ग्वालियर। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों में मंगलवार को मतदान खत्म हो गया. इन 28 सीटों में ग्वालियर चंबल अंचल की 16 सीटें सबसे अहम है. ग्वालियर जिले की अगर बात करें तो ग्वालियर जिले में 3 विधानसभा सीटों में मतदान संपन्न हुआ है. जिसमें से ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व और डबरा विधानसभा शामिल है.आइए एक नजर डालते हैं इन तीनों विधानसभा पर क्या है सियासी समीकरण,और मतदाताओं का क्या रुझान रहा है.
जिले की तीनों विधानसभा सीटों में युवा मतदाताओं का रुख सबसे ज्यादा देखने को मिला है. क्योंकि इस बार के बने हालातों में सर्वाधिक वोटर संख्या में युवा मतदाता बढ़-चढ़कर मतदान करने पहुंचे. कहा जा रहा है कि
डबरा विधानसभा में 66.68 प्रतिशत मतदान हुआ. जबकि वर्ष 2018 में 68.12 प्रतिशत मतदान हुआ था. ग्वालियर विधानसभा सीट में इस बार 56.15 फीसदी मतदान हुआ. जबकि 2018 में 62.59 फीसदी मतदान हुआ था. वहीं ग्वालियर पूर्व विधानसभा में भी पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में काफी कम मतदान हुआ है. ग्वालियर पूर्व विधानसभा में महज 48.15 मतदाता मतदान करने पहुंचे. जबकि 2018 में 57.17 फीसदी मतदान हुआ था.
ग्रामीण क्षेत्रों में हुआ ज्यादा मतदान
ग्वालियर जिले की एकमात्र ग्रामीण सीट जहां उपचुनाव हुआ है. वह डबरा विधानसभा है. जहां बीते विधानसभा चुनाव 2018 के अनुसार बंपर वोटिंग देखने को मिली. हालांकि मतदान प्रतिशत पिछली बार की तुलना में थोड़ा कम रहा. इस विधानसभा सीट से बीजेपी से इमरती देवी को उम्मीदवार बनाया गया है तो वहीं कांग्रेस की ओर से सुरेश राजे मैदान में हैं. 2018 में जहां 68.12 फीसदी मतदान हुआ था जबकि इस बार 66.78 फीसदी मतदान हुआ है. इस विधानसभा सीट पर जहां व्यापारियों की संख्या ज्यादा आती है तो वही कृषक वर्ग के लोग भी प्रत्याशी की जीत हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
शहरी सीट पर जनता का रुझान
ग्वालियर पूर्व विधानसभा की बात की जाए तो यहां कम संख्या में लोग मतदान करने पहुंचे. ऐसे में इस विधानसभा में कुछ विशेष वर्ग के लोग और मध्यम वर्गीय परिवार के लोग मतदान में जो भूमिका अदा करते हैं उसी से प्रत्याशी के भाग्य का फैसला होता है. इसके साथ ही यदि बात ग्वालियर विधानसभा की की जाए तो यहां का जातीय समीकरण प्रत्याशी के भाग्य पर ज्यादा प्रभाव डालता है. यही वजह है कि ठाकुर और ब्राह्मण प्रत्याशियों के बीच हुई इस चुनावी टक्कर में जनता का रुझान भले ही मतदान प्रतिशत से कम रहा है लेकिन सियासत का दरवाजा जनता किसकी खोलती है यह आने वाली मतगणना में पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगा.
कहां हुई ज्यादा वोटिंग ?
ग्वालियर की डबरा विधानसभा में सर्वाधिक वोटिंग प्रतिशत दर्ज किया गया है. जिसके पीछे कोरोना काल में इस क्षेत्र में कोरोना का प्रभाव कम होना मुख्य वजह माना जा रहा है. डबरा में कोरोना के मामले काफी कम आए थे. और जल्द स्वस्थ होकर लोग अपने घर लौटे थे. वहीं ग्वालियर के उपचुनाव में देखा गया है कि जहां-जहां ग्रामीण इलाका है वहां पर वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है. ग्वालियर पूर्व विधानसभा में सबसे कम वोटिंग प्रतिशत दर्ज किया गया है जबकि इस विधानसभा में बतौर मतदाता सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर आते हैं. इसके साथ ही ग्वालियर चंबल अंचल की इन दोनों कद्दावर नेताओं ने ग्वालियर पूर्व की जनता के बीच जाकर भाजपा के समर्थन में खुलकर मतदान करने की बात कही थी. इसके बावजूद यहां पर कम मतदान प्रतिशत दोनों ही कद्दावर नेताओं के साथ ही बीजेपी प्रत्याशी के लिए चिंता खड़ा कर रहा है.
किसकी हो सकती है जीत ?
चुनावी समर में किसी भी प्रत्याशी की हार जीत का फैसला जनता ही करती है. ऐसे में उपचुनाव की दहलीज पर पहुंची जनता अपने मताधिकार का प्रयोग भी उपचुनाव की परिस्थितियों के आकलन के आधार पर कर चुकी है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के बीच में टिकाऊ और बिकाऊ के अलावा क्षेत्र के विकास को लेकर मुद्दे बनाए गए. और मुद्दों पर जनता ने क्या रुख जाहिर किया है वह आगामी मतगणना के बाद स्पष्ट हो जाएगा.
'बाकी उपचुनावों से अलग ये उपचुनाव'
वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली की माने तो इनका कहना है कि यह उपचुनाव बाकी उपचुनावों से अलग है. कोरोना संक्रमण काल में देखा जा रहा था कि अबकी उपचुनाव में वोट का प्रतिशत काफी घटकर आने वाला है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके विपरीत वोटिंग प्रतिशत देखने को मिला है. युवा और महिलाओं ने सबसे ज्यादा मतदान किया तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा मतदान हुआ है. शहरी क्षेत्र की बात की जाए तो पॉश कॉलोनी में मतदान प्रतिशत गिरा है. खास बात ये है कि ग्वालियर चंबल अंचल में 10 साल में 4 उपचुनाव हुए है और यह चारों उपचुनाव में सत्ताधारी पार्टी को हार मिली है. 10 साल में ग्वालियर चंबल अंचल में चारों उपचुनावों में कांग्रेस को जीत मिली है.