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जीवाजी विश्वविद्यालय में लगे हजारों पेड़-पौधे सूखे, प्रबंधन ने निगम और संबंधित विभागों को लिखा पत्र

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Published : Jun 21, 2019, 8:12 PM IST

भीषण गर्मी के चलते जलसंकट को देखते हुए जीवाजी विश्वविद्यालय ने नगर निगम और सभी विभागों को जल संरक्षण करने की अपील की है.

जीवाजी विश्वविद्यालय

ग्वालियर। प्रदेश में भीषण गर्मी के चलते कई जगह जलसंकट देखने को मिल रहा है. वहीं चंबल अंचल में भी भीषण गर्मी के चलते ऑक्सीजन जोन कहे जाने वाले जीवाजी यूनिवर्सिटी कैम्पस में लगे हजारों पेड़-पौधे पानी की कमी के चलते सूखते जा रहे हैं.

इसे गंभीरता से लेते हुए जीवाजी प्रबंधन ने नगर निगम को पत्र लिखकर जल संरक्षण की अपील की है. साथ ही जीवाजी यूनिवर्सिटी ने सभी विभागों को जल संरक्षण के लिए भी पत्र लिखा है. दरअसल जीवाजी विश्वविद्यालय में भू-जलस्तर के नीचे जाने से परिसर में मौजूद नलकूपों का लेवल नीचे जाने लगा है. जिससे कुछ बोरिंग में पाइपों को बढ़ाने की नौबत आ गई है.

जीवाजी विश्वविद्यालय ने निगम को लिखा पत्र


1 महीने में अगर बारिश नहीं हुई और पेयजल संकट का समाधान नहीं हुआ, तो यहां आने वाले छात्र-छात्राओं के लिए मुश्किल हो सकती है. साथ ही जीवाजी यूनिवर्सिटी का कैंपस जिले में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाला जोन माना जाता है. यहां 56 प्रजातियों के हजारों पेड़-पौधे लगे हैं, लेकिन इस साल भीषण गर्मी के चलते इन पेड़ पौधे पर संकट मंडराने लगा है. इसी परेशानी को देखते हुए जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पानी को बचाने का प्रयास शुरू कर दिया है. जेयू प्रबंधन ने भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अपने सभी विभागों में अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ-साथ छात्र-छात्राओं को एक पत्र जारी कर पानी की बर्बादी नहीं करने की अपील की है.

ग्वालियर। प्रदेश में भीषण गर्मी के चलते कई जगह जलसंकट देखने को मिल रहा है. वहीं चंबल अंचल में भी भीषण गर्मी के चलते ऑक्सीजन जोन कहे जाने वाले जीवाजी यूनिवर्सिटी कैम्पस में लगे हजारों पेड़-पौधे पानी की कमी के चलते सूखते जा रहे हैं.

इसे गंभीरता से लेते हुए जीवाजी प्रबंधन ने नगर निगम को पत्र लिखकर जल संरक्षण की अपील की है. साथ ही जीवाजी यूनिवर्सिटी ने सभी विभागों को जल संरक्षण के लिए भी पत्र लिखा है. दरअसल जीवाजी विश्वविद्यालय में भू-जलस्तर के नीचे जाने से परिसर में मौजूद नलकूपों का लेवल नीचे जाने लगा है. जिससे कुछ बोरिंग में पाइपों को बढ़ाने की नौबत आ गई है.

जीवाजी विश्वविद्यालय ने निगम को लिखा पत्र


1 महीने में अगर बारिश नहीं हुई और पेयजल संकट का समाधान नहीं हुआ, तो यहां आने वाले छात्र-छात्राओं के लिए मुश्किल हो सकती है. साथ ही जीवाजी यूनिवर्सिटी का कैंपस जिले में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाला जोन माना जाता है. यहां 56 प्रजातियों के हजारों पेड़-पौधे लगे हैं, लेकिन इस साल भीषण गर्मी के चलते इन पेड़ पौधे पर संकट मंडराने लगा है. इसी परेशानी को देखते हुए जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पानी को बचाने का प्रयास शुरू कर दिया है. जेयू प्रबंधन ने भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अपने सभी विभागों में अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ-साथ छात्र-छात्राओं को एक पत्र जारी कर पानी की बर्बादी नहीं करने की अपील की है.

Intro:ग्वालियर चंबल अंचल में भीषण गर्मी के साथ साथ जल स्रोतों पर भी संकट मंडराने लगा है। जिसके कारण जिले का ऑक्सीजन जोन कहे जाने वाले जीवाजी यूनिवर्सिटी कैम्पस में लगे हजारो पेड़ पौधों में पानी की कमी से सुखते जा रहे है। जिसे गंभीरता से लेते हुए जीवाजी प्रबंधन ने नगर निगम को पत्र लिखकर जल संरक्षण की अपील की है। साथ ही जीवाजी यूनिवर्सिटी ने सभी विभागों को पत्र लिखकर जल संरक्षण और जल बचाने के लिए पत्र लिखा है।


Body:दरअसल जीवाजी विश्वविद्यालय में भू स्तर के नीचे जाने से परिसर में मौजूद नलकूपों का लेवल नीचे जाने लगा है जिससे कुछ बोरिंग में पाइपों को बढ़ाने की नौबत आ गई है 1 महीने में अगर बारिश नहीं हुई और पेयजल संकट का समाधान नहीं हुआ तो यहां आने वाले छात्र-छात्राओं को मुश्किल हो सकती है साथ ही जीवाजी यूनिवर्सिटी का केंपस जिले में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाला जोन माना जाता है इसमें 56 प्रकार के हजारों पेड़ पौधे लगे हैं लेकिन इस साल बड़ी भीषण गर्मी के कारण यह पेड़ पौधे पर संकट मंडराने लगा है। इसी परेशानी को देखते हुए जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पानी को बचाने का प्रयास अभी से शुरू कर दिया है जेयू प्रबंधन ने भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अपने सभी विभागों में अधिकारी कर्मचारियों के साथ-साथ छात्र-छात्राओं को एक पत्र जारी कर पानी की बर्बादी न करने की अपील की है। साथ ही अमृत योजना के तहत नगर निगम को एक पत्र लिखा पानी की पाइप लाइन डालने की गुजारिश की है।जिससे जल संकट की समस्या से बचा जा सके।


Conclusion:बाईट - शान्तिदेव सिसोदिया , पीआरओ जेयू
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