ग्वालियर। मध्य प्रदेश में इंदौर और भोपाल नगर निगम पिछले कुछ सालों से स्वच्छता में नंबर 1 बने हुए हैं, लेकिन ग्वालियर तमाम कोशिशों के बावजूद बराबरी पर नहीं आ पा रहा. इसकी वजह अयोग्य कर्मचारियों को जिम्मेदारी देना बताया जा रहा है. ये आरोप नगर निगम परिषद की बैठक में बीजेपी पार्षदों ने लगाए हैं. जबकि कांग्रेस का कहना था कि कर्मचारियों की पदस्थापना के निर्णय शासन के द्वारा लिए जाते हैं.
ग्वालियर का नगर निगम फेल: ग्वालियर नगर निगम में सदन की कार्रवाई भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर हंगामेदार रही. सदन के ज्यादातर पार्षदों ने निगम कर्मचारी और अधिकारियों पर दर्जनों आरोप लगाए. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही वार्ड 50 से बीजेपी के पार्षद अनिल सांखला ने निगम कर्मचारियों और अधिकारियों को अपने निशाने पर लिया. उन्होंने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि "नगर निगम के कई महत्वपूर्ण विभागों में अयोग्य कर्मचारियों को पदस्थ किया गया है. इंजीनियर को सफाई की व्यवस्था में लगाया गया है तो सफाईकर्मी को तकनीकी प्रभार दिए गए हैं यह गलत हो रहा है. जिस कर्मचारी में प्रशासनिक योग्यता और क्षमता नहीं है उसे डिप्टी कमिश्नर तक बना दिया गया है. ग्वालियर नगर निगम में अंधेर नगरी चौपट राजा जैसी कहावत चल रही है. इससे समस्त पार्षद और नगर वासियों को शर्म से झुकना पड़ता है, क्योंकि प्रदेश में भोपाल और इंदौर नगर निगम तरक्की कर रहे हैं. जबकि ग्वालियर ऐसे ही अधिकारियों की वजह से पिछड़ता जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया है कि ऐसे अयोग्य अधिकारी और कर्मचारियों को मलाईदार पद पर बैठा दिया गया है, जिसकी वजह से भ्रष्टाचार हो रहा है."
अयोग्य कर्मचारियों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार: वार्ड 41 से बीजेपी पार्षद मोहित जाट ने निगम कर्मचारियों की अधिकारियों के बंगलों पर तैनाती का मुद्दा उठाया. तो पार्षद बृजेश श्रीवास ने भी अयोग्य कर्मचारियों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. उन्होंने सदन से यह आग्रह किया की पार्षदों को एक सहायक कर्मचारी दिया जाए जिससे जनता के कार्यों में मदद मिल सके. इसके अलावा विनियमित कर्मचारियों को नियमित करने पर बीजेपी के पार्षद लगातार मांग करते रहे हैं. जिस पर नगर सरकार का कहना था कि कर्मचारियों की नियमितीकरण के निर्णय और आदेश शासन जारी करता है.
नगर निगम के पास अधिकारियों की कमी: विधायक प्रतिनिधि कृष्णराव दीक्षित ने कांग्रेस की नगर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि "अगर मध्य प्रदेश शासन इस तरह का आदेश जारी कर दे तो नगर सरकार कर्मचारियों को नियमित करने के लिए तैयार है. विभागों में अधिकारियों की नियुक्ति के निर्णय शासन लेता है. ग्वालियर नगर निगम के पास अधिकारियों की कमी है. ऐसे में अन्य कर्मचारियों को प्रभार दिए जाते हैं." नगर निगम में अयोग्य अधिकारी और कर्मचारियों का मुद्दा गरमा गया है. इसको लेकर सभापति और कमिश्नर का कहना है कि शासन के नियम अनुसार जो भी कार्यवाही होगी वे करेंगे.
ग्वालियर नगर निगम कैसे करेगा तरक्की: परिषद की बैठक में ब्लू टेंडर का मुद्दा गरमाया रहा. पार्षदों की शिकायत थी कि उनके क्षेत्र में होने वाले विकास कार्यों की जानकारी उन्हें नहीं दी जाती. साथ ही पार्षदों का कहना था कि निगम अधिकारी उनके फोन नहीं उठाते इससे जनता में नाराजगी बढ़ रही है. बहरहाल ग्वालियर नगर निगम की परिषद बैठक में उठाए गए मुद्दे से मलाईदार विभागों में बैठे कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है. अब शासन को योग्य अधिकारी और कर्मचारियों को ही संबंधित विभागों में जिम्मेदारी देनी होगी. तभी ग्वालियर नगर निगम भोपाल और इंदौर की तरह तरक्की कर सकेगा.