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रोजगार के लिए पलायन करने वाले मजदूर बोले घर पर करेंगे खेती, अब नहीं जाएंगे वापस

देश के अलग-अलग भाग में रोजगार के लिए गए मजदूर अब लॉक डाउन के चलते पैदल ही अपने गृह जिले पहुंच रहे हैं. वहीं मुंबई से यूपी और राजस्थान से खंडवा जा रहे मजदूर हरदा पहुंचे, जहां उन्होंने बताया कि अब कभी भी वो दूसरे राज्य में रोजगार के लिए पलायन नहीं करेंगे.

Laborers migrating for employment said that they will stay at home and farm in harda
रोजगार के लिए पलायन करने वाले मजदूर बोले घर पर रह करेंगे खेती बाड़ी
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Published : May 10, 2020, 11:30 PM IST

Updated : May 11, 2020, 4:34 PM IST

हरदा। बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश से महाराष्ट्र और राजस्थान के महानगरों में रोजगार की तलाश में गए मजदूरों के लिए लॉकडाउन किसी तूफान से कम नहीं है. लॉकडाउन ने इन मजदूरों के जीवन में उथलपुथल मचाकर रख दी है. जिसके चलते इन मजदूरों ने अब अपने गृह राज्यों में लौटने के लिए पैदल चलना शुरू कर दिया है. डेढ़ महीने से मुसीबतें झेल रहे मजदूर तपती गर्मी में सैकड़ों मील का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं.

रोजगार के लिए पलायन करने वाले मजदूर बोले घर पर रह करेंगे खेती बाड़ी

महाराष्ट्र से पैदल चलकर हरदा जिले में प्रवेश करने के दौरान समाजसेवी संगठन इन मजदूरों की मदद कर रहे हैं. इनकी मदद के लिए खाने के साथ जूते-चप्पल, दवाई और वाहन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

महाराष्ट्र के भिवंडी से लगातार पांच दिनों से पैदल चलकर कुछ मजदूर हरदा पहुंचे, जहां एक मजदूर ने कहा कि वो मुबंई में रहने के शौक से यूपी के गाजीपूर जिले से गया था. वो मुंबई में रहकर टेक्सी चलाया करता था. लेकिन लॉकडाउन लागू होने के बाद सेठ से पगार नहीं मिली, जिसके चलते खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया था. इसी कारण से उसने और उसके साथियों ने पैदल ही घर की ओर चलना शुरू कर दिया.

अशफाक का कहना है कि वो अब कभी जीवन में उधर लौट कर वापस नहीं जाएगा. मरने से तो अच्छा अपना घर है, जहां सभी के साथ रहकर वो अब खेती करेगा. पैदल चलकर जाने के दौरान रास्ते में कई लोगों ने मदद की है, लेकिन पैदल चलने से कोई अच्छे दिन थोड़े ही ना गुजर रहे हैं. घर पर भी सब लौटने का इंतजार कर रहे हैं.

वहीं कोरोना संक्रमण के बीच रोजगार बंद होने के चलते इन मजदूरों के सामने पलायन के अलावा दूसरा कोई रास्ता नजर नहीं बचा है. जिसके बाद कमाए गए पैसों से साइकिल खरीद कर राजस्थान के अलवर जिले से प्रदेश के खंडवा के लिए निकले मजदूर समूह में से शंकर साटे ने बताया कि वो और उसके साथी अपने परिवार के लिए अलवर जिले में रहकर हार्वेस्टर मशीन पर फसल कटाई का काम करते थे. लेकिन लॉकडाउन के दौरान सेठ के द्वारा उन्हें भोजन भी उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसके चलते वो बीते 12 दिनों से साइकिल से अपने घर के लिए निकले हैं.

वहीं इन मजदूरों का कहना है कि अब कभी भी वो किसी राज्य में काम के लिए नहीं जाएंगे. अपने घर में ही रहकर खेती करके गुजारा कर लेंगे. लेकिन अब कभी वापस नहीं लौटेंगे.

हरदा। बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश से महाराष्ट्र और राजस्थान के महानगरों में रोजगार की तलाश में गए मजदूरों के लिए लॉकडाउन किसी तूफान से कम नहीं है. लॉकडाउन ने इन मजदूरों के जीवन में उथलपुथल मचाकर रख दी है. जिसके चलते इन मजदूरों ने अब अपने गृह राज्यों में लौटने के लिए पैदल चलना शुरू कर दिया है. डेढ़ महीने से मुसीबतें झेल रहे मजदूर तपती गर्मी में सैकड़ों मील का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं.

रोजगार के लिए पलायन करने वाले मजदूर बोले घर पर रह करेंगे खेती बाड़ी

महाराष्ट्र से पैदल चलकर हरदा जिले में प्रवेश करने के दौरान समाजसेवी संगठन इन मजदूरों की मदद कर रहे हैं. इनकी मदद के लिए खाने के साथ जूते-चप्पल, दवाई और वाहन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

महाराष्ट्र के भिवंडी से लगातार पांच दिनों से पैदल चलकर कुछ मजदूर हरदा पहुंचे, जहां एक मजदूर ने कहा कि वो मुबंई में रहने के शौक से यूपी के गाजीपूर जिले से गया था. वो मुंबई में रहकर टेक्सी चलाया करता था. लेकिन लॉकडाउन लागू होने के बाद सेठ से पगार नहीं मिली, जिसके चलते खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया था. इसी कारण से उसने और उसके साथियों ने पैदल ही घर की ओर चलना शुरू कर दिया.

अशफाक का कहना है कि वो अब कभी जीवन में उधर लौट कर वापस नहीं जाएगा. मरने से तो अच्छा अपना घर है, जहां सभी के साथ रहकर वो अब खेती करेगा. पैदल चलकर जाने के दौरान रास्ते में कई लोगों ने मदद की है, लेकिन पैदल चलने से कोई अच्छे दिन थोड़े ही ना गुजर रहे हैं. घर पर भी सब लौटने का इंतजार कर रहे हैं.

वहीं कोरोना संक्रमण के बीच रोजगार बंद होने के चलते इन मजदूरों के सामने पलायन के अलावा दूसरा कोई रास्ता नजर नहीं बचा है. जिसके बाद कमाए गए पैसों से साइकिल खरीद कर राजस्थान के अलवर जिले से प्रदेश के खंडवा के लिए निकले मजदूर समूह में से शंकर साटे ने बताया कि वो और उसके साथी अपने परिवार के लिए अलवर जिले में रहकर हार्वेस्टर मशीन पर फसल कटाई का काम करते थे. लेकिन लॉकडाउन के दौरान सेठ के द्वारा उन्हें भोजन भी उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसके चलते वो बीते 12 दिनों से साइकिल से अपने घर के लिए निकले हैं.

वहीं इन मजदूरों का कहना है कि अब कभी भी वो किसी राज्य में काम के लिए नहीं जाएंगे. अपने घर में ही रहकर खेती करके गुजारा कर लेंगे. लेकिन अब कभी वापस नहीं लौटेंगे.

Last Updated : May 11, 2020, 4:34 PM IST
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