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ग्वालियर में मिल सकती है 'स्याहगोश कैराकल' प्रजाति की दुर्लभ बिल्ली, जानें खासियत

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने दुर्लभ वन्यजीव 'स्याहगोश कैराकल' की मौजूदगी की संभावना जताई है. वन विभाग की टीम ने ग्वालियर, भिंड, मुरैना और शिवपुरी के जंगलों में इसकी तलाश शुरु कर दी है.

ग्वालियर में मिल सकती है जंगली बिल्ली
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Published : Apr 30, 2019, 6:16 PM IST

ग्वालियर| अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने ग्वालियर अंचल में दुर्लभ वन्यजीव 'स्याहगोश कैराकल' की मौजूदगी की संभावना जताई है. वन विभाग की टीम ने ग्वालियर, भिंड, मुरैना और शिवपुरी के जंगलों में इस दुर्लभ बिल्ली की तलाश शुरू कर दी है.

ग्वालियर में मिल सकती है जंगली बिल्ली

स्याहगोश जंगली बिल्ली की एक प्रजाति है. इसकी खोज के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टर लगाए गए हैं. वहीं कुछ क्षेत्रों में नाइट विजन कैमरे भी लगाए जा रहे हैं. इसकी तलाश के लिए वन विभाग के अफसर से लेकर वन रक्षकों तक की टीम बना दी गई है. वन विभाग के मुताबिक ये प्रजाति संकट ग्रस्त है और प्रदेश में इसे अभी तक देखा नहीं गया है. इसलिए वन विभाग फोटो के जरिए तलाश कर रहा है.

जंगली बिल्ली की खासियत ये है कि रात में घूमती है. शहरी बिल्लियों से ज्यादा बड़ी होती है. खुले मैदान में रहना पसंद करती है, लिहाजा पठारी इलाकों में इसकी मौजूदगी की संभावना जताई गई है. ग्वालियर डीएफओ का कहना है कि प्रत्येक दुर्लभ प्रजाति मानव जीवन से सीधा ताल्लुक रखती है. ऐसे में इन दुर्लभ जीवों का विलुप्त हो जाना मानव जीवन पर भी संकट खड़ा कर सकता है.

ग्वालियर| अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने ग्वालियर अंचल में दुर्लभ वन्यजीव 'स्याहगोश कैराकल' की मौजूदगी की संभावना जताई है. वन विभाग की टीम ने ग्वालियर, भिंड, मुरैना और शिवपुरी के जंगलों में इस दुर्लभ बिल्ली की तलाश शुरू कर दी है.

ग्वालियर में मिल सकती है जंगली बिल्ली

स्याहगोश जंगली बिल्ली की एक प्रजाति है. इसकी खोज के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टर लगाए गए हैं. वहीं कुछ क्षेत्रों में नाइट विजन कैमरे भी लगाए जा रहे हैं. इसकी तलाश के लिए वन विभाग के अफसर से लेकर वन रक्षकों तक की टीम बना दी गई है. वन विभाग के मुताबिक ये प्रजाति संकट ग्रस्त है और प्रदेश में इसे अभी तक देखा नहीं गया है. इसलिए वन विभाग फोटो के जरिए तलाश कर रहा है.

जंगली बिल्ली की खासियत ये है कि रात में घूमती है. शहरी बिल्लियों से ज्यादा बड़ी होती है. खुले मैदान में रहना पसंद करती है, लिहाजा पठारी इलाकों में इसकी मौजूदगी की संभावना जताई गई है. ग्वालियर डीएफओ का कहना है कि प्रत्येक दुर्लभ प्रजाति मानव जीवन से सीधा ताल्लुक रखती है. ऐसे में इन दुर्लभ जीवों का विलुप्त हो जाना मानव जीवन पर भी संकट खड़ा कर सकता है.

Intro:ग्वालियर- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ आईयूसीएन द्वारा ग्वालियर अंचल में दुर्लभ वन्यजीव स्यासगोश कैराकल के नाम से भी जाना जाता है। इसकी मौजूदगी की संभावना जताई गई है जिसके चलते वन क्षेत्र ग्वालियर के साथ-साथ भिंड, मुरैना और शिवपुरी क्षेत्र आता है यहां पर वन विभाग की ओर से इस दुर्लभ जीव की तलाश शुरू कर दी गई है। जिसके चलते वन विभाग द्वारा यह स्यासगोश जंगली बिल्ली प्रजाति है इसकी खोज के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टर लगाए गए हैं। वहीं कुछ क्षेत्रों में नाइट विजन कैमरे भी लगाए जा रहे हैं।


Body:दरअसल ग्वालियर अंचल के जंगलों में दुर्लभ वन्यजीव उसकी मौजूदगी की जानकारी मिली है आईयूसीएन द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर मध्य प्रदेश वन्यजीव विभाग ने इसकी तलाश शुरू कर दी है। इसके लिए वन अफसर से लेकर वन रक्षकों तक की टीम बना दी गई है। क्या वह प्रजाति संकट ग्रस्त है। और प्रदेश में इसे अभी तक देखा नहीं गया है। इसलिए वन विभाग इसके कुछ फोटो के माध्यम से इसकी तलाश में जुटा हुआ है। इस अत्यंत दुर्लभ जीव की खासियत यह है कि रात्रि चर वन्य प्राणी है यह शहरी बिल्लियों से ज्यादा बड़ी होती है इसका वजन भी 8 से 10 किलो तक होता है रात में बच निकलने के कारण अभी तक इसे आम लोगों द्वारा देखा नहीं गया है। यह खुले मैदान में रहना पसंद करता है।इसलिए अंचल में पठारी इलाकों में इसकी मौजूदगी की संभावना जताई गई है। इसकी तलाश के लिए वन विभाग अपने हिना रानी स्टाफ के अलावा गांव वालों की मदद ले रहा है वर्षों के अलावा वरिष्ठ अफसर भी इस काम में लगे हैं । ग्वालियर डीएफओ का कहना है।कि प्रत्येक दुर्लभ प्रजाति मानव जीवन से सीधा ताल्लुक रखती है। ऐसे में इन दुर्लभ जीवो का विलुप्त हो जाना मानव जीवन पर भी संकट खड़ा कर सकता है। इसलिए सभी लोग को बढ़-चढ़कर इस दुर्लभ प्रजाति की खोज में आगे आना चाहिए।


Conclusion:बाईट- ओपी ओचाढ़िया डीएफओ ग्वालियर
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