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विश्व डाक दिवस: समय के साथ बदलने लगा है सूचनाओं के भरोसे का सबसे बड़ा नेटवर्क

अब न किसी को कलम-कॉपी की जरूरत पड़ती है और न ही पत्र लिखने के लिए शब्दों के चयन की क्योंकि वक्त के साथ सबकुछ बदलता जा रहा है, अब किसी को डाकिया का इंतजार तक नहीं रहता है, अब तो सेकंडों में सूचनाएं ट्रांसफर करने की तकनीक का जमाना है, यही वजह है कि एक वक्त सूचनाओं का सबसे भरोसेमंद विभाग अब चिट्ठी-पत्री की बजाय खुद को दूसरे कामों में खपा रहा है.

World Post Day
विश्व डाक दिवस
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Published : Oct 9, 2021, 12:38 PM IST

Updated : Oct 9, 2021, 1:07 PM IST

ग्वालियर। आज विश्व डाक दिवस है, इस मौके पर आज आपको डाक विभाग की दिलचस्प बातें बताएंगे जो शायद ही आपको मालूम होगी, डाक विभाग भारत ही नहीं, बल्कि विश्व का सबसे बड़ा पोस्टर नेटवर्क है. यही वजह है कि डाक विभाग पूरे भारत का सूचना पहुंचाने का सबसे विश्वसनीय और सस्ता साधन है. यह विभाग आम आदमी से लेकर व्यापारियों के साथ-साथ जीवन से जुड़े सभी सामाजिक और आर्थिक विकास में काफी योगदान रहता है. इस विभाग में काम करने वाले कर्मचारी भी समाजसेवक के तौर पर जाने जाते हैं, पोस्टमैन से लेकर डाक सहायक और वरिष्ठ अधिकारी लोगों के भरोसे पर खरे उतरते हैं, आज भी लोग पोस्टमैन पर सबसे अधिक भरोसा करते हैं.

कितना बदला चिट्ठी का सफर, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में क्या हैं हालात

आपसी प्रेम को जोड़ने वाला पुल है डाक विभाग

9 अक्टूबर यानि आज ही के दिन पूरी दुनिया में विश्व डाक दिवस मनाया जाता है, 1874 में स्विट्जरलैंड के बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना हुई थी और 1969 में जापान की राजधानी टोक्यो में यूपीयू कांग्रेस ने 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रूप में घोषित किया था. डाक विभाग पूरे विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क है. शुरू से ही डाक विभाग की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, डाक विभाग ने लोगों के एक दूसरे के अटूट प्रेम को बांधे रखा, लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखकर लोगों का विश्वास जीता है, जब देश में डिजिटल का नाम तक नहीं था, उस समय डाक विभाग ही एक ऐसा विभाग था, जोकि लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखकर एक दूसरों को बांधता रहा, पत्र के जरिए लोगों के एक दूसरे के संबंध में सेतु का काम करता रहा है और लोगों के दुख-दर्द और प्यार की सूचनाएं उन तक पहुंचाता रहा है.

डिजिटल दुनिया से खतरे में डाक विभाग!

आजादी के बाद देश में एकमात्र डाक विभाग ही ऐसा था, जोकि लोगों के बीच एक सेतु का काम करता था, अब जैसे जैसे डिजिटल युग बढ़ रहा है, डाक विभाग का अस्तित्व कम होता जा रहा है. सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए नए-नए साधन उपलब्ध हैं, इस वजह से अब सूचनाओं को लेकर डाक विभाग के पास लोगों की संख्या न के बराबर है, पहले लोग डाक विभाग के पास पत्र के साथ-साथ आर्थिक साधन के लिए पहुंचे थे, पर अब ऐसा नहीं है. यही वजह है कि अब धीरे-धीरे डाक विभाग को लोग भूलते जा रहे हैं. अब डाक विभाग धीरे-धीरे बैंक में तब्दील होता जा रहा है, मतलब जिस पत्र से डाक विभाग की पहचान हुआ करती थी, वह आज खतरे में है.

डाकिया के पास पत्र नहीं पार्सलों की भरमार

डाक विभाग के अधीक्षक एसके ठाकरे का कहना है कि डाक विभाग में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी और जिम्मेदारी डाकिया की होती है, यही सबसे मजबूत स्तंभ माना जाता है और इसी पर लोग सबसे ज्यादा विश्वास और भरोसा रखते हैं. यह वही कर्मचारी है जो लोगों के घर-घर जाकर पत्र के जरिए लोगों का विश्वास आपसी प्रेम और भरोसे को मजबूत करता है, लेकिन अब डाकिया के पास पत्र नहीं बल्कि पार्सल दिखाई देते हैं. आधुनिक युग में संचार के अलग-अलग साधन आने के कारण पत्रों का अस्तित्व खत्म हो गया है और अब लोग पत्र नहीं बल्कि अन्य दूसरे साधन से संपर्क करने लगे हैं. डाक विभाग का उपयोग अब सिर्फ जरूरी सामान लाने या फिर अन्य साधनों को वहां तक पहुंचाने के लिए कर रहे हैं.

बचत का साधन बन रहा है डाक विभाग

समय के साथ डाक विभाग का स्वरूप भी बदल गया है, व्यक्तिगत पत्र का स्थान अब बिजनेस डाक और पार्सल ने ले लिया है, ऐसे में डाक विभाग भी नई टेक्नोलॉजी पर आधारित सेवाएं शुरू कर दी है. शुरू से ही डाक विभाग को लोगों ने सबसे ज्यादा बचत का साधन बनाया है, लोगों के यहां पर बचत खाते सबसे ज्यादा खुले हैं. साथ ही यहां पर बचत में पैसा जमा किया है. डाक विभाग धीरे-धीरे बैंक में तब्दील हो रहा है और अब डाकिया डाक के साथ वित्तीय लेनदेन की सेवाएं भी घर-घर मुहैया करा रहा है. अब व्यक्ति डिजिटल सिस्टम से किसी भी बैंक का खाता धारक किसी भी वक्त घर पर रुपए हासिल कर सकता है, डाकघरों में जन सुविधा के लिए आधार नामांकन व अपडेशन केंद्र पोस्ट ऑफिस, पासपोर्ट सेवा केंद्र, रेलवे की टिकटों की बिक्री, गंगाजल की बिक्री, ऊर्जा संरक्षण के लिए एलईडी बल्ब का वितरण जैसी सेवाएं भी शुरू कर दी है.

ग्वालियर। आज विश्व डाक दिवस है, इस मौके पर आज आपको डाक विभाग की दिलचस्प बातें बताएंगे जो शायद ही आपको मालूम होगी, डाक विभाग भारत ही नहीं, बल्कि विश्व का सबसे बड़ा पोस्टर नेटवर्क है. यही वजह है कि डाक विभाग पूरे भारत का सूचना पहुंचाने का सबसे विश्वसनीय और सस्ता साधन है. यह विभाग आम आदमी से लेकर व्यापारियों के साथ-साथ जीवन से जुड़े सभी सामाजिक और आर्थिक विकास में काफी योगदान रहता है. इस विभाग में काम करने वाले कर्मचारी भी समाजसेवक के तौर पर जाने जाते हैं, पोस्टमैन से लेकर डाक सहायक और वरिष्ठ अधिकारी लोगों के भरोसे पर खरे उतरते हैं, आज भी लोग पोस्टमैन पर सबसे अधिक भरोसा करते हैं.

कितना बदला चिट्ठी का सफर, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में क्या हैं हालात

आपसी प्रेम को जोड़ने वाला पुल है डाक विभाग

9 अक्टूबर यानि आज ही के दिन पूरी दुनिया में विश्व डाक दिवस मनाया जाता है, 1874 में स्विट्जरलैंड के बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना हुई थी और 1969 में जापान की राजधानी टोक्यो में यूपीयू कांग्रेस ने 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रूप में घोषित किया था. डाक विभाग पूरे विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क है. शुरू से ही डाक विभाग की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, डाक विभाग ने लोगों के एक दूसरे के अटूट प्रेम को बांधे रखा, लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखकर लोगों का विश्वास जीता है, जब देश में डिजिटल का नाम तक नहीं था, उस समय डाक विभाग ही एक ऐसा विभाग था, जोकि लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखकर एक दूसरों को बांधता रहा, पत्र के जरिए लोगों के एक दूसरे के संबंध में सेतु का काम करता रहा है और लोगों के दुख-दर्द और प्यार की सूचनाएं उन तक पहुंचाता रहा है.

डिजिटल दुनिया से खतरे में डाक विभाग!

आजादी के बाद देश में एकमात्र डाक विभाग ही ऐसा था, जोकि लोगों के बीच एक सेतु का काम करता था, अब जैसे जैसे डिजिटल युग बढ़ रहा है, डाक विभाग का अस्तित्व कम होता जा रहा है. सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए नए-नए साधन उपलब्ध हैं, इस वजह से अब सूचनाओं को लेकर डाक विभाग के पास लोगों की संख्या न के बराबर है, पहले लोग डाक विभाग के पास पत्र के साथ-साथ आर्थिक साधन के लिए पहुंचे थे, पर अब ऐसा नहीं है. यही वजह है कि अब धीरे-धीरे डाक विभाग को लोग भूलते जा रहे हैं. अब डाक विभाग धीरे-धीरे बैंक में तब्दील होता जा रहा है, मतलब जिस पत्र से डाक विभाग की पहचान हुआ करती थी, वह आज खतरे में है.

डाकिया के पास पत्र नहीं पार्सलों की भरमार

डाक विभाग के अधीक्षक एसके ठाकरे का कहना है कि डाक विभाग में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी और जिम्मेदारी डाकिया की होती है, यही सबसे मजबूत स्तंभ माना जाता है और इसी पर लोग सबसे ज्यादा विश्वास और भरोसा रखते हैं. यह वही कर्मचारी है जो लोगों के घर-घर जाकर पत्र के जरिए लोगों का विश्वास आपसी प्रेम और भरोसे को मजबूत करता है, लेकिन अब डाकिया के पास पत्र नहीं बल्कि पार्सल दिखाई देते हैं. आधुनिक युग में संचार के अलग-अलग साधन आने के कारण पत्रों का अस्तित्व खत्म हो गया है और अब लोग पत्र नहीं बल्कि अन्य दूसरे साधन से संपर्क करने लगे हैं. डाक विभाग का उपयोग अब सिर्फ जरूरी सामान लाने या फिर अन्य साधनों को वहां तक पहुंचाने के लिए कर रहे हैं.

बचत का साधन बन रहा है डाक विभाग

समय के साथ डाक विभाग का स्वरूप भी बदल गया है, व्यक्तिगत पत्र का स्थान अब बिजनेस डाक और पार्सल ने ले लिया है, ऐसे में डाक विभाग भी नई टेक्नोलॉजी पर आधारित सेवाएं शुरू कर दी है. शुरू से ही डाक विभाग को लोगों ने सबसे ज्यादा बचत का साधन बनाया है, लोगों के यहां पर बचत खाते सबसे ज्यादा खुले हैं. साथ ही यहां पर बचत में पैसा जमा किया है. डाक विभाग धीरे-धीरे बैंक में तब्दील हो रहा है और अब डाकिया डाक के साथ वित्तीय लेनदेन की सेवाएं भी घर-घर मुहैया करा रहा है. अब व्यक्ति डिजिटल सिस्टम से किसी भी बैंक का खाता धारक किसी भी वक्त घर पर रुपए हासिल कर सकता है, डाकघरों में जन सुविधा के लिए आधार नामांकन व अपडेशन केंद्र पोस्ट ऑफिस, पासपोर्ट सेवा केंद्र, रेलवे की टिकटों की बिक्री, गंगाजल की बिक्री, ऊर्जा संरक्षण के लिए एलईडी बल्ब का वितरण जैसी सेवाएं भी शुरू कर दी है.

Last Updated : Oct 9, 2021, 1:07 PM IST
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