ETV Bharat / state

अजब-गजब MP: जानें कहां ब्राह्मण रखते हैं ताजिए, मनाते हैं मोहर्रम में मातम

हरदा के झाड़पा में रहने वाला एक ब्राह्मण परिवार सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश कर रहा है, यह परिवार 350 सालों से मोहर्रम पर्व पर ताजिए का निर्माण करता है. इस काम में गांव का मुस्लिम परिवार उनकी पूरी तरह से मदद करता है.

ब्राह्मण परिवार करता है मोहर्रम के ताजिए का निर्माण
ब्राह्मण परिवार करता है मोहर्रम के ताजिए का निर्माण
author img

By

Published : Aug 19, 2021, 3:45 PM IST

Updated : Aug 19, 2021, 4:48 PM IST

हरदा। मोहर्रम का पर्व मुस्लिम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद मनाया जाता है. मोहर्रम का पर्व मुस्लिमों के मातमी में त्योहार के रूप में मनाया जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश के हरदा जिले में इस त्योहार के माध्यम से एक ब्राह्मण परिवार के द्वारा सांप्रदायिक एकता की महक देश और प्रदेश में फैलाई जा रही है.

ब्राह्मण परिवार करता है मोहर्रम के ताजिए का निर्माण

ब्राह्मण परिवार करता है ताजिए का निर्माण

मध्य प्रदेश के हरदा जिले कि ग्राम झाड़पा में रहने वाले एक ब्राह्मण परिवार के द्वारा करीब 350 वर्षों से प्रतिवर्ष मोहर्रम के दौरान ताजिए का निर्माण किया जाता है. इस परिवार की कई पीढ़ियां ये काम लगातार करती आ रही है. झाड़पा गांव के मालगुजार पारे परिवार का नागपुर की कोर्ट में कोई केस चल रहा था. उस दौरान परिवार के बुजुर्गों के द्वारा नागपुर में स्थित बाबा ताज के दरबार पर जाकर फैसला अपने पक्ष में आने की मन्नत मांगी गई थी. फैसला उनके पक्ष में आया तो मन्नत के अनुसार परिवार ताजिए का निर्माण करने लगा, यह परंपरा आज इतने सालों बाद भी जारी है.

ताजिए का निर्माण करते पुरुषोत्तम पारे और शौकत शाह
ताजिए का निर्माण करते पुरुषोत्तम पारे और शौकत शाह

MP: राजधानी में नहीं निकलेगा मोहर्रम का जुलूस, गणेश उत्सव के लिए सशर्त छूट, 6 फीट से ऊंची प्रतिमाओं पर भी रोक

350 सालों से चली आ रही है परंपरा

झाड़पा गांव के ग्राम प्रधान और ब्राह्मण परिवार के सदस्य पुरुषोत्तम पारे ने बताया कि "उनके पूर्वजों के द्वारा उन्हें ताजिया निर्माण करने की परंपरा लगातार चलाते रहने को कहा था, मालगुजारी के दौरान उनके परिवार को नागपुर की किसी कोर्ट में सफलता मिली थी, जिसके बाद से ही उनके पूर्वज प्रतिवर्ष ताजिया का निर्माण पीढ़ी दर पीढ़ी करते चले आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि उन्हीं के परिवार के द्वारा नागपुर से फकीर परिवार के लोगों को झापड़ा लाया गया था, वे ही परिवार के लिए ताजिए का निर्माण करते हैं.

ताजिए को बनाने में मदद करते पुरुषोत्तम पारे
ताजिए को बनाने में मदद करते पुरुषोत्तम पारे

Muharram 2021: बिना अनुमति मोहर्रम का जुलूस निकालना पड़ा भारी, 12 नामजद-300 अज्ञात पर FIR दर्ज

मुस्लिम और हिंदू परिवार मिलकर करते हैं निर्माण

पारे परिवार के सदस्य पुरुषोत्तम पारे बताते हैं कि उन्हें हर साल ताजिए का निर्माण कर खुशी होती है. उनके पूर्वजों द्वारा बताई गई परंपरा का निर्वहन उनका पूरा परिवार रिती रिवाज के साथ करता है. हरदा के समाजसेवी अखिलेश पाराशर ने झाड़पा के परिवार द्वारा किए जा रहे इस काम की सराहना की है. वहीं मुस्लिम परिवार के सदस्य शौकत शाह का कहना है कि ब्राह्मण परिवार के द्वारा उन्हें हर वर्ष ताजिया बनाने के लिए आर्थिक और शारीरिक रूप से सहयोग प्रदान किया जाता है और वे साथ में मिलकर हर साल मोहर्रम के पर्व पर ताजिया का निर्माण करते हैं.

हरदा। मोहर्रम का पर्व मुस्लिम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद मनाया जाता है. मोहर्रम का पर्व मुस्लिमों के मातमी में त्योहार के रूप में मनाया जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश के हरदा जिले में इस त्योहार के माध्यम से एक ब्राह्मण परिवार के द्वारा सांप्रदायिक एकता की महक देश और प्रदेश में फैलाई जा रही है.

ब्राह्मण परिवार करता है मोहर्रम के ताजिए का निर्माण

ब्राह्मण परिवार करता है ताजिए का निर्माण

मध्य प्रदेश के हरदा जिले कि ग्राम झाड़पा में रहने वाले एक ब्राह्मण परिवार के द्वारा करीब 350 वर्षों से प्रतिवर्ष मोहर्रम के दौरान ताजिए का निर्माण किया जाता है. इस परिवार की कई पीढ़ियां ये काम लगातार करती आ रही है. झाड़पा गांव के मालगुजार पारे परिवार का नागपुर की कोर्ट में कोई केस चल रहा था. उस दौरान परिवार के बुजुर्गों के द्वारा नागपुर में स्थित बाबा ताज के दरबार पर जाकर फैसला अपने पक्ष में आने की मन्नत मांगी गई थी. फैसला उनके पक्ष में आया तो मन्नत के अनुसार परिवार ताजिए का निर्माण करने लगा, यह परंपरा आज इतने सालों बाद भी जारी है.

ताजिए का निर्माण करते पुरुषोत्तम पारे और शौकत शाह
ताजिए का निर्माण करते पुरुषोत्तम पारे और शौकत शाह

MP: राजधानी में नहीं निकलेगा मोहर्रम का जुलूस, गणेश उत्सव के लिए सशर्त छूट, 6 फीट से ऊंची प्रतिमाओं पर भी रोक

350 सालों से चली आ रही है परंपरा

झाड़पा गांव के ग्राम प्रधान और ब्राह्मण परिवार के सदस्य पुरुषोत्तम पारे ने बताया कि "उनके पूर्वजों के द्वारा उन्हें ताजिया निर्माण करने की परंपरा लगातार चलाते रहने को कहा था, मालगुजारी के दौरान उनके परिवार को नागपुर की किसी कोर्ट में सफलता मिली थी, जिसके बाद से ही उनके पूर्वज प्रतिवर्ष ताजिया का निर्माण पीढ़ी दर पीढ़ी करते चले आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि उन्हीं के परिवार के द्वारा नागपुर से फकीर परिवार के लोगों को झापड़ा लाया गया था, वे ही परिवार के लिए ताजिए का निर्माण करते हैं.

ताजिए को बनाने में मदद करते पुरुषोत्तम पारे
ताजिए को बनाने में मदद करते पुरुषोत्तम पारे

Muharram 2021: बिना अनुमति मोहर्रम का जुलूस निकालना पड़ा भारी, 12 नामजद-300 अज्ञात पर FIR दर्ज

मुस्लिम और हिंदू परिवार मिलकर करते हैं निर्माण

पारे परिवार के सदस्य पुरुषोत्तम पारे बताते हैं कि उन्हें हर साल ताजिए का निर्माण कर खुशी होती है. उनके पूर्वजों द्वारा बताई गई परंपरा का निर्वहन उनका पूरा परिवार रिती रिवाज के साथ करता है. हरदा के समाजसेवी अखिलेश पाराशर ने झाड़पा के परिवार द्वारा किए जा रहे इस काम की सराहना की है. वहीं मुस्लिम परिवार के सदस्य शौकत शाह का कहना है कि ब्राह्मण परिवार के द्वारा उन्हें हर वर्ष ताजिया बनाने के लिए आर्थिक और शारीरिक रूप से सहयोग प्रदान किया जाता है और वे साथ में मिलकर हर साल मोहर्रम के पर्व पर ताजिया का निर्माण करते हैं.

Last Updated : Aug 19, 2021, 4:48 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.