ग्वालियर। जिले की जिन सोलह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से करैरा सीट भी अहम है, लगातार 2 बार कांग्रेस के कब्जे में रही इस सीट पर इस बार भाजपा पूरा जोर लगा रही है. पिछली बार कांग्रेस से जीते जसमंत जाटव इस बार भाजपा से प्रत्यशी होंगे तो कांग्रेस भी बसपा से कांग्रेस में आने वाले प्रागीलाल जाटव पर दांव खेल सकती है. करैरा में मुद्दों की कमी नहीं है, इन्ही में से एक मुद्दा है बिजली का क्योंकि यहां के किसानों को अभी जरूरत के वक्त बिजली नहीं मिल पा रही है और बिल भी तगड़े आ रहे हैं.
यहां उपचुनाव में भाजपा कांग्रेस दोनों ही पार्टियां बिजली के मुद्दे पर जनता के बीच पहुंचेंगी क्योंकि किसानों का मुद्दा है. ये कांग्रेस की माने तो प्रदेश में जब कमलनाथ सरकार बनी थी तो बिजली बिलों से लोगों को राहत मिली थी, यह तो सबको पता है, 100 यूनिट तक का बिल तब 100 रुपए और इससे अधिक यूनिट के बिलों की राशि पचास फीसदी ही लोगों को देना पड़ रहा था, इससे गरीब और मध्यम वर्गीय खुश था, लेकिन जैसे ही प्रदेश की सत्ता भाजपा ने संभाली, बिजली के बिलों में करंट दौड़ने लगा, लोगों को भारी भरकम बिल थमाए जाने लगे, साथ ही कांग्रेस क्षेत्र के किसानों को फसल के लिए पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाने की बात कहती नजर आती है और आम जनता बिजली कटौती से त्रस्त है. शहरी क्षेत्र में बिजली दिन भर गायब रहती है,बिजली की बात हो या बिल की इसको लेकर लोग कमलनाथ को याद करते हैं.
उपचुनाव की तारीखों का भले ही अभी एलान न हुआ हो, लेकिन भाजपा पूरी तैयारी में है, बिजली समस्या को लेकर पहुंचने वाले किसानों की पूर्व विधायक और भाजपा प्रत्याशी जसमन्त जाटव प्राथमिकता पर सुनवाई कर रहे हैं. कमलनाथ सरकार में ही करेरा से कांग्रेस विधायक रहे जसमन्त जाटव अब बिजली बिल के मामले में कमलनाथ को कोसते नजर आते हैं. किसानों को बिजली मिले, इसके लिए वह अधिकारियों से भी चर्चा कर रहे हैं.
जसमंत जाटव कहते हैं कि कमलनाथ सरकार बिजली के बादे पर भी झूठी निकली, किसानों को मुख्यमंत्री अनुदान योजना में जो लाभ बिजली को लेकर मिलता था, उसे कमलनाथ ने बंद कर किसानों के साथ धोखा किया है, शिवराज की तारीफ करते हुए जसमन्त कहते हैं कि यदि पांचवीं बार प्रदेश को कृषि कर्मण्य अवार्ड मिला तो वो ऐसे ही नहीं मिला, किसानों को बिजली मिली तभी उपज ज्यादा हुई.
बिजली की हालत देखी जाए तो दोनों सरकारों में अपने अपने तरीके से लोगों को लुभा रही हैं. 100 यूनिट तक के बिल वाले लोग ज्यादा रहे, जो कमलनाथ की सरकार में खुश थे. कांग्रेस इसको लेकर जनता के बीच जाएगी, लेकिन भाजपा मुख्यमंत्री अनुदान योजना बंद करने को लेकर जनता के बीच में है. अब देखना ये है कि किसानों को कृषि के लिए न मिलने वाली बिजली का करंट और बिलों में दौड़ता करंट उपचुनाव में किस पार्टी को लगता है.