ग्वालियर। अपनी बदहाली पर आंसू बहाता ये भवन सामान्य नहीं है क्योंकि इसी भवन में देश का भविष्य गढ़ा जाता है. यूं तो स्कूलों की हर दीवार पर महापुरुषों के चित्र बने होते हैं, उनके संदेश लिखे होते हैं, सर्व शिक्षा अभियान के स्लोगन लिखे होते हैं, लेकिन सिंधिया के रियासत काल में तामीर की गई इमारत में लंबे समय से सरकारी स्कूल संचालित किया जा रहा है, जिसकी दीवारों पर खतरों से बचने की चेतावनी लिखी गयी है, हर दीवार पर छात्रों को तालीम देने वाली लाइनों की जगह खतरों से बचने की हिदायद दी गई है.
सरकारी हरि दर्शन स्कूल की इमारत सरकारी दावों की हकीकत के वास्तविक दर्शन कराने के लिए काफी है. जिसके जर्रे-जर्रे से खौफ की आहट सुनाई पड़ रही है, इसके बावजूद बच्चे अपने उज्जवल भविष्य की चाहत में खतरे की आहट को भी अनसुना कर रहे हैं और जिम्मेदार दीवारों पर चेतावनी लिख अपने दायित्वों से पीछा छुड़ा लिये.
स्कूल के प्राचार्य शिवम शर्मा ने बताया कि ऊपर की मंजिल की हालत जर्जर है, इसलिए ऊपर जाने के सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं, बारिश के समय भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. वहीं स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों का कहना है कि वह जब भी क्लास में बैठते हैं तो उन्हें यही डर सताता रहता है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए.
ईटीवी भारत ने जब स्थानीय सांसद विवेक नारायण शेजवलकर से इस बावत पूछा तो उन्होंने कहा कि आपके जरिये ही जानकारी मिली है, अगली बैठक में इस मुद्दे को प्राथमिकता से रुखूंगा. वहीं, डीपीसी संजीव शर्मा का कहना है कि बारिश से पहले ही जर्जर भवनों को चिह्नित कर स्कूल प्रबंधकों को निर्देशित कर दिया गया है. जल्द ही इन भवनों की मरम्मत करा दी जायेगी और जिन भवनों करो शिफ्ट करना है, उन्हें शिफ्ट किया जायेगा.
आम तौर पर जिस परिवेश में बच्चे पलते हैं, उसी को अपने जीवन में उतार लेते हैं. ऐसे में दीवारों पर लिखी ये चेतावनी इन बच्चों के भविष्य पर क्या असर डालेगी, इस पर गंभीरता से विचार करना जरूरी है.