ग्वालियर। अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए काम की तलाश में अन्य जिलों और प्रदेशों में काम करने गए मजदूर लॉकडाउन के चलते अब अपने घरों की ओर वापस लौट रहे हैं. लॉकडाउन को लगे काफी दिन हो चुके हैं, कई मजदूर अपनी साइकिल से अपने बच्चों, परिवार के साथ सामान लादे सड़कों पर दिख रहे हैं, तो कुछ पैदल ही मीलों का सफर तय कर रहे हैं. लगातार मजदूर अपने घरों के लिए देश के अलग अलग जगहों से लौट रहे हैं, सरकार ने इनके लिए स्पेशल ट्रेन और बस की व्यवस्था की है बावजूद इसके कई मजदूर पैदल ही अपने घरों को जाने के लिए मजबूर हैं. न इनके पास पैसे हैं, न खाना, न पहनने को पैरो में चप्पल भरी धूप में भी यह मजदूर सड़को पर चलते नजर आ रहें हैं. वहीं कुछ लोग अब इन प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए आगे आ रहें हैं और इनके लिए खाना, पानी आदि की व्यवस्था कर रहें हैं.
ग्वालियर में भी कई सामाजिक संगठन और लोग प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए अब खुलकर आगे आ रहें हैं. हर रविवार को गरीब और बेसहारा लोगों को खाना वितरित करने वाले कुछ युवा अब हाईवे पर निकलकर प्रवासी मजदूरों को ना सिर्फ जूते चप्पल पहना रहे हैं बल्कि मौसम के लिहाज से उन्हें पीने के लिए मठा भी दे रहें हैं ताकि वह इस चिलचिलाती गर्मी में बचे रहें.
दरअसल ग्वालियर- डबरा और ग्वालियर- शिवपुरी हाईवे पर विभिन्न राज्यों से लौट रहे प्रवासी मजदूरों का निकलना निरंतर जारी है. सोशल मीडिया में जिस तरह से मजदूरों की दुर्दशा की खबरें आ रही है, उसे देखने के बाद शहर में समाज सेवा करने वाले युवा खुद को रोक नहीं पाए और इन मजदूरों के लिए हाइवे पर जाने के लिए मजबूर हो गए. इन युवाओं ने ग्वालियर झांसी मार्ग पर मालवा कॉलेज के सामने कैंप लगाकर प्रवासी मजदूरों उनकी महिलाओं और बच्चों को भीषण गर्मी में चप्पल आदि पहनाई. कई मजदूरों की चप्पल टूट गई थी, तो कई मजदूरों और महिलाओं की जूतियां और जूते बुरी तरह घिस गए थे, जिससे उनके पांव में छाले पड़ने लगे थे. यही देख ग्वालियर में रविवार को गरीब और बेसहारा लोगों भोजन वितरित करने वाले युवाओं ने उन्हें चप्पल, जूते पहनाए.
इतना ही नहीं युवाओं ने 42 डिग्री सेल्सियस के तापमान में पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों को मट्ठे के पैकेट भी वितरित किए ताकि वह कुछ ठंडा पी सके. साथ ही इन युवाओं ने मजदूरों को खाना भी बांटा, इस समाजसेवियों की टोली में कोई बड़े बुजुर्ग नहीं बल्कि सभी युवा वर्ग शामिल हैं जो कॉलेज में पढ़ते हैं यह सभी आगे आकर मजदूरों के लिए मदद कर रहे है.