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घर में ही बनवाया घंटाघर का मॉडल, यादें ताजा रखने की कोशिश

हरदा के घंटाघर को यादों में बसाए रखने के लिए एक सराफा व्यवसायी परिवार ने अपने नए मकान में हूबहू घंटाघर जैसी प्रतिकृति बनाई है.

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सराफा व्यापारी ने अपने नए मकान में बनवाई घण्टाघर की प्रतिकृति
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Published : Jan 10, 2020, 6:48 PM IST

हरदा। शहर की पहचान घण्टाघर चौक के पास पिछली पांच पीढ़ियों से रहने वाले एक सराफा व्यवसायी परिवार ने अपने नए घर में घण्टाघर की प्रतिकृति को बना दिया है. इस परिवार के सदस्यों का कहना है कि घण्टाघर के पास वर्षों रहने के दौरान सुबह सबसे पहले घर की खिड़की से रोजाना घण्टाघर दिखाई देता था. उन्हीं यादों को बनाये रखने के लिए उन्होंने नए घर के अंदर करीब 15 फीट ऊंचा घण्टाघर बनवा दिया है.

सराफा व्यापारी ने अपने नए मकान में बनवाई घण्टाघर की प्रतिकृति
हरदा के मुख्य बाजार घण्टाघर पर रहने वाले सराफा परिवार के पूर्वज लगभग 150 सालों से अधिक समय से यहां पर रह रहे हैं. शहर का अधिकांश हिस्सा इसके आसपास ही बसा हुआ था. यह शहर का मुख्य बाजार का हिस्सा था. यही पर निवास होने के कारण इस पूरे परिवार को इस प्राचीन इमारत से लगाव हो गया था, जिसके चलते परिवार ने वहां से दूर एक कॉलोनी में बनाए नए मकान में घण्टाघर की कमी ना खले इस बात को ध्यान में रखते हुए हूबहू घण्टाघर के प्रतिकृति को सीमेंट कंक्रीट से बना लिया गया है. घर की वरिष्ठ सदस्य किरण सराफ बताती हैं कि शहर में होने वाली अधिकांश चुनावी सभा भी यहीं पर हुआ करती थी. एक बार यहां पर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी आई थी, जिन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया था. इस दौरान उनकी ननद ने फूल माला पहनाकर उनका स्वागत किया था, जो आज भी उनकी उन यादों में ताजा बनी हुई है.

हरदा। शहर की पहचान घण्टाघर चौक के पास पिछली पांच पीढ़ियों से रहने वाले एक सराफा व्यवसायी परिवार ने अपने नए घर में घण्टाघर की प्रतिकृति को बना दिया है. इस परिवार के सदस्यों का कहना है कि घण्टाघर के पास वर्षों रहने के दौरान सुबह सबसे पहले घर की खिड़की से रोजाना घण्टाघर दिखाई देता था. उन्हीं यादों को बनाये रखने के लिए उन्होंने नए घर के अंदर करीब 15 फीट ऊंचा घण्टाघर बनवा दिया है.

सराफा व्यापारी ने अपने नए मकान में बनवाई घण्टाघर की प्रतिकृति
हरदा के मुख्य बाजार घण्टाघर पर रहने वाले सराफा परिवार के पूर्वज लगभग 150 सालों से अधिक समय से यहां पर रह रहे हैं. शहर का अधिकांश हिस्सा इसके आसपास ही बसा हुआ था. यह शहर का मुख्य बाजार का हिस्सा था. यही पर निवास होने के कारण इस पूरे परिवार को इस प्राचीन इमारत से लगाव हो गया था, जिसके चलते परिवार ने वहां से दूर एक कॉलोनी में बनाए नए मकान में घण्टाघर की कमी ना खले इस बात को ध्यान में रखते हुए हूबहू घण्टाघर के प्रतिकृति को सीमेंट कंक्रीट से बना लिया गया है. घर की वरिष्ठ सदस्य किरण सराफ बताती हैं कि शहर में होने वाली अधिकांश चुनावी सभा भी यहीं पर हुआ करती थी. एक बार यहां पर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी आई थी, जिन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया था. इस दौरान उनकी ननद ने फूल माला पहनाकर उनका स्वागत किया था, जो आज भी उनकी उन यादों में ताजा बनी हुई है.
Intro:हरदा शहर की पहचान घण्टाघर चौक के पास पिछली पांच पीढ़ियों से रहने वाले एक सराफा व्यवसायी परिवार के युवा सदस्य के द्वारा बनाए गए नवीन मकान में पुराने घर के सामने अंग्रेजो के जमाने गए घण्टाघर की प्रतिकृति को बना दिया है।इस परिवार के सदस्यों का मानना है कि घण्टाघर के पास वर्षों रहने के दौरान सुबह सबसे पहले घर की खिड़की से रोजाना घण्टाघर दिखाई देता था।उन्ही यादों को बनाये रखने उनके द्वारा पड़ोसी जिले होशंगाबाद के पचमढ़ी के कलाकारों को बुलाया अपने नए घर के अंदर करीब 15 फीट ऊंचा घण्टाघर बनवा दिया है।जो सुबह उठते के साथ ही अब भी दिखाई देता है।साथ ही उन्हें इस प्राचीन इमारत से दूर नही करता है।


Body:हरदा के मुख्य बाजार घण्टाघर पर रहने वाले सराफ परिवार के पूर्वज लगभग 150 सालों से अधिक समय से यहां पर निवास कर रहे है।चूंकि शहर का अधिकांश हिस्सा इसके आसपास ही बसा हुआ था।जो शहर का मुख्य बाजार का हिस्सा था।यही पर निवास होने के कारण इस पूरे परिवार को इस प्राचीन इमारत से लगाव हो गया था।जिसके चलते परिवार ने वहां से दूर एक कालोनी में बनाए नए मकान में घण्टाघर की कमी ना खले इस बात को ध्यान में रखते हुए हूबहू घण्टाघर के प्रतिकृति को सीमेंट कांक्रीट से बना लिया गया है।घर की वरिष्ठ सदस्य श्रीमती किरण सराफ बताती है।कि शहर में होने वाली अधिकांश चुनावी सभा भी यही पर हुआ करती थी।एक बार यहां पर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी आई थी जिन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया था।इस दौरान उनकी ननद ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया था जो आज भी उनकी उन यादों में ताजा बनी हुई है।
बाईट-किरण सराफ,गृहणी,हरदा


Conclusion:परिवार के युवा सदस्य का कहना है कि जब हमने नया मकान बनाया उसी दौरान हमने कुछ अलग करने का मन हुआ था।चूंकि हमारी कई पीढ़ियों ने घण्टाघर पर निवास किया है।हमारा पता भी लोग इसी प्राचीन इमारत से जानते थे।जिसके चलते हमने 15 फीट ऊंचा घण्टाघर बनाने का निर्णय लिया।
बाईट- मोहित सराफ,सराफा व्यापारी
आजादी के पूर्व शहर की आबादी कम थी।लोगों के लिए घड़ी खरीदना बड़ी बात थी।जिसके चलते अंग्रेजी हुकूमत के अधिकारी जे बेडडी ने 1886 के पूर्व इस ऊंची इमारत को तैयार करवाया था।जिसमें चारो ओर घड़ियां लगी हुई थी जिसमे बजने वाले घन्टे शहरवासियों को समय की जानकारी दिया करते थे।फिलहाल यहां की घड़ियां बंद पड़ी हुई है।पूर्व में इस प्राचीन इमारत पर छतरी हुआ करती थी।देश की आजादी के बाद इस के ऊपर अशोक स्तम्भ बनाया गया है।नगर के वरिष्ठ साहित्यकार ज्ञानेश चौबे ने प्राचीन इमारतों को सजहने को लेकर एक अच्छा कदम बताया है।
बाईट- ज्ञानेश चौबे,साहित्यकार,हरदा
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