हरदा। मोहर्रम का पर्व मुस्लिम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद मनाया जाता है. मोहर्रम का पर्व मुस्लिमों के मातमी में त्योहार के रूप में मनाया जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश के हरदा जिले में इस त्योहार के माध्यम से एक ब्राह्मण परिवार के द्वारा सांप्रदायिक एकता की महक देश और प्रदेश में फैलाई जा रही है.
ब्राह्मण परिवार करता है ताजिए का निर्माण
मध्य प्रदेश के हरदा जिले कि ग्राम झाड़पा में रहने वाले एक ब्राह्मण परिवार के द्वारा करीब 350 वर्षों से प्रतिवर्ष मोहर्रम के दौरान ताजिए का निर्माण किया जाता है. इस परिवार की कई पीढ़ियां ये काम लगातार करती आ रही है. झाड़पा गांव के मालगुजार पारे परिवार का नागपुर की कोर्ट में कोई केस चल रहा था. उस दौरान परिवार के बुजुर्गों के द्वारा नागपुर में स्थित बाबा ताज के दरबार पर जाकर फैसला अपने पक्ष में आने की मन्नत मांगी गई थी. फैसला उनके पक्ष में आया तो मन्नत के अनुसार परिवार ताजिए का निर्माण करने लगा, यह परंपरा आज इतने सालों बाद भी जारी है.
350 सालों से चली आ रही है परंपरा
झाड़पा गांव के ग्राम प्रधान और ब्राह्मण परिवार के सदस्य पुरुषोत्तम पारे ने बताया कि "उनके पूर्वजों के द्वारा उन्हें ताजिया निर्माण करने की परंपरा लगातार चलाते रहने को कहा था, मालगुजारी के दौरान उनके परिवार को नागपुर की किसी कोर्ट में सफलता मिली थी, जिसके बाद से ही उनके पूर्वज प्रतिवर्ष ताजिया का निर्माण पीढ़ी दर पीढ़ी करते चले आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि उन्हीं के परिवार के द्वारा नागपुर से फकीर परिवार के लोगों को झापड़ा लाया गया था, वे ही परिवार के लिए ताजिए का निर्माण करते हैं.
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मुस्लिम और हिंदू परिवार मिलकर करते हैं निर्माण
पारे परिवार के सदस्य पुरुषोत्तम पारे बताते हैं कि उन्हें हर साल ताजिए का निर्माण कर खुशी होती है. उनके पूर्वजों द्वारा बताई गई परंपरा का निर्वहन उनका पूरा परिवार रिती रिवाज के साथ करता है. हरदा के समाजसेवी अखिलेश पाराशर ने झाड़पा के परिवार द्वारा किए जा रहे इस काम की सराहना की है. वहीं मुस्लिम परिवार के सदस्य शौकत शाह का कहना है कि ब्राह्मण परिवार के द्वारा उन्हें हर वर्ष ताजिया बनाने के लिए आर्थिक और शारीरिक रूप से सहयोग प्रदान किया जाता है और वे साथ में मिलकर हर साल मोहर्रम के पर्व पर ताजिया का निर्माण करते हैं.