हरदा। एक ओर लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ गई है, लोग इसके खिलाफ किसी तरह से लड़ रहे हैं, सरकारें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश में जुटी हैं, वहीं इन सबके बीच देश का किसान तमाम परेशानियों के बीच अपने काम में लगा रहा. देश की इस संकट की घड़ी में हरदा के किसान भी पीछे नहीं रहे और भरी गर्मी के बीच बड़े पैमाने पर दलहन का उत्पादन कर रहे है.
लॉकडाउन के दौरान जब देश के बड़े-बड़े उद्योग धंधे बंद हो गए थे, तब एमपी ही नहीं बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए हरदा के किसानों ने अपनी भूमिका अदा की. मेहनतकश किसानों ने तपती धूप के बीच कड़ी मेहनत कर अपना पसीना बहाया और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती के लिए खेतों को हरा भरा किया. पूरे देश में हरदा में सबसे ज्यादा रकबे पर मूंग फसल लगाई गई. हरदा के किसानों का देश के लिए दलहन उत्पादन काबिले तारीफ है.
कृषि मंत्री कमल पटेल के प्रयासों का असर
प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल के प्रयासों से तवा नहर का पानी मिलना किसानों के लिए वरदान हो गया. बीते साल इस सीजन के कुल रकबे 14 हजार हेक्टेयर से अब जिले में मूंग की फसल का रकबा बढ़कर करीब 70 हजार हेक्टेयर हो गया है. तवा कमांड की नहरों से 50 हजार हेक्टेयर में सिंचाई हो रही है. वहीं 20 हजार हेक्टेयर में लगे मूंग की सिंचाई अन्य जलस्रोतों से ही जा रही है. इससे जिले में रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
किसानों को मिलेंगे 600 करोड़ रुपए
इस बार एक हेक्टेयर के 12 क्विंटल मूंग के उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो महज 60 दिनों में पककर तैयार हो जाएगा. इस हिसाब से जिले में करीब 8 लाख 40 हजार क्विंटल मूंग का उत्पादन संभव है. मूंग का वर्तमान मूल्य करीब 7500 रु. से 8 हजार है.इस हिसाब से किसानों को मूंग के 600 करोड़ रुपए मिल सकते हैं. इससे किसानों को पिछली फसलों में हुए नुकसान की भरपाई की उम्मीद है.
देश मे मिनी पंजाब के नाम से जाने वाले हरदा जिले के अन्नदाताओं ने रबी सीजन में गेहूं, चना के बाद अब ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल के बंपर उत्पादन की उम्मीद है. सालों बाद तवा बांध की नहरों से मूंग के लिए पानी छोड़े जाने से कई किसानों ने मूंग की बुवाई की है. बीते साल के करीब 14 हजार हेक्टेयर की तुलना में इस बार रकबा बढ़कर 70 हजार हेक्टेयर के आसपास हो गया है. मौसम अनुकूल होने से किसान अच्छे उत्पादन की आस में हैं.