ग्वालियर। मामला छह साल पुरना है. पुरानी छावनी पुलिस को सूचना मिली थी कि आगरा का रहने वाला दीपू सिंह और फिरोजाबाद का रहने वाला सुनील दुबे ग्वालियर से बड़ी मात्रा फैंसीड्रिल कफ सिरप को उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से सप्लाई कर रहे हैं. यह सप्लाई वे नशे के सौदागरों के लिए कर रहे थे. इस सूचना पर पुलिस ने घेराबंदी करके सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार में सवार इन दोनों युवकों को पकड़ा था.
कोर्ट में छह साल तक चला मामला
कार की तलाशी में पुलिस ने करीब 2000 फैंसीडिल कफ सिरप की सीशियां बरामद की थीं. दोनों आरोपियों के खिलाफ एनडीपीएस के तहत मामला दर्ज किया गया था. बाद में दोनों आरोपियों के खिलाफ इस मामले में एडीजे कोर्ट में चालान पेश किया गया था. छह साल तक चली सुनवाई के बाद एडीजे आरके जैन के न्यायालय ने दोनों आरोपियों दीपू सिंह और सुनील दुबे को इस मामले में दोषी पाया और उन्हें 10- 10 साल के सश्रम कारावास की सजा से दंडित किया. उन पर 1-1 लाख रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है. आरोपियों को कोर्ट के आदेश के बाद जेल भेज दिया गया है.
नशे के लिए प्रयोग की जा रहीं हैं खांसी के सीरप
दरसअल, खांसी की दवाई के रूप में प्रयोग होने वाली सिरप (लिक्विड दवाइयां) नशे के लिए प्रयोग की जा रहीं हैं. नशे के दलदल में फंसने वाले युवा फैंसीड्रिल, कोरैक्स आदि कफ सिरप का सेवन कर अपने नशे की तलब पूरी करते हैं. 13-14 साल के बच्चे भी इस नशे को अपना रहे हैं. 8-10 वर्षों में इसका प्रचलन भी काफी बढ़ गया है. बड़े पैमाने पर युवा सर्दी, खांसी से निजात दिलाने वाले कोरेक्स सिरप, चोको और इसकफ का इस्तेमाल नशे के रूप में कर रहे हैं. डाक्टर की पर्ची बगैर तो कोई भी दवा नहीं देने का नियम है, जिसका पालन नहीं होता.
(fancydrill for intoxication) (Two youth get 10 years jail)