हरदा। संत सिंगाजी का हरदा से भी खासा नाता रहा है. कुलहरदा मोहल्ले में स्थित संत सिंगाजी का मंदिर है, जो करीब 400 साल पुराना है. जहां पर भक्तों ने उनकी चरण पादुका का पूजन कर शरद पूर्णिमा के दिन निशान (ध्वज) चढ़ाया जाता है.
400 सालों से शरद पूर्णिमा पर भक्त चढ़ाते हैं सिंगाजी को निशान - चरण पादुका
हरदा के कुलहरदा मोहल्ले में संत सिंगाजी का मंदिर है. जहां रोजाना बड़ी संख्या में भक्त सिंगाजी की चरण पादुका के दर्शन करते हैं. शरद पूर्णिमा के दिन भक्त यहां भजन-कीर्तन भी करते हैं.
संत सिंगाजी का मंदिर
हरदा। संत सिंगाजी का हरदा से भी खासा नाता रहा है. कुलहरदा मोहल्ले में स्थित संत सिंगाजी का मंदिर है, जो करीब 400 साल पुराना है. जहां पर भक्तों ने उनकी चरण पादुका का पूजन कर शरद पूर्णिमा के दिन निशान (ध्वज) चढ़ाया जाता है.
संत सिंगाजी का मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है. शरद पूर्णिमा के दिन यहां बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं. भक्त उनकी समाधि स्थल पर जाकर सैकड़ों क्विंटल शुद्ध घी भी अर्पित करते हैं.
कहते हैं कि हरदा आकर रहने वाले परिवार के लोग संत सिंगाजी के परम भक्त थे और जब परिवार के एक पूर्वज ने नर्मदा नदी में स्नान करने के लिए डुबकी लगाई थी तो उनके हाथों पर चरण पादुका आ गई थी, जिसके बाद से संत सिंगाजी के मंदिर का निर्माण किया गया. मंदिर में शरद पूर्णिमा के दिन भक्तों का तांता लगा रहता है और भक्त पूजन-अर्चन करते हैं.
संत सिंगाजी का मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है. शरद पूर्णिमा के दिन यहां बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं. भक्त उनकी समाधि स्थल पर जाकर सैकड़ों क्विंटल शुद्ध घी भी अर्पित करते हैं.
कहते हैं कि हरदा आकर रहने वाले परिवार के लोग संत सिंगाजी के परम भक्त थे और जब परिवार के एक पूर्वज ने नर्मदा नदी में स्नान करने के लिए डुबकी लगाई थी तो उनके हाथों पर चरण पादुका आ गई थी, जिसके बाद से संत सिंगाजी के मंदिर का निर्माण किया गया. मंदिर में शरद पूर्णिमा के दिन भक्तों का तांता लगा रहता है और भक्त पूजन-अर्चन करते हैं.
Intro:16 वी शताब्दी के महशूर संत सिंगाजी का हरदा से भी खासा नाता रहा है।यहां पर भक्तों के द्वारा उनकी चरण पादुका की बीते चार सौ सालों से लगातार पूजा अर्चना कर शरद पूर्णिमा के दिन निशान(ध्वज)चढ़ाया जा रहा है।पूरे क्षेत्र में पशु रक्षक देव के रूप में जाने वाले सन्त सिंगाजी के की चरण पादुका के दर्शनों से आज भी दिन दुखियों के दुख दर्द दूर हो रहे है।जिसके चलते उनका मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।शरद पूर्णिमा के दिन यहां बड़ी संख्या में भक्त दर्शनों के पहुचते है।
Body:हरदा के कुलहरदा मोहल्ले में स्तिथ संत सिंगाजी का मंदिर करीब 4 सौ साल पुराना है।निमाड़ जिले से हरदा आकर रहने वाले साध परिवार के लोग संत सिंगाजी के परम भक्त हुआ करते थे।लेकिन हरदा आकर रहने के दौरान वे उदास रहा करते थे।जिसको लेकर संत सिंगाजी ने उन्हें नर्मदा नदी के घाट पर मिलने आने को कहा था।परिवार के नो पीढ़ी के पूर्वज के द्वारा जब नर्मदा नदी में स्नान के लिए डुबकी लगाई उनके हाथों पर चरण पादुका आ गई थी।वही उस समय के नगर सेठ गणेशदास सेठ के यहां भी संतानसुख नही थी उनके द्वारा भी संत सिंगाजी से अरदास की गई थी।उनके घर संतान प्राप्ति होने पर उनके द्वारा संत सिंगाजी के द्वारा प्रदान की गई पादुका के लिए मन्दिर का निर्माण कर निशान चढ़ाया गया था।तब से लेकर आज तक हर साल शरद पूर्णिमा के अवसर पर यहां निशान चढ़ाया जाता रहा।मान्यताओं के अनुसार संत सिंगाजी के द्वारा मनुष्यों के साथ साथ मूक पशुओं के दुख दर्द को आज भी दूर किया जाता है।जिसके चलते पशु पालकों के द्वारा उनकी समाधि स्थल पर जाकर सैकड़ो क्विंटल शुद्ध घी अर्पित किया जाता है।
बाईट-जीवदास साध,भक्त
Conclusion:हरदा के गुर्जर बोर्डिंग क्षेत्र में भी संत सिंगाजी का मंदिर है।यहां भी रोजाना बड़ी संख्या में भक्तों के द्वारा सिंगाजी के भजन कीर्तन किया जाकर उनकी चरण पादुका के दर्शन किए जाए है।यहां महिलाओं के द्वारा अपने अस्वस्थ्य बच्चो को लाकर झाड़नी भी दिलाई जाती है।यहां भी शरद पूर्णिमा पर निशान चढ़ाने के साथ साथ भंडारे का आयोजन किया जाता है।
बाईट - सावित्री बाई गुर्जर,भक्त
Body:हरदा के कुलहरदा मोहल्ले में स्तिथ संत सिंगाजी का मंदिर करीब 4 सौ साल पुराना है।निमाड़ जिले से हरदा आकर रहने वाले साध परिवार के लोग संत सिंगाजी के परम भक्त हुआ करते थे।लेकिन हरदा आकर रहने के दौरान वे उदास रहा करते थे।जिसको लेकर संत सिंगाजी ने उन्हें नर्मदा नदी के घाट पर मिलने आने को कहा था।परिवार के नो पीढ़ी के पूर्वज के द्वारा जब नर्मदा नदी में स्नान के लिए डुबकी लगाई उनके हाथों पर चरण पादुका आ गई थी।वही उस समय के नगर सेठ गणेशदास सेठ के यहां भी संतानसुख नही थी उनके द्वारा भी संत सिंगाजी से अरदास की गई थी।उनके घर संतान प्राप्ति होने पर उनके द्वारा संत सिंगाजी के द्वारा प्रदान की गई पादुका के लिए मन्दिर का निर्माण कर निशान चढ़ाया गया था।तब से लेकर आज तक हर साल शरद पूर्णिमा के अवसर पर यहां निशान चढ़ाया जाता रहा।मान्यताओं के अनुसार संत सिंगाजी के द्वारा मनुष्यों के साथ साथ मूक पशुओं के दुख दर्द को आज भी दूर किया जाता है।जिसके चलते पशु पालकों के द्वारा उनकी समाधि स्थल पर जाकर सैकड़ो क्विंटल शुद्ध घी अर्पित किया जाता है।
बाईट-जीवदास साध,भक्त
Conclusion:हरदा के गुर्जर बोर्डिंग क्षेत्र में भी संत सिंगाजी का मंदिर है।यहां भी रोजाना बड़ी संख्या में भक्तों के द्वारा सिंगाजी के भजन कीर्तन किया जाकर उनकी चरण पादुका के दर्शन किए जाए है।यहां महिलाओं के द्वारा अपने अस्वस्थ्य बच्चो को लाकर झाड़नी भी दिलाई जाती है।यहां भी शरद पूर्णिमा पर निशान चढ़ाने के साथ साथ भंडारे का आयोजन किया जाता है।
बाईट - सावित्री बाई गुर्जर,भक्त