हरदा। प्रदेश में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण और इस दौरान संक्रमित मरीजों की देखभाल करने के साथ-साथ मरीजों के सैंपल लेने के लिए पूरे प्रदेश में तीन महीने के लिए संविदा पर स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति की गई थी. तीन महीने की अवधि पूरी होने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग ने जिले में नियुक्त 56 कर्मचारियों में से करीब आधे कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जिसके बाद अब इन कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. साथ ही जिले में कोविड-19 के मरीजों के इलाज और सैंपल लेने में भी स्वास्थ्य विभाग का काम बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. एक ओर जहां कोविड-19 के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं, वही इन कर्मचारियों को हटाए जाने से स्वास्थ्य विभाग की परेशानी कम होने की बजाय बढ़ जाएगी.
स्वास्थ्य कर्मियों ने कार्यकाल बढ़ाने की मांग
कोविड-19 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने गुरुवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालक के नाम SDM शायमेंद्र जायसवाल को ज्ञापन सौंपकर सभी संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के कार्यकाल को बढ़ाए जाने की मांग की है. जिले के अलग-अलग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल में अपनी सेवा देने वाले संविदा कर्मचारियों का कहना है कि प्रशासन ने अचानक से हमारे आधे स्टाफ को हटा दिया है. वहीं फार्मासिस्ट और ANM के साथ-साथ सपोर्टिंग स्टाफ को पूरी तरह से हटा दिया गया है. इसके अलावा स्टाफ नर्से के पदों में भी 50 फीसदी की कमी की गई है, जबकि वे ही हरदा जैसे छोटे जिले में रोजाना 300 सैंपल लेकर अपनी बेहतर सेवाएं दे रही थीं.
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जान जोखिम में डालकर दी सेवाएं
संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि उन्होंने कोरोना संक्रमण काल में अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाएं दी हैं, लेकिन अचानक उन्हें हटाए जाने से उनके पूरे परिवार पर आर्थिक संकट आ जाएगा. ऐसे में उन्होंने प्रशासन से हटाए गए सभी कर्मचारियों को आगामी महीनों में भी कार्य कराए जाने की मांग की है. कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना मरीजो की संख्या मैं लगातार वृद्धि हो रही है.
इस मामले में CMHO डॉक्टर नागवंशी का कहना है कि प्रशासन स्तर पर कर्मचारियों को हटाए जाने के आदेश मिले हैं, जिसको लेकर अब 50 फीसदी कर्मचारियों को हटाया जाएगा. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को हटाए जाने से कोविड-19 का काम प्रभावित होगा.