हरदा। पिछले तीन सालों से कम बारिश होने से लोग काफी परेशान थे, लेकिन इस साल हुई अतिवृष्टि से खेतों में जलभराव के चलते किसानों की फसलें सड़ने लगी हैं. इससे किसानों के सामने गहरा संकट खड़ा हो गया है. वहीं जिले के सैकड़ों गावों से फसलों के खराब होने की सूचनाएं मिलने के बाद भी प्रशासन के द्वारा सर्वे शुरू नहीं किया गया है.
जिले में किसानों के द्वारा 1 लाख 54 हजार 600 हेक्टेयर में सोयाबीन,16 हजार 200 हेक्टेयर में मक्का और करीब 2850 हेक्टेयर में उड़द की बुवाई की गई है. जिले में सामान्य बारिश 1261.7 मिलीमीटर के मुकाबले अब तक 1663.6 हो गई है. जो कि 401.9 मिलीमीटर अधिक है. जिसके चलते खेतों में लगी खड़ी फसलें बर्बाद होने लगी हैं.
किसानों के द्वारा प्रशासन और सरकार से खराब हो चुकी फसलों को शीघ्र सर्वे कराकर बीमा और मुआवजा दिलाने की मांग की जा रही है. किसानों का कहना है कि यदि अब भी बारिश नहीं रुकी, तो उनकी पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी. किसानों के द्वारा अच्छे उत्पादन के लिए महंगी दवाओं का छिड़काव भी किया गया था, लेकिन अतिवृष्टि की वजह से छिड़काव का भी कोई असर नहीं होता दिखाई दे रहा है.
राज्य सरकार से नहीं मिले कोई निर्देश
कृषि विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारी राज्य सरकार से किसी तरह के निर्देश नहीं मिलने के कारण कोई भी बयान देने से बच रहे हैं. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि धूप निकलने के बाद ही नुकसान का आंकलन संभव है. वहीं कलेक्टर एस विश्वनाथन के मुताबिक मौसम के साफ होते ही प्रशासन की टीम नुकसान का आंकलन कर शासन को अवगत कराएगी.