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1857 स्वतंत्रता संग्राम में उपयोग हुए अस्त्र शस्त्रों का किया पूजन, 745 साधुओं ने इन्हीं शस्त्रों से दी थी अपने प्राणों की आहुति - Worshiped the weapons used in 1857 freedom struggle

दशहरा के मौके पर महंत रामसेवक दास महाराज ने देव पूजन और गुरु गद्दी पूजन के साथ शाला में मौजूद सदियों पुरानी ऐतिहासिक अस्त्र शस्त्रों का पूजन किया.

Historical Weapons worship
ऐतिहासिक अस्त्र शस्त्रों का पूजन
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Published : Oct 26, 2020, 2:21 PM IST

ग्वालियर। दशहरा के मौके पर गंगा दास शाला में शस्त्रों का पूजन किया गया. इस दौरान महंत रामसेवक दास महाराज ने देव पूजन और गुरु गद्दी पूजन के साथ शाला में मौजूद सदियों पुरानी ऐतिहासिक अस्त्र शस्त्रों का पूजन किया. उसके बाद संतो ने अस्त्र शस्त्रों का प्रदर्शन कर शाही निशानों को सलामी दी गई. वहीं 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए शस्त्रों का पूजन किया गया, लेकिन इस बार चुनाव आचार संहिता लागू होने के चलते तोपों की सलामी नहीं दी गई.

Historical Weapons worship
ऐतिहासिक अस्त्र शस्त्रों का पूजन
गौरतलब है कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से लड़ते हुए रानी लक्ष्मीबाई की जान बचाने के लिए 745 साधुओं ने इन्हीं शस्त्रों का प्रयोग करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी और यह सभी साधु गंगा नाथ की शाला में रहते थे. शाला में पिछले लंबे समय से इन शब्दों का पूजन किया जाता है और हर साल इसे धूमधाम से मनाया जाता है.

ग्वालियर। दशहरा के मौके पर गंगा दास शाला में शस्त्रों का पूजन किया गया. इस दौरान महंत रामसेवक दास महाराज ने देव पूजन और गुरु गद्दी पूजन के साथ शाला में मौजूद सदियों पुरानी ऐतिहासिक अस्त्र शस्त्रों का पूजन किया. उसके बाद संतो ने अस्त्र शस्त्रों का प्रदर्शन कर शाही निशानों को सलामी दी गई. वहीं 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए शस्त्रों का पूजन किया गया, लेकिन इस बार चुनाव आचार संहिता लागू होने के चलते तोपों की सलामी नहीं दी गई.

Historical Weapons worship
ऐतिहासिक अस्त्र शस्त्रों का पूजन
गौरतलब है कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से लड़ते हुए रानी लक्ष्मीबाई की जान बचाने के लिए 745 साधुओं ने इन्हीं शस्त्रों का प्रयोग करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी और यह सभी साधु गंगा नाथ की शाला में रहते थे. शाला में पिछले लंबे समय से इन शब्दों का पूजन किया जाता है और हर साल इसे धूमधाम से मनाया जाता है.
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