAN HARDA ASSEMBLY CONSTITUENCY
हरदा सीट राजनीतिक समीकरण

ऐसे पलटती रही पार्टियों की बाजी: हरदा विधानसभा सीट पर पहला चुनाव 1951 में हुआ था. उस समय चुनाव में सिर्फ दो उम्मीदवार मैदान में थे और दोनों ही किसान मजदूर प्रजा पार्टी से थे. 3 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी महेश दत्ता ने. इस सीट पर बीजेपी की स्थिति मजबूत मानी जाती है, लेकिन मतदाता अपना मन बदलते रहे हैं. बीजेपी नेता कमल पटेल ने यहां अपनी मजबूत पकड़ बनाई है. 1993 में उन्होंने यहां से अपना सबसे पहला चुनाव 11 हजार 565 वोटों से जीता था. इसके बाद 1998, 2003, 2008 में वे लगातार जीतते आए.

कमल का रहा दबदबा: 2003 विधानसभा चुनाव में कमल पटेल को 46398 यानी 47.46 फीसदी वोट मिले. इस बार कमल ने कांग्रेस के विष्णु राजौरिया को शिकस्त दी. राजौरिया को इस चुनाव में 40923 यानी 41.86 फीसदी वोट मिले. 1998 विधानसभा चुनाव में कमल पटेल को 44357 यानी 57.45 फीसदी वोट मिले. कमल ने इस बार कांग्रेस के अनिल रामदीन पटेल को हराया. अनिल को 30288 यानी कुल 39.23 फीसदी वोट मिले थे.

MP SEAT SCAN HARDA ASSEMBLY CONSTITUENCY
2018 हरदा सीट का रिजल्ट

2018 में कमल की वापसी: पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति पिच पर उतरे डॉ. रामकिशोर दोगने ने 2013 के चुनाव में बीजेपी नेता कमल पटेल को हरा दिया. कमल पटेल ने 2013 में करीबन 20 साल बाद हार का स्वाद चखा. हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी विधायक कमल पटेल ने एक बार फिर अपनी खोई राजनीतिक जमीन फिर प्राप्त कर ली.

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स्थानीय विकास बनेगा चुनावी मुद्दा: गेहूं उत्पादन के मामले में टॉप जिला होने के बाद भी हरदा जिला विकास की दौड़ में पिछड़ा हुआ दिखाई देता है. इस जिले में सालों बाद भी रोजगार के लिए उद्योग साधन नहीं बन पाया है. बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा व्यवस्था का अभी भी अभाव दिखाई देता है. सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है. क्षेत्र में बेहतर सड़कों को विकास को लेकर विपक्ष बीजेपी को लगातार कटघरे में खड़ा करता रहता है.

MP SEAT SCAN HARDA ASSEMBLY CONSTITUENCY
हरदा की खासियत

दोनों पार्टियां पर दवाब: 2018 में प्रदेश में हुए बदलाव के बाद जोड-तोड़ कर बीजेपी सत्ता में भले ही आ गई हो, लेकिन इस बाद पिछले चुनाव का दवाब बीजेपी पर भी है. बीजेपी विधायक कमल पटेल यहां खूब पसीना बहा रहे हैं हालांकि कांग्रेस को यहां अंदरूनी गुटबाजी से उभरना होगा.

हरदा। मध्यप्रदेश की हरदा विधानसभा सीट को बीजेपी पार्टी के प्रभाव वाली सीट माना जाता रहा है. इस सीट पर शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मंत्री कमल पटेल करीब 25 साल से जीतते आ रहे हैं. इसके बाद भी यहां के मतदाता अपने जनमत से राजनैतिक पार्टियों को चौंकाते रहे हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ था, जब पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए कांग्रेस नेता डॉ. राम किशोर दोगने ने बीजेपी नेता कमल पटेल को चित कर दिया था. हालांकि 2018 में कमल पटेल फिर इस सीट पर वापस लौटने में कामयाब रहे. पिछले दो चुनावों में हार-जीत का निर्णय सिर्फ 3 फीसदी वोट ने ही किया है.

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हरदा विधानसभा सीट

हरदा विधानसभा का इतिहास: हरदा विधानसभा सीट हरदा जिले में आती है. पहले यह विधानसभा नर्मदापुरम (पूर्व नाम होशंगाबाद) में आती थी. साल 1988 में हरदा जिला बनने के बाद यह हरदा जिले में आ गई. हरदा जिले को भुआना क्षेत्र कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है अधिक उर्वरक भूमि. नर्मदा घाटी वाले इस जिले में आर्थिक गतिविधि का केन्द्र कृषि ही है. इसे मध्यप्रदेश का मिनी पंजाब भी कहते हैं, क्योंकि यहां गेहूं की बंपर पैदावार होती है. इस विधानसभा सीट पर बीजेपी का अच्छा प्रभाव माना जाता है, लेकिन यहां के मतदाता अपने फैसलों से राजनीतिक पदों को चौंकाते रहे हैं. यही वजह है कि इस सीट पर अभी तक 7 बार कांग्रेस और 6 बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है. फिलहाल इस सीट से बीजेपी के कमल पटेल विधायक हैं, जो शिवराज सरकार में कृषि मंत्री भी हैं.

हरदा में मतदाता: हरदा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 28 हजार 895 है. इसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 18 हजार 960 और महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 9 हजार 933 हैं जबकि थर्ड जेंडर के मतदाताओं की संख्या 2 है.

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हरदा सीट राजनीतिक समीकरण

ऐसे पलटती रही पार्टियों की बाजी: हरदा विधानसभा सीट पर पहला चुनाव 1951 में हुआ था. उस समय चुनाव में सिर्फ दो उम्मीदवार मैदान में थे और दोनों ही किसान मजदूर प्रजा पार्टी से थे. 3 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी महेश दत्ता ने. इस सीट पर बीजेपी की स्थिति मजबूत मानी जाती है, लेकिन मतदाता अपना मन बदलते रहे हैं. बीजेपी नेता कमल पटेल ने यहां अपनी मजबूत पकड़ बनाई है. 1993 में उन्होंने यहां से अपना सबसे पहला चुनाव 11 हजार 565 वोटों से जीता था. इसके बाद 1998, 2003, 2008 में वे लगातार जीतते आए.

कमल का रहा दबदबा: 2003 विधानसभा चुनाव में कमल पटेल को 46398 यानी 47.46 फीसदी वोट मिले. इस बार कमल ने कांग्रेस के विष्णु राजौरिया को शिकस्त दी. राजौरिया को इस चुनाव में 40923 यानी 41.86 फीसदी वोट मिले. 1998 विधानसभा चुनाव में कमल पटेल को 44357 यानी 57.45 फीसदी वोट मिले. कमल ने इस बार कांग्रेस के अनिल रामदीन पटेल को हराया. अनिल को 30288 यानी कुल 39.23 फीसदी वोट मिले थे.

MP SEAT SCAN HARDA ASSEMBLY CONSTITUENCY
2018 हरदा सीट का रिजल्ट

2018 में कमल की वापसी: पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति पिच पर उतरे डॉ. रामकिशोर दोगने ने 2013 के चुनाव में बीजेपी नेता कमल पटेल को हरा दिया. कमल पटेल ने 2013 में करीबन 20 साल बाद हार का स्वाद चखा. हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी विधायक कमल पटेल ने एक बार फिर अपनी खोई राजनीतिक जमीन फिर प्राप्त कर ली.

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स्थानीय विकास बनेगा चुनावी मुद्दा: गेहूं उत्पादन के मामले में टॉप जिला होने के बाद भी हरदा जिला विकास की दौड़ में पिछड़ा हुआ दिखाई देता है. इस जिले में सालों बाद भी रोजगार के लिए उद्योग साधन नहीं बन पाया है. बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा व्यवस्था का अभी भी अभाव दिखाई देता है. सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है. क्षेत्र में बेहतर सड़कों को विकास को लेकर विपक्ष बीजेपी को लगातार कटघरे में खड़ा करता रहता है.

MP SEAT SCAN HARDA ASSEMBLY CONSTITUENCY
हरदा की खासियत

दोनों पार्टियां पर दवाब: 2018 में प्रदेश में हुए बदलाव के बाद जोड-तोड़ कर बीजेपी सत्ता में भले ही आ गई हो, लेकिन इस बाद पिछले चुनाव का दवाब बीजेपी पर भी है. बीजेपी विधायक कमल पटेल यहां खूब पसीना बहा रहे हैं हालांकि कांग्रेस को यहां अंदरूनी गुटबाजी से उभरना होगा.

Last Updated : Jun 4, 2023, 11:10 AM IST
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